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Special : भाजपा के सांसद प्रत्याशियों की पहली लिस्ट, जानिए उलटफेर के पीछे की कहानी

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 3, 2024, 12:27 PM IST

BJP Lok Sabha List in Rajasthan, आम चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा प्रत्याशियों की पहली सूची शनिवार को जारी कर दी. इस लिस्ट में राजस्थान के 15 उम्मीदवारों के नाम भी शामिल हैं. खास बात यह है कि पहली सूची में 7 सीटों पर चेहरों में बदलाव किया गया है, जिसके पीछे पार्टी की चुनावी घेराबंदी और रणनीति को समझना बेहद जरूरी है. होल्ड पर रखी गई 10 सीटों को लेकर भी काफी कुछ अहम होने वाला है.

BJP Lok Sabha List in Rajasthan
BJP Lok Sabha List in Rajasthan

जयपुर. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की पहली सूची में कोटा-बूंदी, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, भरतपुर, अलवर, जालौर-सिरोही, बांसवाड़ा-डूंगरपुर, उदयपुर, चितौड़गढ़, बारां-झालावाड़, सीकर, चूरू, पाली और नागौर लोकसभा सीट के लिए नामों की घोषणा कर दी गई है. जबकि जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, दौसा, राजसमंद, झुंझुनूं, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, श्रीगंगानगर और भीलवाड़ा के नाम अभी जारी होना बाकी है. भाजपा ने अपनी पहली लिस्ट में 7 सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं. इस नीति के पीछे भारतीय जनता पार्टी की गहरी सोच है, जो उनके मिशन 25 को लेकर अहम बताई जा रही है. ईटीवी भारत ने इन्हीं सीटों का आकलन किया है.

चूरू : विधानसभा चुनाव के बाद से ही चूरू में सांसद प्रत्याशी को बदले जाने के कयास लगाए जा रहे थे. तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की चुनाव हारने के पीछे वर्तमान सांसद राहुल कस्वां की भूमिका को लेकर संदेह जाहिर किया जा रहा था. भाजपा ने चूरू में 33 साल पुरानी कस्वां परिवार की विरासत को नजरअंदाज करने के बाद इस बार चेहरा बदल दिया है. अंतर्राष्ट्रीय पैरा खिलाड़ी और स्वच्छ छवि वाले देवेंद्र झांझड़िया को यहां से मौका दिया गया है. जाट के बदले जाट लाकर पार्टी ना सिर्फ वंशवाद के धब्बे को मिटाने का पैगाम दे रही है, बल्कि पार्टी के अंदर मुखालफत करने वाले नेताओं को संदेश भी दे रही है.

बांसवाड़ा-डूंगरपुर : वागड़ में आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने के मकसद से भाजपा ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर आए महेंद्रजीत सिंह मालवीय को उम्मीदवार बनाया है. विधानसभा चुनाव में इस आदिवासी बाहुल्य इलाके में 9 सीटों में से भाजपा महज दो पर जीत हासिल कर सकी थी. ऐसे में एक प्रभावशाली नेता को लाकर भाजपा यहां अपनी रणनीति के तहत कदम उठा रही है.

पढ़ें : सीएम आचार संहिता से पहले बांसवाड़ा आए तो जिला प्रमुख सहित सैकड़ों कांग्रेसी भाजपा में होंगे शामिल : महेंद्रजीत सिंह मालवीय

जालौर-सिरोही : सांसद रहे देवजी पटेल विधानसभा चुनाव में हार गए थे. स्थानीय स्तर पर भी उनका विरोध बढ़ रहा था. लिहाजा, पार्टी मजबूत विकल्प की तलाश कर रही थी. ऐसे में जमीनी कार्यकर्ता के रूप में पार्टी ने लुंबाराम का चुनाव किया.

नागौर : पिछले लोकसभा चुनाव में नागौर सीट पर भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन किया था और हनुमान बेनीवाल को गठबंधन का प्रत्याशी बनाया था. इस बार के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी उनसे पूरी तरह अलग हो गई. किसान आंदोलन के दौरान भी बेनीवाल की बगावत का इस दौरान पूरा ख्याल रखा गया. लिहाजा, बेनीवाल को चुनौती देने के लिए नागौर के परंपरागत मिर्धा परिवार से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा को प्रत्याशी बनाया है. ज्योति मिर्धा कांग्रेस से नागौर सांसद रह चुकी हैं.

भरतपुर : बदले गए चेहरों में भरतपुर से भी भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा सांसद रंजीता कोली की टिकट काट दी है. वह लगातार विवादों में रहीं और क्षेत्र में उनके प्रभाव को लेकर भी पार्टी के अंदर मंथन किया गया. लिहाजा, यहां भाजपा ने रामस्वरूप कोली को मौका दिया है.

उदयपुर : मौजूदा सांसद अर्जुन लाल मीणा के स्वास्थ्य कारणों की वजह पहले से ही इस बात की उम्मीद थी कि उदयपुर से इस बार किसी नए चेहरे को मौका मिलेगा. पार्टी ने यहां मन्नालाल रावत को टिकट दी है. रावत की छवि भी जमीनी कार्यकर्ता वाली है.

