ETV Bharat / state

औरंगाबाद लोकसभा चुनाव 2024 : जानिए किनके बीच होगा मुकाबला, मतदान की तारीख और नतीजों का दिन - Aurangabad lok sabha seat - AURANGABAD LOK SABHA SEAT

Aurangabad constituency, Bihar Lok sabha election 2024, Date of Voting, Counting and Result date : 18वीं लोकसभा के लिए पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग है. बिहार के औरंगाबाद में भी पहले चरण में मतदान होगा. यहां मुख्य मुकाबला लगातार तीन बार सांसद रहे एनडीए के सुशील कुमार सिंह और आरजेडी के अभय कुशवाहा के बीच है.

औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण
औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 19, 2024, 6:04 AM IST

Updated : Apr 18, 2024, 12:58 PM IST

औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण

औरंगाबादः 2024 के लोकसभा चुनाव के तहत देशभर में हलचल तेज है. बिहार में पहले चरण में 4 लोकसभा सीटों गया, नवादा, जमुई और औरंगाबाद में वोटिंगा है. एनडीए ने इस सीट से बीजेपी के सुशील सिंह को मैदान में उतारा है. सुशील सिंह दो बार बीजेपी से और एक बार जेडीयू से औरंगाबाद सीट पर कब्जा कर चुके हैं. वहीं महागठबंधन में यह सीट आरजेडी के खाते में गई है और पार्टी ने अभय कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

NDA Vs महागठबंधन में मुकाबला: 2019 के लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट पर NDA और महागठबंधन की टक्कर हुई थी. तब NDA से बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर सुशील सिंह ने महागठबंधन की ओर से HAM कैंडिडेट उपेंद्र प्रसाद वर्मा को हराया था. लेकिन इस बार HAM महागठबंधन में न होकर NDA के साथ है. इस बार भी मुकाबला NDA बनाम महागठबंधन ही होगा.

सुशील कुमार सिंह और अभय कुशवाहा के बीच टक्कर: लगातार दो बार और कुल 4 बार औरंगाबाद सीट से जीत का परचम लहरा चुके सुशील कुमार सिंह NDA की पहली पसंद रही है. यही कारण है कि उन पर फिर से भरोसा जताया गया है. वहीं गया JDU जिलाध्यक्ष अभय कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़कर आरजेडी का दामन थामा है. लालू ने उन्हें औरंगाबाद सीट से मैदान में उतारा है.

2019 में 52.9 प्रतिशत मतदान: औरंगाबाद लोकसभा सीट पर पिछले चुनावों की बात करें तो ये देखने में आया है कि यहां वोटिंग 50 से 55 फीसदी के आसपास रहती है.साल 2014 में यहां 51.19 प्रतिशत और साल 2019 में 52.9 प्रतिशत मतदान हुआ था.

4 जून को आएंगे नतीजे: बिहार में सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण में 19 अप्रैल को औरंगाबाद में भी वोटिंग है. 4 जून को नतीजे घोषित किए जाएंगे. अब राजपुत बहुल औरंगाबाद में किसका कब्जा होता है, देखना दिलचस्प होगा. हालांकि पार्टी ताबड़तोड़ प्रचार कर चुकी है. एनडीए प्रत्याशी के लिए अमित शाह, योगी आदित्यानाथ समेत कई दिग्गजों ने प्रचार किया तो आरजेडी उम्मीदवार के लिए तेजस्वी यादव के साथ ही मुकेश सहनी भी जनता से अपील करने पहुंचे थे.

औरंगाबाद सीट का इतिहासः राजपूतों का गढ़ होने के कारण औरंगाबाद को चित्तौड़गढ़ भी कहा जाता है. इस सीट पर राजपूतों के दबदबे का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि 1951 से हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 तक हर बार राजपूत जाति के सांसद ने ही इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. यहां की राजनीति बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिंह के परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रही है. यहां के पहले सांसद सत्येंद्र नारायण सिंह सबसे अधिक 6 बार सांसद रहे .वहीं मौजूदा सांसद सुशील कुमार सिंह ने भी औरंगाबाद से 4 बार जीत दर्ज की है.

औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण
औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण

17 में से 14 बार इस परिवार का दिखा वर्चस्व : इसके अलावा सुशील कुमार सिंह के पिता रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू ने भी दो बार जीत का परचम लहराया है. कभी कांग्रेस के गढ़ के रूप में मशहूर औरंगाबाद सीट पर फिलहाल बीजेपी के सुशील कुमार सिंह सांसद हैं. लोकसभा चुनाव में इस सीट पर अधिकतर मौकों पर सत्येंद्र नारायण सिंह और रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू का परिवार आमने-सामने रहा है. दोनों परिवारों ने अबतक 17 में से 14 बार इस सीट पर जीत दर्ज की है.

औरंगाबाद लोकसभा सीटःः कभी कांग्रेस और समाजवादियों के गढ़ रहे औरंगाबाद लोकसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. औरंगाबाद के पिछले तीन चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो एक ही नाम की तूती बोल रही है और वो है सुशील कुमार सिंह. सुशील कुमार सिंह यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. 2009 में जेडीयू कैंडिडेट के रूप में सुशील कुमार सिंह ने आरजेडी के शकील अहमद खान को हराकर जीत का परचम लहराया तो 2014 में बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी निखिल कुमार को चुनावी दंगल में धूल चटा दी. 2019 में भी सुशील सिंह ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा और इस बार उन्होंने HAM प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद वर्मा को मात दी.

औरंगाबाद: 'चित्तौड़गढ़' के नाम से मशहूर:झारखंड की सीमा पर स्थित औरंगाबाद को चित्‍तौड़गढ़ कहा जाता है.इस लोकसभा सीट की पहचान कभी सोन नदी और उसके सिंचित क्षेत्र के लिए होती थी. नए परिसीमन के बाद अब इसकी पहचान सुखाड़ ग्रस्त क्षेत्र के रूप में हो रही है. उत्तर कोयल नहर परियोजना और हाड़ियाही नहर परियोजना का पूरा नहीं होना इस क्षेत्र का प्रमुख चुनावी मुद्दा है. औरंगाबाद जिला मुख्यालय में एक सीमेंट फैक्ट्री जरूर लगाई गई है लेकिन वो जिले के लिए वरदान काम और अभिशाप ज्यादा साबित हो रही है, क्योंकि सीमेंट फैक्ट्री के भूजल दोहन के कारण शहर में पानी की समस्या खड़ी हो गई है. संसदीय क्षेत्र से कोलकाता मुंबई मुख्य रेल मार्ग और दिल्ली कोलकाता मुख्य राजमार्ग जीटी रोड गुजरा है.औरंगाबाद जिले में दो अनुमंडल-औरंगाबाद सदर एवं दाउदनगर हैं. इस जिले में 11 प्रखंड हैं और यहां की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है.

औरंगाबाद में जातिगत समीकरण : औरंगाबाद में मतदाताओं की कुल संख्या करीब 18 लाख 62 हजार है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 72 हजार 621 है वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 89 हजार 373 है.बात जातीय समीकरण की करें तो अनुमानित आंकड़ों के हिसाब से यहां सबसे ज्यादा वोटर राजपूत जाति से हैं जिनका वोट लगभग 2 लाख के आसपास है. वहीं 1 लाख 90 हजार के आसपास यादव मतदाता भी हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब सवा लाख है ओर कुशवाहा वोटर्स भी सवा लाख के आसपास है. भूमिहार मतदाताओं की संख्या 1 लाख के आसपास है जबकि महादलित मतदाताओं की संख्या दो लाख के पार है. साथ ही अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी यहां के चुनावी परिणाम पर खासा असर डालते हैं.

औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण
औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण

इस बार कौन मारेगा बाजी ?: पिछले कई चुनावों से ये साफ दिख रहा है कि बिहार हो या फिर औरंगाबाद दो ध्रुवों के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है. इस बार भी निश्चित रूप से ये मुकाबला NDA और महागठबंधन के बीच ही होगा. जिले की सियासत पर पैनी नजर रखनेवालों का मानना है कि पिछले तीन चुनाव से NDA के टिकट पर जीत हासिल करनेवाले सांसद सुशील कुमार सिंह की राह इस बार आसान नहीं रहनेवाली है. माना जा रहा है कि लगातार सांसद रहने के कारण उनके खिलाफ एंटी इन्कम्बैसी का खतरा मंडरा रहा है और कई लोग बदलाव चाहते हैं.

