पटनाः आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भोजपुरी अभिनेता और गायक पवन सिंह के काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को बीजेपी की चाल करार दिया है. मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि काराकाट से राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को हराने के लिए बीजेपी ने पवन सिंह को जानबूझकर काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय उतारा है.
'पहले एक सीट पर सलटाया और अब हराने का इंतजाम किया': मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि "बीजेपी ने NDA के सीट बंटवारे में पहले उपेंद्र कुशवाहा को एक सीट पर सलटा दिया और जब उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से चुनाव लड़ रहे हैं तो उन्हें हराने के लिए पवन सिंह को काराकाट में सेट कर दिया, पहले तो आसनसोल से टिकट दिया था, अब उपेंद्रजी को हराने के लिए काराकाट भेज दिया. यही है बीजेपी का असली चरित्र."
10 अप्रैल को सोशल अकाउंट के जरिये किया एलानः भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर 10 अप्रैल को पोस्ट डालकर काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया था. पवन सिंह ने लिखा कि "माता गुरुतरा भूमेरू" अर्थात माता इस भूमि से अधिक भारी होती है और मैंने अपनी मां से वादा किया था कि मैं इस बार चुनाव लड़ूंगा. मैंने निश्चय किया है कि मैं 2024 का लोकसभा चुनाव काराकाट, बिहार से लड़ूंगा, जय माता दी.
आसनसोल से बीजेपी का टिकट लौटा दिया थाः इससे पहले 2 मार्च को बीजेपी ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल लोकसभा सीट से टिकट देने का एलान किया था, जिस पर पवन सिंह ने पहले खुशी जताई लेकिन कुछ ही घंटों बाद उन्होंने बीजेपी नेतृत्व का आभार जताते हुए टिकट लौटा दिया था. तब कहा गया कि पवन सिंह के एक गाने को लेकर टीएमसी नेता बाबुल सुप्रियो के एक पोस्ट के बाद पवन सिंह ने टिकट लौटाने का फैसला किया.
आरा से चुनाव लड़ने की चर्चा रहीः आसनसोल सीट से टिकट लौटाने के बाद माना जा रहा थै कि बीजेपी किसी दूसरी सीट से पवन सिंह को टिकट दे सकती है. जिन सीटों पर पवन सिंह के कैंडिडेट बनाए जाने की चर्चा थी उसमें से बिहार की आरा लोकसभा सीट के साथ ही यूपी की बलिया सीट की भी चर्चा थी. लेकिन बीजेपी ने आरा से केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद आरके सिंह को टिकट दिया जबकि 10 अप्रैल को ही बीजेपी ने बलिया से नीरज शेखर को अपना कैंडिडेट घोषित कर दिया. जिसके बाद पवन सिंह ने काराकाट से चुनाव लड़ने का एलान किया.
काराकाट में होती आई है सीधी टक्करः काराकाट लोकसभा सीट के पिछले 3 चुनावों की बात करें तो काराकाट लोकसभा सीट पर सीधी टक्कर देखने को मिली है. 2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के महाबली सिंह ने आरजेडी की कांति सिंह को हराया था, जबकि 2014 में NDA कैंडिडेट के रूप में उपेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी की कांति सिंह को हराया था. वहीं 2019 में जेडीयू के महाबली सिंह ने महागठबंधन के कैंडिडेट के रूप में उतरे उपेंद्र कुशवाहा को हराया था.
पवन सिंह की एंट्री का काराकाट पर कितना असरः पवन सिंह की एंट्री के पहले काराकाट में इस बार भी आमने-सामने की टक्कर मानी जा रही थी. NDA की ओर से उपेंद्र कुशवाहा मैदान में हैं तो महागठबंधन की ओर से माले के राजाराम सिंह चुनावी मैदान में उतरे हैं. लेकिन अब पवन सिंह ने काराट में एंट्री मारकर काराकाट की चुनावी जंग को रोचक मोड़ दे दिया है.
युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं पवन सिंहः काराकाट लोकसभा सीट में रोहतास जिले की तीन और औरंगाबाद जिले की तीन विधानसभा सीटें आती हैं. बिहार के भोजपुरी बोलनेवाले इलाकों के अलावा भी पवन सिंह का युवाओं में काफी क्रेज है. रोहतास जिले में भी पवन सिंह काफी लोकप्रिय हैं और ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि पवन सिंह युवा वोटर्स को प्रभावित नहीं करेंगे.
काराकाट का जातिगत समीकरणः दूसरा अहम पहलू है काराकाट लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण. इस सीट से NDA के केंडिडेट उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन के कैंडिडेट राजाराम सिंह कुशवाहा जाति से आते हैं. जाहिर है युवाओं में पवन सिंह की लोकप्रियता के साथ-साथ अगड़ी जातियों में भी पवन सिंह की उम्मीदवारी का असर दिख सकता है.
सवर्णों में सबसे ज्यादा राजपूत वोटर्सः काराकाट लोकसभा सीट पर यादव और कुशवाहा मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. बात सवर्ण मतदाताओं की करें तो यहांं सबसे अधिक राजपूत मतदाता हैं, जिनकी संख्या 2 लाख से ज्यादा है. इसके अलावा करीब 90 हजार ब्राह्मण और 60 हजार से अधिक भूमिहार वोटर्स भी हैं. यहां एक बात का जिक्र करना जरूरी है कि परिसीमन से पहले काराकाट का इलाका बिक्रमगंज लोकसभा के तौर पर जाना जाता था और बिक्रमगंज से कई बार राजपूत जाति के सांसद चुने गये हैं.
पवन सिंह ने बनाया काराकाट को 'हॉट': पवन सिंह के काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर राज्य की सियासत में कयासों का दौर तेज हो गया है. NDA और महागठबंधन पहले ही उम्मीदवार तय कर चुके हैं. जाहिर है पवन सिंह निर्दलीय या फिर किसी दूसरी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में ये चर्चा तेज हो गयी है कि आखिर पवन सिंह ने काराकाट को ही क्यों चुना ? चर्चाएं तो चलती रहेंगी लेकिन एक बात साफ है पवन की एंट्री के बाद काराकाट भी बिहार की 'हॉट' सीट बन गयी है.