पढ़ें : कौन हैं लुंबाराम जिन पर लगाया भाजपा ने जालोर-सिरोही सीट का दांव, देवजी पटेल का कटा टिकट

अलवर : अलवर के तत्कालीन सांसद बाबा बालक नाथ के विधायक चुने जाने के बाद अलवर में किसी मजबूत यादव चेहरे की तलाश भारतीय जनता पार्टी को थी. हालांकि, भूपेंद्र यादव को अब यहां से टिकट मिल चुकी है, लेकिन यादव के हरियाणा के अहिरवाल क्षेत्र में चुनाव लड़े जाने की संभावना पर जोर दिया जा रहा था. संगठन की मजबूत क्षमता रखने वाले भूपेंद्र यादव को अलवर लाकर पार्टी ने स्थानीय स्तर पर नेताओं के बीच मतभेद को खत्म करने की कोशिश की है.

होल्ड रखी गई सीट में यहां रहेगी नजर : भारतीय जनता पार्टी की जयपुर शहर और जयपुर ग्रामीण पर इस बार नए चेहरे आएंगे. ग्रामीण से सांसद रहे राज्यवर्धन सिंह विधायक बन चुके हैं. वहीं, रामचरण बोहरा की जगह पार्टी किसी फ्रेश फेस को मैदान में लाना चाहेगी. दौसा में डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा और मौजूदा सांसद जसकौर मीणा के बीच में मतभेद जारी है. ऐसे में यहां भी चेहरा बदला जाएगा.

राजसमंद में सांसद रहीं दीया कुमारी विधायक बन चुकी हैं. ऐसे में पार्टी किसी मजबूत राजपूत चेहरे को यहां से मैदान में उतरना चाहेगी. वहीं, अजमेर में मौजूदा सांसद रहे भागीरथ चौधरी किशनगढ़ से चुनाव हार गए थे. लिहाजा, पार्टी उन्हें फिर से संसद के तौर पर मौका देने से पहले विचार करेगी. झुंझुनू में भी सांसद नरेंद्र कुमार को शिकायत का सामना करना पड़ा था. ऐसे में उम्मीद है कि पार्टी इस बार शेखावाटी की इस एकमात्र सीट पर इंतजार के बाद चेहरा बदल सकती है.

कमोबेश गंगानगर और करौली-धौलपुर की रिजर्व सीट पर भी भाजपा इस बार नए चेहरे को मैदान में उतारने का मानस बना रही है. टोंक-सवाई माधोपुर में पार्टी अपनी रणनीति मीणा-गुर्जर के जातिगत समीकरण और मौजूदा सांसद सुखबीर जौनापुरिया की सक्रियता को ध्यान में रखकर करना चाहेगी. वहीं, भीलवाड़ा में मौजूदा सांसद सुभाष बेहड़िया को लेकर भी पार्टी चेहरा बदलने के लिए मंथन कर रही है.

जयपुर. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की पहली सूची में कोटा-बूंदी, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, भरतपुर, अलवर, जालौर-सिरोही, बांसवाड़ा-डूंगरपुर, उदयपुर, चितौड़गढ़, बारां-झालावाड़, सीकर, चूरू, पाली और नागौर लोकसभा सीट के लिए नामों की घोषणा कर दी गई है. जबकि जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, दौसा, राजसमंद, झुंझुनूं, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, श्रीगंगानगर और भीलवाड़ा के नाम अभी जारी होना बाकी है. भाजपा ने अपनी पहली लिस्ट में 7 सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं. इस नीति के पीछे भारतीय जनता पार्टी की गहरी सोच है, जो उनके मिशन 25 को लेकर अहम बताई जा रही है. ईटीवी भारत ने इन्हीं सीटों का आकलन किया है.

चूरू : विधानसभा चुनाव के बाद से ही चूरू में सांसद प्रत्याशी को बदले जाने के कयास लगाए जा रहे थे. तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की चुनाव हारने के पीछे वर्तमान सांसद राहुल कस्वां की भूमिका को लेकर संदेह जाहिर किया जा रहा था. भाजपा ने चूरू में 33 साल पुरानी कस्वां परिवार की विरासत को नजरअंदाज करने के बाद इस बार चेहरा बदल दिया है. अंतर्राष्ट्रीय पैरा खिलाड़ी और स्वच्छ छवि वाले देवेंद्र झांझड़िया को यहां से मौका दिया गया है. जाट के बदले जाट लाकर पार्टी ना सिर्फ वंशवाद के धब्बे को मिटाने का पैगाम दे रही है, बल्कि पार्टी के अंदर मुखालफत करने वाले नेताओं को संदेश भी दे रही है.

बांसवाड़ा-डूंगरपुर : वागड़ में आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने के मकसद से भाजपा ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर आए महेंद्रजीत सिंह मालवीय को उम्मीदवार बनाया है. विधानसभा चुनाव में इस आदिवासी बाहुल्य इलाके में 9 सीटों में से भाजपा महज दो पर जीत हासिल कर सकी थी. ऐसे में एक प्रभावशाली नेता को लाकर भाजपा यहां अपनी रणनीति के तहत कदम उठा रही है.

