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लोकसभा चुनाव 2024: खूंटी लोकसभा सीट का सफरनामा, यहां से करिया मुंडा ने लगातार 8 बार दर्ज की जीत - खूंटी लोकसभा सीट का इतिहास

खूंटी में 1967 से 2019 तक कुल 14 लोकसभा के चुनाव हुए हैं. जिसमें 8 बार इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा. कहा जा सकता है की खूंटी भारतीय जनता पार्टी के दबदबे वाली सीट है. वर्तमान में 2019 के चुनाव में अर्जुन मुंडा यहां से सांसद हैं. मोदी सरकार में आदिवासी जनजाति है मंत्री हैं.

history of khunti loksabh seat
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 29, 2024, 6:31 AM IST

रांची: झारखंड का खूंटी लोकसभा क्षेत्र नक्सल प्रभावित जिले में आता है. हालांकि खूंटी जिला झारखंड के भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली भी है. भगवान बिरसा मुंडा झारखंड के प्रणेता माने जाते हैं. आजादी की लड़ाई के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी थी. बात खूंटी लोकसभा की करें तो 1967 में यह लोकसभा सीट बनी थी.

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1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जीती

खूंटी में 1967 में हुए पहले लोकसभा चुनाव की बात करें तो इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जीती थी. जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जयसिंह को 24.2 फीसदी वोट मिले. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार पी कच्छप को 21.4 फीसदी वोट मिले थे. भारतीय जनता पार्टी को 15.4 और स्वतंत्र पार्टी को 12.8 फ़ीसदी मत प्राप्त हुए थे.

1971 में कांग्रेस की लहर के बाद भी पार्टी मिली हार

1971 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार की मिरल एनेम होरो ने जीत दर्ज की थी. जिन्हें कुल 29.4 फीसदी वोट मिला था. जबकि भारतीय जनसंघ के करिया मुंडा को 27.8 प्रतिशत वोट मिले थे. ऑल इंडिया झारखंड पार्टी को 16.6 फीसदी जबकि एक अन्य निर्दलीय को 15.9 फ़ीसदी बोर्ड मिले थे.

1977 में भारतीय लोक दल से करिया मुंडा की जीत

1977 के चुनाव में भारतीय लोक दल से करिया मुंडा ने जीत दर्ज की थी. करिया मुंडा को कुल 48.3 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि की निरेल मुंडा झारखंड पार्टी से उम्मीदवार थे. उन्हें 30 फीसदी वोट मिले थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 16 फीसदी वोट मिले थे.

1980 से झारखंड पार्टी से मिरल होरो की जीत

1980 में हुए लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी से मिरल एनेम होरो ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इससे पहले 1971 के चुनाव में इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1980 में झारखंड पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया और इन्हें कुल 35.8 की प्रतिशत वोट मिले थे. 1977 के चुनाव में करिया मुंडा भारतीय लोक दल से इस लोकसभा सीट पर जीते थे. लेकिन 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन 25.7 फीसदी वोट ही इन्हें मिल पाए. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 20-20 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि जनता पार्टी सेकुलर को 7.4 फ़ीसदी रिपोर्ट प्राप्त हुए थे.

1984 में कांग्रेस ने दर्ज की जीत

1984 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यहां से जीती. 39.4 फीसदी मत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मिले. यहां से साइमन तिग्गा ने जीत दर्ज की थी. जबकि इंडिपेंडेंस प्रत्याशी के तौर पर मिरल एनेम होरो दूसरे स्थान पर रहे. इन्हें 26.1 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा को 17 फीसदी वोट मिले थे.

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1989 में फिर जीते करिया मुंडा

1989 खूंटी की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के मजबूत प्रादुर्भाव का समय कहा जा सकता है. जहां करिया मुंडा इस लोकसभा सीट से जीते और उसके बाद लगातार यह सीट बीजेपी के कब्जे में ही रही. बात 1989 के लोकसभा सीट की करें तो करिया मुंडा को कुल 32.5 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि झारखंड दल को 31.30 वोट मिले थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 27.7 फीसदी वोट मिले थे. 1989 में करिया मुंडा के लिए सीट काफी मुश्किल से निकली थी, क्योंकि वोट का अंतर बहुत कम था. झारखंड दल के मिरल एनेम होरो को 31 फीसदी वोट मिले थे. जबकि करिया मुंडा को कुल 32.8 फ़ीसदी वोट मिले थे. 1989 में इस सीट पर जीत का अंतर सिर्फ 1.1 फीसदी का था.

