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वाराणसी में कौन देगा पीएम को चुनौती; कांग्रेस के सामने चेहरे का संकट, अजय राय और राजेश मिश्रा ने किया किनारा - Rajesh Mishra or Ajay Rai

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव के लिए (lok sabha election 2024) गठबंधन हो गया है. कांग्रेस 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. जिसमें सबसे हाईप्रोफाइल सीट वाराणसी भी शामिल है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि सीट तो मिल गई लेकिन काशी में पीएम मोदी को कौन देगा चुनौती. इस सवाल का जवाब फिलहाल कांग्रेस को मिलता नहीं दिख रहा.

Who is the Congress candidate in Varanasi?
वाराणसी में कांग्रेस कैंडिडेट कौन
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 27, 2024, 6:17 PM IST

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हो गया. साथ ही सीटों को भी बंटवारा हो चुका है. कांग्रेस 17 सीटों पर ताल ठोकेगी. जिसमें प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट वाराणसी भी है. पार्टी ने वाराणसी लोकसभा सीट को अपने पाले में तो कर लिया है. लेकिन बनारस में चेहरे का संकट बरकरार है. दरअसल यहां से लड़ चुके दो उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने को लेकर चुप्पी साध रखी है. राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है कि पीएम के खिलाफ इंडिया गठबंधन की ओर से कौन चेहरा होगा. इसके पहले समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन कांग्रेस के खाते में सीट जाने के बाद एक बार फिर चेहरे का संकट एक बड़ा सवाल है.

राजेश मिश्रा और अजय राय के नाम की चर्चा: बनारस से चल रही चर्चाओं के मुताबिक राजेश मिश्रा या अजय राय दोनों के किसी एक को कांग्रेस अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है. लेकिन दोनों में से कोई भी इस सीट से चुनाव लड़ना नहीं चाहते हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी तय करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोकसभा चुनाव में महज कुछ ही महीने बचे हैं. उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से कांग्रेस के खाते में 17 सीटें आई है. मगर महत्वपूर्ण सीटों को लेकर कांग्रेस में अभी भी प्रत्याशियों का टोटा दिख रहा है. 17 सीटों में से पूर्वांचल की करीब सभी बड़ी सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है. जिसमें से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कब्जे वाली बनारस सीट पर भी शामिल है. समाजवादी पार्टी यहां से चुनाव नहीं लड़ रही है.

सपा ने सीटों के बंटवारे से पहले सुरेंद्र पटेल को उतारा था: राजनीतिक विश्लेषक रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि पहले तो समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी यहां से घोषित कर दिया था. सुरेंद्र पटेल का नाम घोषित होने के बाद ये माना जा रहा था कि अखिलेश यादव ने ओबीसी वोट को साधने के लिए बड़ा खेल कर दिया है. सुरेंद्र पटेल सपा के पुराने साथी हैं और मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन सपा और कांग्रेस के बीच समझौता हुआ और वाराणसी सीट कांग्रेस के खाते में चली गई.

आखिर कहां से लड़ना चाहते हैं दिग्गज नेता चुनाव: राजेश मिश्रा का कहना है कि 'मैं और अजय राय दोनों ही बनारस से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. बनारस से कोई कांग्रेस नेता टिकट लेकर चुनाव नहीं लड़ना चाहता है. अजय राय अपने लिए बलिया से टिकट चाहते थे, उन्हें बलिया से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिली है. मैं भदोही से चुनाव लड़ना चाहता हूं और वह सीट समाजवादी पार्टी के कोटे में गई है. ऐसे में किस फॉर्मूले से पार्टी ने सीटों का बंटवारा कर लिया है. यह समझना मुश्किल लग रहा है. पार्टी के नेताओं से सीटों को लेकर चर्चा नहीं की गई है.

दमदार प्रत्याशी ही दे सकता कड़ी टक्कर: राजनीतिक पंडितों की माने तो, कांग्रेस को वाराणसी सीट के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने भी कुछ खास असर बनारस में नहीं दिखाया है. जहां लाखों की भीड़ का दावा किया जा रहा था, वहां हजारों की भीड़ भी नहीं दिखाई दी. ऐसे में बनारस सीट से एक ऐसा प्रत्याशी लड़ाने की जरूरत है जो नरेंद्र मोदी को मुकाबले का टक्कर दे सके. सभी को साल 2014 और 2019 के चुनाव परिणाम याद हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल तक को मात दे दी थी. अजय राय भी अपनी किस्मत इन लोकसभा चुनावों में आजमा कर करारी शिकस्त खा चुके हैं.

