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हरिद्वार में आयोजित कुंभ और महाकुंभ में भी प्रयागराज जैसा दिखा था मंजर, 1986 में 52 लोगों की गई थी जान - PRAYAGRAJ MAHAKUMBH STAMPEDE

हरिद्वार में आयोजित हुए कुंभ और महाकुंभ में भगदड़ होने से सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है.

PRAYAGRAJ MAHAKUMBH STAMPEDE
कुंभ और महाकुंभ के हादसों का इतिहास (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 29, 2025, 5:26 PM IST

देहरादून: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 वर्ष बाद चल रहे महाकुंभ मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर भी संगम में शाही स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचे. इसी बीच आधी रात को भगदड़ मच गई. भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि कई श्रद्धालु घायल हैं. इस दर्दनाक हादसे ने उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में हुईं घटनाओं की याद ताजा कर दी है. दरअसल, हरिद्वार में लगने वाले कुंभ में कई बार इस तरह की घटनाएं हुई हैं, जिनमें सैकड़ों श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है.

सालों से कई कुंभ व धार्मिक आयोजनों को कवर करने वाले लेखक और जानकर आदेश त्यागी ने बताया कि कुंभ की शुरुआत संतों के झगड़ों से होती थी. हर अखाड़ा पहले स्नान करना चाहता था. यही वजह है कि कुंभ मेले में स्नान क्रम को लेकर खून की कई होलियां खेली गईं. समय गुजरता गया और अखाड़ा परिषद के गठन के बाद अखाड़ों का संघर्ष तो खत्म हो गया, लेकिन कुंभ में होने वाली भगदड़ से सैकड़ों लोगों की जान चली गई.हरिद्वार में लगने वाले कुंभ मेले के इतिहास पर नजर डालें, तो लगभग सभी कुंभ किसी ना किसी हादसे की गवाही दे रहे हैं. आदेश त्यागी बताते हैं कि, प्रशासन बीते कई सालों से इस ओर ध्यान दे रहा है कि भीड़ नियंत्रित कैसे हो और संतों के साथ-साथ आम जनता को अलग-अलग मार्गों से डायवर्ट कैसे किया जाए.

PRAYAGRAJ MAHAKUMBH STAMPEDE
कुंभ में साल 1912 से 2011 तक इतने लोगों ने गंवाई जान (photo- ETV Bharat)

कुंभ में साल 1912 से 2011 तक इतने लोगों ने गंवाई जान-

  • साल 1912 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 7 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 1954 में प्रयागराज कुंभ में भगदड़ होने से 800 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 लोग घायल हुए थे.
  • साल 1966 में हरिद्वार कुंभ में सोमवती स्नान पर भगदड़ होने से 12 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 1986 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 52 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 1996 में हरिद्वार कुंभ में सोमवती स्नान पर भगदड़ होने से 22 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2010 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 7 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 11 लोग घायल हुए थे.
  • साल 2011 में हरिद्वार गायत्री कुंभ में भगदड़ होने से 20 लोगों की मौत हुई थी.

प्रशासन का पूरा ध्यान अखाड़ों के शाही स्नान पर: लेखक आदेश त्यागी ने बताया कि प्रशासन का पूरा ध्यान अखाड़ों के शाही स्नान और VIP की व्यवस्थाओं पर होता है. कुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आ रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए साल 2010 तक के कुंभ से भी कोई सबक नहीं लिया गया था, जिसके कारण साल 2011 में भी भगदड़ मच गई थी.

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प्रयागराज में महाकुंभ में भगदड़ के बाद का मंजर (photo- ETV Bharat)

कुंभ में हुए हादसों से किसी ने नहीं लिया सबक: वहीं, हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित बताते हैं कि उनके बड़ों ने यहां कई कुंभ देखे हैं और हर कुंभ में हादसे हुए हैं. कुंभ में अब तक हुए हादसों से किसी ने कुछ नहीं सीखा है. वहीं, अब लोग डर-डर के धार्मिक आयोजनों पर आते हैं. अगर ऐसा चलता रहा तो लोग डर के आगे अपनी आस्था को बोझ समझेंगे और तीर्थ स्थल बड़े आयोजन पर खाली रहेंगे.

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प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में संतों का लगा जमावड़ा (photo- ETV Bharat)

प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से कई लोगों की मौत: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के लिए पहुंची भीड़ में भगदड़ मच गई. घटना में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है. हादसे में 60 लोग घायल हैं. भगदड़ के बाद प्रयागराज महाकुंभ मेला परिसर में VIP पर रोक लगा दी गई है. साथ ही शासन ने प्रयागराज में बेहतर व्यवस्था के लिए कुछ और अनुभवी अधिकारियों को भेजने का निर्णय लिया है.

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मौनी अमावस्या पर करोड़ों लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी (photo- ETV Bharat)

योगी सरकार ने अनुभवी अधिकारियों को प्रयागराज भेजा: महाकुंभ महा मैनेजमेंट के लिए लखनऊ से IAS डॉ. आशीष कुमार गोयल, चेयरमैन UPPCL पूर्व कमिश्नर प्रयागराज, IAS भानु चन्द्र गोस्वामी, राहत आयुक्त पूर्व DM और VC प्रयागराज को भी भेजा जा रहा है. दरअसल, दूसरे शाही स्नान के लिए काफी संख्या में लोग संगम नोज पर मौजूद थे. इस दौरान अफवाह के चलते भगदड़ मच गई. महिला-पुरुष समेत तमाम लोग जमीन पर गिर गए. इसके बाद लोग उन्हें कुचलते हुए आगे बढ़ गए. इससे हालात बिगड़ गए. संगम तट पर से एंबुलेंस के जरिए घायलों को अस्पताल ले जाया गया.