1991 में भी जीते करिया मुंडा

1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा ने खूंटी लोकसभा सीट पर कब्जा किया. इस बार के लोकसभा सीट में उन्हें 35.2 फीसदी मत मिले. जबकि झारखंड पार्टी के निराला हीरो को 22.8 फीसदी वोट मिले. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सीमांत तिग्गा को 20.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

1996 में करिया मुंडा ने लगाई जीत की हैट्रिक

1996 में हुए लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा खूंटी लोकसभा सीट से जीते थे. इस बार उन्हें 32.8 फ़ीसदी वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को 25.7 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा पहली बार 14.4 फ़ीसदी वोट हासिल कर दहाई के अंक में आई थी. वहीं झारखंड पार्टी 14.3 फीसदी वोट प्राप्त कर चौथे स्थान पर चली गई थी.

चौथी बार जीते करिया मुंडा

1998 में भी खूंटी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा और करिया मुंडा ने इस बार भी सीट पर जीत दर्ज की. 1998 की लोकसभा चुनाव में करिया मुंडा को कुल 42.1 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को 33.7 फीसदी वोट और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 13.3 फ़ीसदी वोट मिले थे.

बीजेपी और करिया मुंडा ने फिर दर्ज की जीत

1999 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यहां से भारतीय जनता पार्टी के खाते में ही जीत गई और करिया मुंडा यहां से विजयी हुए. इस बार करिया मुंडा ने कुल 45.5 फ़ीसदी वोट के साथ जीत दर्ज की थी. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सुशीला केरकेट्टा खाते में 39.8 फीसदी वोट आया था.

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लगातार जीत रही बीजेपी बंटवारे के बाद हारी

2004 से पहले संयुक्त बिहार में झारखंड बंटवारे से पहले हुए लगातार पांच चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन बिहार झारखंड के बंटवारे के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के हाथ से चली गई. 2004 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा यहां से जीत दर्ज की. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 44.5 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा को 34 फीसदी वोट मिले थे.

2009 में फिर जीते करिया मुंडा

2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने खूंटी विधायक लोकसभा सीट पर फिर से कब्जा कर लिया. 2004 में यह सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई थी. जबकि उससे पहले पांच बार हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. हालांकि 2009 में करिया मुंडा ने फिर से इस सीट को अपने कब्जे में कर लिया और भारतीय जनता पार्टी को इस बार 41.2 फ़ीसदी वोट मिले. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 2009 के चुनाव में अपने उम्मीदवार को भी बदला था सुशीला खेरकट्टा की जगह नियेल तिर्की को मैदान में उतारा था. हालांकि बदलाव का असर इस सीट पर पड़ा, कांग्रेस को कुल 25.5 फीसदी वोट मिले थे. झारखंड पार्टी को 16.5 फीसदी वोट मिले थे.

2014 में भी बीजेपी को मिली जीत

मोदी के लहर के असर के बीच हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी फिर खूंटी भी लोकसभा सीट पर कब्जा किया था. इस बार करिया मुंडा भारतीय जनता पार्टी से फिर यहां जीते थे. इस बार भारतीय जनता पार्टी को कुल 36.5 फीसदी वोट मिले थे. जबकि झारखंड पार्टी को 24.4 फीसदी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 19.9 फीसदी वोट मिले थे. 2009 में कांग्रेस ने जिसे अपना उम्मीदवार बनाया था. उसने पार्टी बदलकर आज पार्टी से चुनाव लड़ा था और कुल 3.7 फ़ीसदी वोट उन्हें मिल पाया था.

2019 में अर्जुन मुंडा ने दर्ज की जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने खूंटी में बड़ा बदलाव करते हुए करिया मुंडा को इस बात के लिए राजी कर लिया कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें टिकट नहीं देगी. ऐसे में करिया मुंडा ने भारतीय राजनीति से संन्यास ले लिया. खूंटी लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के अधिकार की सीट है. लगातार इस सीट पर करिया मुंडा ने जीत देकर यह बात दर्ज कराई थी.

हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा को यहां से उतार गया, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच काफी कांटे की टक्कर रही. भारतीय जनता पार्टी को कुल 46 फीसदी वोट यहां मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 45.8 फीसदी वोट मिले थे. अर्जुन मुंडा 2019 के लोकसभा चुनाव में 1435 वोट से इस सीट को जीते थे. हालांकि 2019 में मोदी के लहर का असर भी खूब था, लेकिन फिर भी खूंटी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को काफी मेहनत करनी पड़ी.

