रायपुर: लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को घोषित होंगे. चुनाव परिणाम का असर देश की सियासत में देखने को मिलेगा. वहीं, दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की सियासत पर भी इसका खासा प्रभाव पड़ेगा. खासकर साय कैबिनेट पर इसका असर देखने को मिल सकता है. इसके कई कारण हैं. सबसे पहला कारण यह है कि वर्तमान में साय कैबिनेट के एक मंत्री लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं. दूसरी ओर साय कैबिनेट में एक मंत्री पद पहले से ही खाली है. इसके अलावा मंत्रिमंडल में कई तरह के फेरबदल की भी सियासी अटकलें लगाई जा रही है.
इसकी एक और वजह यह भी है कि वर्तमान में पार्टी ने एक-एक मंत्री को एक-एक लोकसभा सीट की कमान सौंपी है. वहीं, जो पूर्व मंत्री हैं, उन्हें भी क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है. जिनके अंडर में तीन से चार लोकसभा सीटें शामिल है. इन सभी के द्वारा लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की तैयारी की गई. राजनीति के जानकार ऐसी संभावनाएं जता रहे हैं कि उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें साय कैबिनेट में कोई जिम्मेदारी मिल सकती है.
एक नजर मौजूदा सियासी परिदृश्य पर: नियमानुसार छत्तीसगढ़ सरकार में मुख्यमंत्री सहित कुल 13 मंत्रियों का पद शामिल है. इन पदों में वर्तमान में मुख्यमंत्री सहित कुल 12 मंत्रियों की नियुक्ति की गई है. ऐसे में एक मंत्री पद अभी भी खाली है, जिसे अब तक भरा नहीं गया है. वहीं, साय कैबिनेट के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल रायपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी हैं. यदि बृजमोहन अग्रवाल लोकसभा सीट पर जीत हासिल करते हैं, तो साय कैबिनेट में एक मंत्री का पद और खाली हो जाएगा. ऐसे में बृजमोहन की जगह किसी नए विधायक को मंत्री बनाया जाएगा. या फिर बृजमोहन के विभाग को मंत्रिमंडल के दूसरे सदस्यों को विभाजित कर दिया जाएगा. इस पर वर्तमान में कुछ भी कह पाना मुश्किल है.
जानिए क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट: इस बारे में ईटीवी भारत ने पॉलिटिकल एक्सपर्ट उचित शर्मा से बातचीत की. उचित शर्मा ने कहा कि, "वर्तमान में मंत्री का एक पद खाली रखा गया है, क्योंकि पार्टी को पता था कि कुछ महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं. इस लोकसभा चुनाव में जो बेहतर प्रदर्शन करेगा, उसे इस मंत्री पद पर बैठाया जाएगा. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ सरकार में 13वें मंत्री का पद अभी भी खाली रखा गया है. लोकसभा चुनाव का साय कैबिनेट पर काफी असर देखने को मिल सकता है. जिस तरह से लोकसभा चुनाव के परिणाम होंगे, उसी तरह से मंत्रिमंडल में भी फेरबदल की संभावना हो सकती है. वर्तमान में एक मंत्री लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. यदि वो जीत जाते हैं तो उनकी जगह किसी नए मंत्री को उनका विभाग दिया जा सकता है. या फिर पुराने मंत्री में उस विभाग को विभाजित किया जा सकता है."
जिस तरह से लोकसभा चुनाव में विधायकों को जवाबदारी सौंपी गई है. उनमें तीन प्रमुख चेहरे शामिल हैं. जो पूर्व मंत्री रह चुके हैं. उसमें अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और अजय चंद्राकर का नाम शामिल है. जो लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. यह भी हो सकता है कि लोकसभा चुनाव के बाद इनमें से किसी को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए, या यह भी हो सकता है कि जो विधायक लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं अगर वह सीट खाली होती है तो वहां से उपचुनाव में जीतने वाले विधायक को मंत्री बनाया जाए. हालांकि अभी से कुछ भी कहना संभव नहीं है. -उचित शर्मा, पॉलिटिकल एक्सपर्ट
मंत्रियों के परफॉर्मेंस पर पार्टी की होगी नजर: वहीं, वर्तमान में साय कैबिनेट के मंत्रियों को लोकसभा चुनाव की कमान भी सौंपी गई है. इसमें श्याम बिहारी जायसवाल को सरगुजा, लक्ष्मी राजवाड़े को रायगढ़, अरुण साव को कोरबा, विजय शर्मा को जांजगीर, दयाल दास बघेल को बिलासपुर, बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर, राम विचार नेताम को दुर्ग, लखन लाल देवांगन को राजनंदगांव, टंकराम वर्मा को महासमुंद, केदार कश्यप को कांकेर और ओपी चौधरी को बस्तर लोकसभा सीट की कमान सौंपी गई है.
क्लस्टर प्रभारियों को भी साय कैबिनेट में किया जा सकता है शामिल: वहीं, कुछ पूर्व मंत्रियों को क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है, जिनके जिम्मे तीन से चार लोकसभा सीटें है. पूर्व मंत्री और विधायक राजेश मूणत को दुर्ग, राजनांदगांव, रायपुर और जांजगीर- चांपा लोकसभा सीट का क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है. वहीं, पूर्व मंत्री और विधायक अमर अग्रवाल को बिलासपुर, कोरबा, सरगुजा और रायगढ़ लोकसभा सीट का क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है. इसके अलावा पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर को बस्तर, कांकेर और महासमुंद का क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है. उनके लोकसभा चुनाव के परफॉर्मेंस का असर भी साय कैबिनेट पर देखने को मिल सकता है.
विधायकों को भी मिल सकती है साय कैबिनेट में जगह: इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि वर्तमान में जो मंत्री विधायक लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, यदि वे जीत कर सांसद बनते हैं तो वो विधानसभा सीट खाली हो जाएगा. वहां पर उपचुनाव होंगे. ऐसे में उप चुनाव में जीत हासिल करने वाले विधायकों को भी साय कैबिनेट में जगह मिल सकती है. ऐसे में ये यह सभी मंत्री, विधायक और नेता अपनी-अपनी लोकसभा सीट पर बेहतर प्रदर्शन का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में जिसका परफॉर्मेंस सबसे अच्छा होगा, उसे साय कैबिनेट में जगह मिलने की भी संभावना है. यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के बाद साय कैबिनेट में बड़ा फेरबदल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.