ये भी पढ़ें:Bihar Lok Sabha Election Dates: बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में होगा मतदान, 4 जून को आएंगे नतीजे

ये भी पढ़ेंःलोकसभा चुनाव : बिहार के 7 करोड़ 64 लाख 33 हजार 329 वोटर तैयार, नए की संख्या भी बढ़ी

ये भी पढ़ेंःबिहार में फेक न्यूज और अफवाहों पर नकेल कसेगा EC, लोकसभा चुनाव के दौरान रहेगी पैनी नजर

औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण

औरंगाबादः 2024 के लोकसभा चुनाव के तहत देशभर में हलचल तेज है. बिहार में पहले चरण में 4 लोकसभा सीटों गया, नवादा, जमुई और औरंगाबाद में वोटिंगा है. एनडीए ने इस सीट से बीजेपी के सुशील सिंह को मैदान में उतारा है. सुशील सिंह दो बार बीजेपी से और एक बार जेडीयू से औरंगाबाद सीट पर कब्जा कर चुके हैं. वहीं महागठबंधन में यह सीट आरजेडी के खाते में गई है और पार्टी ने अभय कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

NDA Vs महागठबंधन में मुकाबला: 2019 के लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट पर NDA और महागठबंधन की टक्कर हुई थी. तब NDA से बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर सुशील सिंह ने महागठबंधन की ओर से HAM कैंडिडेट उपेंद्र प्रसाद वर्मा को हराया था. लेकिन इस बार HAM महागठबंधन में न होकर NDA के साथ है. इस बार भी मुकाबला NDA बनाम महागठबंधन ही होगा.

सुशील कुमार सिंह और अभय कुशवाहा के बीच टक्कर: लगातार दो बार और कुल 4 बार औरंगाबाद सीट से जीत का परचम लहरा चुके सुशील कुमार सिंह NDA की पहली पसंद रही है. यही कारण है कि उन पर फिर से भरोसा जताया गया है. वहीं गया JDU जिलाध्यक्ष अभय कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़कर आरजेडी का दामन थामा है. लालू ने उन्हें औरंगाबाद सीट से मैदान में उतारा है.

2019 में 52.9 प्रतिशत मतदान: औरंगाबाद लोकसभा सीट पर पिछले चुनावों की बात करें तो ये देखने में आया है कि यहां वोटिंग 50 से 55 फीसदी के आसपास रहती है.साल 2014 में यहां 51.19 प्रतिशत और साल 2019 में 52.9 प्रतिशत मतदान हुआ था.

4 जून को आएंगे नतीजे: बिहार में सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण में 19 अप्रैल को औरंगाबाद में भी वोटिंग है. 4 जून को नतीजे घोषित किए जाएंगे. अब राजपुत बहुल औरंगाबाद में किसका कब्जा होता है, देखना दिलचस्प होगा. हालांकि पार्टी ताबड़तोड़ प्रचार कर चुकी है. एनडीए प्रत्याशी के लिए अमित शाह, योगी आदित्यानाथ समेत कई दिग्गजों ने प्रचार किया तो आरजेडी उम्मीदवार के लिए तेजस्वी यादव के साथ ही मुकेश सहनी भी जनता से अपील करने पहुंचे थे.

औरंगाबाद सीट का इतिहासः राजपूतों का गढ़ होने के कारण औरंगाबाद को चित्तौड़गढ़ भी कहा जाता है. इस सीट पर राजपूतों के दबदबे का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि 1951 से हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 तक हर बार राजपूत जाति के सांसद ने ही इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. यहां की राजनीति बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिंह के परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रही है. यहां के पहले सांसद सत्येंद्र नारायण सिंह सबसे अधिक 6 बार सांसद रहे .वहीं मौजूदा सांसद सुशील कुमार सिंह ने भी औरंगाबाद से 4 बार जीत दर्ज की है.

औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण
औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण

17 में से 14 बार इस परिवार का दिखा वर्चस्व : इसके अलावा सुशील कुमार सिंह के पिता रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू ने भी दो बार जीत का परचम लहराया है. कभी कांग्रेस के गढ़ के रूप में मशहूर औरंगाबाद सीट पर फिलहाल बीजेपी के सुशील कुमार सिंह सांसद हैं. लोकसभा चुनाव में इस सीट पर अधिकतर मौकों पर सत्येंद्र नारायण सिंह और रामनरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू का परिवार आमने-सामने रहा है. दोनों परिवारों ने अबतक 17 में से 14 बार इस सीट पर जीत दर्ज की है.