खूंटी का जो राजनीतिक सफर रहा है और जिस तरीके से बीजेपी ने खूंटी सीट पर कब्जा किया था वह यह साबित करने के लिए काफी है कि खूंटी बीजेपी के दबदबे वाली सीट रही है. लेकिन 2019 में अर्जुन मुंडा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार कालीचरण मुंडा के बीच जिस तरीके की लड़ाई देखी है. वह 2024 के चुनावी समीकरण में निश्चित तौर पर भाजपा के लिए चिंता का विषय कहा जा सकता है. हालांकि वर्तमान समय में अर्जुन मुंडा मोदी सरकार में मंत्री हैं और झारखंड में विकास की कई योजनाओं को ले भी हैं, तो यह माना जा रहा है कि बीजेपी का पक्ष भी मजबूत है.

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1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जीती

खूंटी में 1967 में हुए पहले लोकसभा चुनाव की बात करें तो इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जीती थी. जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जयसिंह को 24.2 फीसदी वोट मिले. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार पी कच्छप को 21.4 फीसदी वोट मिले थे. भारतीय जनता पार्टी को 15.4 और स्वतंत्र पार्टी को 12.8 फ़ीसदी मत प्राप्त हुए थे.

1971 में कांग्रेस की लहर के बाद भी पार्टी मिली हार

1971 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार की मिरल एनेम होरो ने जीत दर्ज की थी. जिन्हें कुल 29.4 फीसदी वोट मिला था. जबकि भारतीय जनसंघ के करिया मुंडा को 27.8 प्रतिशत वोट मिले थे. ऑल इंडिया झारखंड पार्टी को 16.6 फीसदी जबकि एक अन्य निर्दलीय को 15.9 फ़ीसदी बोर्ड मिले थे.

1977 में भारतीय लोक दल से करिया मुंडा की जीत

1977 के चुनाव में भारतीय लोक दल से करिया मुंडा ने जीत दर्ज की थी. करिया मुंडा को कुल 48.3 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि की निरेल मुंडा झारखंड पार्टी से उम्मीदवार थे. उन्हें 30 फीसदी वोट मिले थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 16 फीसदी वोट मिले थे.

1980 से झारखंड पार्टी से मिरल होरो की जीत

1980 में हुए लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी से मिरल एनेम होरो ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इससे पहले 1971 के चुनाव में इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1980 में झारखंड पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया और इन्हें कुल 35.8 की प्रतिशत वोट मिले थे. 1977 के चुनाव में करिया मुंडा भारतीय लोक दल से इस लोकसभा सीट पर जीते थे. लेकिन 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन 25.7 फीसदी वोट ही इन्हें मिल पाए. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 20-20 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि जनता पार्टी सेकुलर को 7.4 फ़ीसदी रिपोर्ट प्राप्त हुए थे.

1984 में कांग्रेस ने दर्ज की जीत

1984 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यहां से जीती. 39.4 फीसदी मत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मिले. यहां से साइमन तिग्गा ने जीत दर्ज की थी. जबकि इंडिपेंडेंस प्रत्याशी के तौर पर मिरल एनेम होरो दूसरे स्थान पर रहे. इन्हें 26.1 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा को 17 फीसदी वोट मिले थे.

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1989 में फिर जीते करिया मुंडा

1989 खूंटी की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के मजबूत प्रादुर्भाव का समय कहा जा सकता है. जहां करिया मुंडा इस लोकसभा सीट से जीते और उसके बाद लगातार यह सीट बीजेपी के कब्जे में ही रही. बात 1989 के लोकसभा सीट की करें तो करिया मुंडा को कुल 32.5 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि झारखंड दल को 31.30 वोट मिले थे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 27.7 फीसदी वोट मिले थे. 1989 में करिया मुंडा के लिए सीट काफी मुश्किल से निकली थी, क्योंकि वोट का अंतर बहुत कम था. झारखंड दल के मिरल एनेम होरो को 31 फीसदी वोट मिले थे. जबकि करिया मुंडा को कुल 32.8 फ़ीसदी वोट मिले थे. 1989 में इस सीट पर जीत का अंतर सिर्फ 1.1 फीसदी का था.

1991 में भी जीते करिया मुंडा

1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा ने खूंटी लोकसभा सीट पर कब्जा किया. इस बार के लोकसभा सीट में उन्हें 35.2 फीसदी मत मिले. जबकि झारखंड पार्टी के निराला हीरो को 22.8 फीसदी वोट मिले. वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सीमांत तिग्गा को 20.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

1996 में करिया मुंडा ने लगाई जीत की हैट्रिक

1996 में हुए लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा खूंटी लोकसभा सीट से जीते थे. इस बार उन्हें 32.8 फ़ीसदी वोट मिले थे जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को 25.7 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा पहली बार 14.4 फ़ीसदी वोट हासिल कर दहाई के अंक में आई थी. वहीं झारखंड पार्टी 14.3 फीसदी वोट प्राप्त कर चौथे स्थान पर चली गई थी.

