शिमला: हिमाचल में लोकसभा चुनाव सहित विधानसभा उपचुनाव के लिए 7 मई को अधिसूचना जारी होगी. जिसको देखते हुए भाजपा के गढ़ मंडी जिले के तहत करसोग में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहली चुनावी जनसभा 2 मई को पुराना बाजार में होने जा रही है. मंडी में बॉलीवुड क्वीन और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के बेटे पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य के बीच कड़ा मुकाबला है. ऐसे में देश भर की नजरें मंडी लोकसभा की हॉट सीट पर टिकी हैं. यहां कंगना और विक्रमादित्य सिंह के बीच चल रहे सियासी हमले देश भर में मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस मंडी सीट को हल्के में नहीं लेना चाह रही है. इसको देखते हुए सीएम सुखविंदर सिंह की मंडी जिले के तहत करसोग में होने वाली चुनावी जनसभा के लिए सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक भीड़ जुटाने का लक्ष्य दिया गया है, ताकि भाजपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके.
कांग्रेस के लिए आसान नहीं मंडी की राह
पिछले दो लोकसभा और विधानसभा के चुनाव परिणाम को देखें तो कांग्रेस के लिए मंडी की राह आसान नहीं है. मंडी संसदीय क्षेत्र में बॉलीवुड क्वीन कंगना के खिलाफ किंग विक्रमादित्य सिंह को उतारकर कांग्रेस ने भले ही मंडी का मुकाबला दिलचस्प बना दिया है, लेकिन 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव परिणाम के अलावा 2017 और 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस लिए कुछ खास नहीं रहे हैं. दो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी. वहीं, वर्ष 2022 में भले ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी, लेकिन मंडी जिले में कांग्रेस के लिए चुनावी नतीजे सुखद नहीं थे. अब देखना काफी दिलचस्प रहेगा कि इस बार कांग्रेस कैसे मंडी का किला भेद पाती है.
2019 में 4 लाख के अधिक के मार्जिन से हारी थी कांग्रेस
मंडी संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2019 के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए काफी निराशाजनक रहे थे. इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी राम स्वरूप शर्मा 4,05,459 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. भाजपा प्रत्याशी को कुल 6,47,189 वोट पड़े थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा को 2,41,730 मत मिले थे. वोट शेयर की बात करें तो भाजपा को 69.14 फीसदी और कांग्रेस को 28.82 फीसदी मत मिले थे. वहीं, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में चली मोदी की आंधी के आगे कांग्रेस टिक नहीं पाई थी. उस दौरान भाजपा उम्मीदवार राम स्वरूप शर्मा 39,856 मतों के अंतर से अपना पहला चुनाव जीते थे. उनको 3,62,824 वोट मिले थे. वहीं, उनकी प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को 3,22,968 मत प्राप्त हुए थे. वोट शेयर की बात करें तो भाजपा का 49.94 फीसदी और कांग्रेस को 44.46 फीसदी वोट शेयर रहा था.
सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को मिली थी लीड
मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत पांच जिले के कुल 17 विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं. इसमें जिला मंडी के तहत 9, कुल्लू जिले के 4, लाहौल स्पीति का 1, किन्नौर का 1, चंबा जिले का 1 और शिमला जिले का 1 विधानसभा क्षेत्र आता है. पिछली बार के चुनावी नतीजे देखें तो भाजपा को सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में लीड लेने में कामयाब रही थी. इसी तरह से वर्ष 2014 में मोदी की पहली लहर में भाजपा 12 विधानसभा सीटों पर लीड लेने में सफल रही थी. वहीं, कांग्रेस के खाते में केवल पांच विधानसभा क्षेत्र गए थे.
विधानसभा चुनाव में भी भाजपा से पिछड़ी कांग्रेस
मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले 17 विधानसभा क्षेत्र में चुनाव परिणाम के कांग्रेस के लिए संतोषजनक नहीं रहे थे. वर्ष 2022 में मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत 17 सीटों में से कांग्रेस पांच सीटें जीतने में सफल रही थी. वहीं, भाजपा 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब रहेगी. मंडी जिले में कांग्रेस 10 में से केवल मात्र धर्मपुर विधानसभा सीट पर ही जीत हासिल कर पाई थी. इसी तरह से वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मंडी संसदीय क्षेत्र से भाजपा 17 में से 14 सीटें जीती थीं. कांग्रेस के खाते में 2 सीटें गई थी. वहीं, एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. जिला मंडी की बात करें तो 2017 में कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया था. यहां भाजपा ने 10 में से 9 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. राजनीति के जानकार धनंजय शर्मा का कहना है कि मंडी में दो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुकाबले में भाजपा की स्थिति काफी अच्छी रही है. उनका कहना है इस बार फिल्मी अभिनेत्री कंगना रनौत और युवा नेता विक्रमादित्य सिंह के चुनाव मैदान में होने से मुकाबला रोचक रहेगा.