औरंगाबाद लोकसभा सीटःः कभी कांग्रेस और समाजवादियों के गढ़ रहे औरंगाबाद लोकसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है. औरंगाबाद के पिछले तीन चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो एक ही नाम की तूती बोल रही है और वो है सुशील कुमार सिंह. सुशील कुमार सिंह यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. 2009 में जेडीयू कैंडिडेट के रूप में सुशील कुमार सिंह ने आरजेडी के शकील अहमद खान को हराकर जीत का परचम लहराया तो 2014 में बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी निखिल कुमार को चुनावी दंगल में धूल चटा दी. 2019 में भी सुशील सिंह ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा और इस बार उन्होंने HAM प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद वर्मा को मात दी.

औरंगाबाद: 'चित्तौड़गढ़' के नाम से मशहूर:झारखंड की सीमा पर स्थित औरंगाबाद को चित्‍तौड़गढ़ कहा जाता है.इस लोकसभा सीट की पहचान कभी सोन नदी और उसके सिंचित क्षेत्र के लिए होती थी. नए परिसीमन के बाद अब इसकी पहचान सुखाड़ ग्रस्त क्षेत्र के रूप में हो रही है. उत्तर कोयल नहर परियोजना और हाड़ियाही नहर परियोजना का पूरा नहीं होना इस क्षेत्र का प्रमुख चुनावी मुद्दा है. औरंगाबाद जिला मुख्यालय में एक सीमेंट फैक्ट्री जरूर लगाई गई है लेकिन वो जिले के लिए वरदान काम और अभिशाप ज्यादा साबित हो रही है, क्योंकि सीमेंट फैक्ट्री के भूजल दोहन के कारण शहर में पानी की समस्या खड़ी हो गई है. संसदीय क्षेत्र से कोलकाता मुंबई मुख्य रेल मार्ग और दिल्ली कोलकाता मुख्य राजमार्ग जीटी रोड गुजरा है.औरंगाबाद जिले में दो अनुमंडल-औरंगाबाद सदर एवं दाउदनगर हैं. इस जिले में 11 प्रखंड हैं और यहां की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है.

औरंगाबाद में जातिगत समीकरण : औरंगाबाद में मतदाताओं की कुल संख्या करीब 18 लाख 62 हजार है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 72 हजार 621 है वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 89 हजार 373 है.बात जातीय समीकरण की करें तो अनुमानित आंकड़ों के हिसाब से यहां सबसे ज्यादा वोटर राजपूत जाति से हैं जिनका वोट लगभग 2 लाख के आसपास है. वहीं 1 लाख 90 हजार के आसपास यादव मतदाता भी हैं. इसके बाद मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब सवा लाख है ओर कुशवाहा वोटर्स भी सवा लाख के आसपास है. भूमिहार मतदाताओं की संख्या 1 लाख के आसपास है जबकि महादलित मतदाताओं की संख्या दो लाख के पार है. साथ ही अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी यहां के चुनावी परिणाम पर खासा असर डालते हैं.

औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण
औरंगाबाद लोकसभा सीट का समीकरण

इस बार कौन मारेगा बाजी ?: पिछले कई चुनावों से ये साफ दिख रहा है कि बिहार हो या फिर औरंगाबाद दो ध्रुवों के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है. इस बार भी निश्चित रूप से ये मुकाबला NDA और महागठबंधन के बीच ही होगा. जिले की सियासत पर पैनी नजर रखनेवालों का मानना है कि पिछले तीन चुनाव से NDA के टिकट पर जीत हासिल करनेवाले सांसद सुशील कुमार सिंह की राह इस बार आसान नहीं रहनेवाली है. माना जा रहा है कि लगातार सांसद रहने के कारण उनके खिलाफ एंटी इन्कम्बैसी का खतरा मंडरा रहा है और कई लोग बदलाव चाहते हैं.

ये भी पढ़ें:Bihar Lok Sabha Election Dates: बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में होगा मतदान, 4 जून को आएंगे नतीजे

ये भी पढ़ेंःलोकसभा चुनाव : बिहार के 7 करोड़ 64 लाख 33 हजार 329 वोटर तैयार, नए की संख्या भी बढ़ी

ये भी पढ़ेंःबिहार में फेक न्यूज और अफवाहों पर नकेल कसेगा EC, लोकसभा चुनाव के दौरान रहेगी पैनी नजर

Last Updated : Apr 18, 2024, 12:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.