चौथी बार जीते करिया मुंडा

1998 में भी खूंटी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा और करिया मुंडा ने इस बार भी सीट पर जीत दर्ज की. 1998 की लोकसभा चुनाव में करिया मुंडा को कुल 42.1 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को 33.7 फीसदी वोट और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 13.3 फ़ीसदी वोट मिले थे.

बीजेपी और करिया मुंडा ने फिर दर्ज की जीत

1999 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यहां से भारतीय जनता पार्टी के खाते में ही जीत गई और करिया मुंडा यहां से विजयी हुए. इस बार करिया मुंडा ने कुल 45.5 फ़ीसदी वोट के साथ जीत दर्ज की थी. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सुशीला केरकेट्टा खाते में 39.8 फीसदी वोट आया था.

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लगातार जीत रही बीजेपी बंटवारे के बाद हारी

2004 से पहले संयुक्त बिहार में झारखंड बंटवारे से पहले हुए लगातार पांच चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन बिहार झारखंड के बंटवारे के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के हाथ से चली गई. 2004 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा यहां से जीत दर्ज की. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 44.5 फीसदी वोट मिले थे. जबकि भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा को 34 फीसदी वोट मिले थे.

2009 में फिर जीते करिया मुंडा

2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने खूंटी विधायक लोकसभा सीट पर फिर से कब्जा कर लिया. 2004 में यह सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई थी. जबकि उससे पहले पांच बार हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के करिया मुंडा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. हालांकि 2009 में करिया मुंडा ने फिर से इस सीट को अपने कब्जे में कर लिया और भारतीय जनता पार्टी को इस बार 41.2 फ़ीसदी वोट मिले. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 2009 के चुनाव में अपने उम्मीदवार को भी बदला था सुशीला खेरकट्टा की जगह नियेल तिर्की को मैदान में उतारा था. हालांकि बदलाव का असर इस सीट पर पड़ा, कांग्रेस को कुल 25.5 फीसदी वोट मिले थे. झारखंड पार्टी को 16.5 फीसदी वोट मिले थे.

2014 में भी बीजेपी को मिली जीत

मोदी के लहर के असर के बीच हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी फिर खूंटी भी लोकसभा सीट पर कब्जा किया था. इस बार करिया मुंडा भारतीय जनता पार्टी से फिर यहां जीते थे. इस बार भारतीय जनता पार्टी को कुल 36.5 फीसदी वोट मिले थे. जबकि झारखंड पार्टी को 24.4 फीसदी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 19.9 फीसदी वोट मिले थे. 2009 में कांग्रेस ने जिसे अपना उम्मीदवार बनाया था. उसने पार्टी बदलकर आज पार्टी से चुनाव लड़ा था और कुल 3.7 फ़ीसदी वोट उन्हें मिल पाया था.

2019 में अर्जुन मुंडा ने दर्ज की जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने खूंटी में बड़ा बदलाव करते हुए करिया मुंडा को इस बात के लिए राजी कर लिया कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें टिकट नहीं देगी. ऐसे में करिया मुंडा ने भारतीय राजनीति से संन्यास ले लिया. खूंटी लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के अधिकार की सीट है. लगातार इस सीट पर करिया मुंडा ने जीत देकर यह बात दर्ज कराई थी.

हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा को यहां से उतार गया, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच काफी कांटे की टक्कर रही. भारतीय जनता पार्टी को कुल 46 फीसदी वोट यहां मिले थे. जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 45.8 फीसदी वोट मिले थे. अर्जुन मुंडा 2019 के लोकसभा चुनाव में 1435 वोट से इस सीट को जीते थे. हालांकि 2019 में मोदी के लहर का असर भी खूब था, लेकिन फिर भी खूंटी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को काफी मेहनत करनी पड़ी.

खूंटी का जो राजनीतिक सफर रहा है और जिस तरीके से बीजेपी ने खूंटी सीट पर कब्जा किया था वह यह साबित करने के लिए काफी है कि खूंटी बीजेपी के दबदबे वाली सीट रही है. लेकिन 2019 में अर्जुन मुंडा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार कालीचरण मुंडा के बीच जिस तरीके की लड़ाई देखी है. वह 2024 के चुनावी समीकरण में निश्चित तौर पर भाजपा के लिए चिंता का विषय कहा जा सकता है. हालांकि वर्तमान समय में अर्जुन मुंडा मोदी सरकार में मंत्री हैं और झारखंड में विकास की कई योजनाओं को ले भी हैं, तो यह माना जा रहा है कि बीजेपी का पक्ष भी मजबूत है.

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