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देहरादून: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 वर्ष बाद चल रहे महाकुंभ मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर भी संगम में शाही स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचे. इसी बीच आधी रात को भगदड़ मच गई. भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि कई श्रद्धालु घायल हैं. इस दर्दनाक हादसे ने उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में हुईं घटनाओं की याद ताजा कर दी है. दरअसल, हरिद्वार में लगने वाले कुंभ में कई बार इस तरह की घटनाएं हुई हैं, जिनमें सैकड़ों श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है.

सालों से कई कुंभ व धार्मिक आयोजनों को कवर करने वाले लेखक और जानकर आदेश त्यागी ने बताया कि कुंभ की शुरुआत संतों के झगड़ों से होती थी. हर अखाड़ा पहले स्नान करना चाहता था. यही वजह है कि कुंभ मेले में स्नान क्रम को लेकर खून की कई होलियां खेली गईं. समय गुजरता गया और अखाड़ा परिषद के गठन के बाद अखाड़ों का संघर्ष तो खत्म हो गया, लेकिन कुंभ में होने वाली भगदड़ से सैकड़ों लोगों की जान चली गई.हरिद्वार में लगने वाले कुंभ मेले के इतिहास पर नजर डालें, तो लगभग सभी कुंभ किसी ना किसी हादसे की गवाही दे रहे हैं. आदेश त्यागी बताते हैं कि, प्रशासन बीते कई सालों से इस ओर ध्यान दे रहा है कि भीड़ नियंत्रित कैसे हो और संतों के साथ-साथ आम जनता को अलग-अलग मार्गों से डायवर्ट कैसे किया जाए.

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कुंभ में साल 1912 से 2011 तक इतने लोगों ने गंवाई जान (photo- ETV Bharat)

कुंभ में साल 1912 से 2011 तक इतने लोगों ने गंवाई जान-

  • साल 1912 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 7 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 1954 में प्रयागराज कुंभ में भगदड़ होने से 800 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 लोग घायल हुए थे.
  • साल 1966 में हरिद्वार कुंभ में सोमवती स्नान पर भगदड़ होने से 12 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 1986 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 52 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 1996 में हरिद्वार कुंभ में सोमवती स्नान पर भगदड़ होने से 22 लोगों की मौत हुई थी.
  • साल 2010 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 7 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 11 लोग घायल हुए थे.
  • साल 2011 में हरिद्वार गायत्री कुंभ में भगदड़ होने से 20 लोगों की मौत हुई थी.

प्रशासन का पूरा ध्यान अखाड़ों के शाही स्नान पर: लेखक आदेश त्यागी ने बताया कि प्रशासन का पूरा ध्यान अखाड़ों के शाही स्नान और VIP की व्यवस्थाओं पर होता है. कुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आ रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए साल 2010 तक के कुंभ से भी कोई सबक नहीं लिया गया था, जिसके कारण साल 2011 में भी भगदड़ मच गई थी.

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प्रयागराज में महाकुंभ में भगदड़ के बाद का मंजर (photo- ETV Bharat)

कुंभ में हुए हादसों से किसी ने नहीं लिया सबक: वहीं, हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित बताते हैं कि उनके बड़ों ने यहां कई कुंभ देखे हैं और हर कुंभ में हादसे हुए हैं. कुंभ में अब तक हुए हादसों से किसी ने कुछ नहीं सीखा है. वहीं, अब लोग डर-डर के धार्मिक आयोजनों पर आते हैं. अगर ऐसा चलता रहा तो लोग डर के आगे अपनी आस्था को बोझ समझेंगे और तीर्थ स्थल बड़े आयोजन पर खाली रहेंगे.

PRAYAGRAJ MAHAKUMBH STAMPEDE
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में संतों का लगा जमावड़ा (photo- ETV Bharat)

प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से कई लोगों की मौत: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के लिए पहुंची भीड़ में भगदड़ मच गई. घटना में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है. हादसे में 60 लोग घायल हैं. भगदड़ के बाद प्रयागराज महाकुंभ मेला परिसर में VIP पर रोक लगा दी गई है. साथ ही शासन ने प्रयागराज में बेहतर व्यवस्था के लिए कुछ और अनुभवी अधिकारियों को भेजने का निर्णय लिया है.

PRAYAGRAJ MAHAKUMBH STAMPEDE
मौनी अमावस्या पर करोड़ों लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी (photo- ETV Bharat)

योगी सरकार ने अनुभवी अधिकारियों को प्रयागराज भेजा: महाकुंभ महा मैनेजमेंट के लिए लखनऊ से IAS डॉ. आशीष कुमार गोयल, चेयरमैन UPPCL पूर्व कमिश्नर प्रयागराज, IAS भानु चन्द्र गोस्वामी, राहत आयुक्त पूर्व DM और VC प्रयागराज को भी भेजा जा रहा है. दरअसल, दूसरे शाही स्नान के लिए काफी संख्या में लोग संगम नोज पर मौजूद थे. इस दौरान अफवाह के चलते भगदड़ मच गई. महिला-पुरुष समेत तमाम लोग जमीन पर गिर गए. इसके बाद लोग उन्हें कुचलते हुए आगे बढ़ गए. इससे हालात बिगड़ गए. संगम तट पर से एंबुलेंस के जरिए घायलों को अस्पताल ले जाया गया.

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