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन में कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हो गया. साथ ही सीटों को भी बंटवारा हो चुका है. कांग्रेस 17 सीटों पर ताल ठोकेगी. जिसमें प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट वाराणसी भी है. पार्टी ने वाराणसी लोकसभा सीट को अपने पाले में तो कर लिया है. लेकिन बनारस में चेहरे का संकट बरकरार है. दरअसल यहां से लड़ चुके दो उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने को लेकर चुप्पी साध रखी है. राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है कि पीएम के खिलाफ इंडिया गठबंधन की ओर से कौन चेहरा होगा. इसके पहले समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन कांग्रेस के खाते में सीट जाने के बाद एक बार फिर चेहरे का संकट एक बड़ा सवाल है.

राजेश मिश्रा और अजय राय के नाम की चर्चा: बनारस से चल रही चर्चाओं के मुताबिक राजेश मिश्रा या अजय राय दोनों के किसी एक को कांग्रेस अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है. लेकिन दोनों में से कोई भी इस सीट से चुनाव लड़ना नहीं चाहते हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी तय करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोकसभा चुनाव में महज कुछ ही महीने बचे हैं. उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से कांग्रेस के खाते में 17 सीटें आई है. मगर महत्वपूर्ण सीटों को लेकर कांग्रेस में अभी भी प्रत्याशियों का टोटा दिख रहा है. 17 सीटों में से पूर्वांचल की करीब सभी बड़ी सीटों पर कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है. जिसमें से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कब्जे वाली बनारस सीट पर भी शामिल है. समाजवादी पार्टी यहां से चुनाव नहीं लड़ रही है.

सपा ने सीटों के बंटवारे से पहले सुरेंद्र पटेल को उतारा था: राजनीतिक विश्लेषक रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि पहले तो समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी यहां से घोषित कर दिया था. सुरेंद्र पटेल का नाम घोषित होने के बाद ये माना जा रहा था कि अखिलेश यादव ने ओबीसी वोट को साधने के लिए बड़ा खेल कर दिया है. सुरेंद्र पटेल सपा के पुराने साथी हैं और मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन सपा और कांग्रेस के बीच समझौता हुआ और वाराणसी सीट कांग्रेस के खाते में चली गई.

आखिर कहां से लड़ना चाहते हैं दिग्गज नेता चुनाव: राजेश मिश्रा का कहना है कि 'मैं और अजय राय दोनों ही बनारस से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. बनारस से कोई कांग्रेस नेता टिकट लेकर चुनाव नहीं लड़ना चाहता है. अजय राय अपने लिए बलिया से टिकट चाहते थे, उन्हें बलिया से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिली है. मैं भदोही से चुनाव लड़ना चाहता हूं और वह सीट समाजवादी पार्टी के कोटे में गई है. ऐसे में किस फॉर्मूले से पार्टी ने सीटों का बंटवारा कर लिया है. यह समझना मुश्किल लग रहा है. पार्टी के नेताओं से सीटों को लेकर चर्चा नहीं की गई है.

दमदार प्रत्याशी ही दे सकता कड़ी टक्कर: राजनीतिक पंडितों की माने तो, कांग्रेस को वाराणसी सीट के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने भी कुछ खास असर बनारस में नहीं दिखाया है. जहां लाखों की भीड़ का दावा किया जा रहा था, वहां हजारों की भीड़ भी नहीं दिखाई दी. ऐसे में बनारस सीट से एक ऐसा प्रत्याशी लड़ाने की जरूरत है जो नरेंद्र मोदी को मुकाबले का टक्कर दे सके. सभी को साल 2014 और 2019 के चुनाव परिणाम याद हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल तक को मात दे दी थी. अजय राय भी अपनी किस्मत इन लोकसभा चुनावों में आजमा कर करारी शिकस्त खा चुके हैं.

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