पढ़ें : सीएम आचार संहिता से पहले बांसवाड़ा आए तो जिला प्रमुख सहित सैकड़ों कांग्रेसी भाजपा में होंगे शामिल : महेंद्रजीत सिंह मालवीय

जालौर-सिरोही : सांसद रहे देवजी पटेल विधानसभा चुनाव में हार गए थे. स्थानीय स्तर पर भी उनका विरोध बढ़ रहा था. लिहाजा, पार्टी मजबूत विकल्प की तलाश कर रही थी. ऐसे में जमीनी कार्यकर्ता के रूप में पार्टी ने लुंबाराम का चुनाव किया.

नागौर : पिछले लोकसभा चुनाव में नागौर सीट पर भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन किया था और हनुमान बेनीवाल को गठबंधन का प्रत्याशी बनाया था. इस बार के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी उनसे पूरी तरह अलग हो गई. किसान आंदोलन के दौरान भी बेनीवाल की बगावत का इस दौरान पूरा ख्याल रखा गया. लिहाजा, बेनीवाल को चुनौती देने के लिए नागौर के परंपरागत मिर्धा परिवार से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा को प्रत्याशी बनाया है. ज्योति मिर्धा कांग्रेस से नागौर सांसद रह चुकी हैं.

भरतपुर : बदले गए चेहरों में भरतपुर से भी भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा सांसद रंजीता कोली की टिकट काट दी है. वह लगातार विवादों में रहीं और क्षेत्र में उनके प्रभाव को लेकर भी पार्टी के अंदर मंथन किया गया. लिहाजा, यहां भाजपा ने रामस्वरूप कोली को मौका दिया है.

उदयपुर : मौजूदा सांसद अर्जुन लाल मीणा के स्वास्थ्य कारणों की वजह पहले से ही इस बात की उम्मीद थी कि उदयपुर से इस बार किसी नए चेहरे को मौका मिलेगा. पार्टी ने यहां मन्नालाल रावत को टिकट दी है. रावत की छवि भी जमीनी कार्यकर्ता वाली है.

पढ़ें : कौन हैं लुंबाराम जिन पर लगाया भाजपा ने जालोर-सिरोही सीट का दांव, देवजी पटेल का कटा टिकट

अलवर : अलवर के तत्कालीन सांसद बाबा बालक नाथ के विधायक चुने जाने के बाद अलवर में किसी मजबूत यादव चेहरे की तलाश भारतीय जनता पार्टी को थी. हालांकि, भूपेंद्र यादव को अब यहां से टिकट मिल चुकी है, लेकिन यादव के हरियाणा के अहिरवाल क्षेत्र में चुनाव लड़े जाने की संभावना पर जोर दिया जा रहा था. संगठन की मजबूत क्षमता रखने वाले भूपेंद्र यादव को अलवर लाकर पार्टी ने स्थानीय स्तर पर नेताओं के बीच मतभेद को खत्म करने की कोशिश की है.

होल्ड रखी गई सीट में यहां रहेगी नजर : भारतीय जनता पार्टी की जयपुर शहर और जयपुर ग्रामीण पर इस बार नए चेहरे आएंगे. ग्रामीण से सांसद रहे राज्यवर्धन सिंह विधायक बन चुके हैं. वहीं, रामचरण बोहरा की जगह पार्टी किसी फ्रेश फेस को मैदान में लाना चाहेगी. दौसा में डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा और मौजूदा सांसद जसकौर मीणा के बीच में मतभेद जारी है. ऐसे में यहां भी चेहरा बदला जाएगा.

राजसमंद में सांसद रहीं दीया कुमारी विधायक बन चुकी हैं. ऐसे में पार्टी किसी मजबूत राजपूत चेहरे को यहां से मैदान में उतरना चाहेगी. वहीं, अजमेर में मौजूदा सांसद रहे भागीरथ चौधरी किशनगढ़ से चुनाव हार गए थे. लिहाजा, पार्टी उन्हें फिर से संसद के तौर पर मौका देने से पहले विचार करेगी. झुंझुनू में भी सांसद नरेंद्र कुमार को शिकायत का सामना करना पड़ा था. ऐसे में उम्मीद है कि पार्टी इस बार शेखावाटी की इस एकमात्र सीट पर इंतजार के बाद चेहरा बदल सकती है.

कमोबेश गंगानगर और करौली-धौलपुर की रिजर्व सीट पर भी भाजपा इस बार नए चेहरे को मैदान में उतारने का मानस बना रही है. टोंक-सवाई माधोपुर में पार्टी अपनी रणनीति मीणा-गुर्जर के जातिगत समीकरण और मौजूदा सांसद सुखबीर जौनापुरिया की सक्रियता को ध्यान में रखकर करना चाहेगी. वहीं, भीलवाड़ा में मौजूदा सांसद सुभाष बेहड़िया को लेकर भी पार्टी चेहरा बदलने के लिए मंथन कर रही है.

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