रायपुर: आज के इस दौर में इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंट आने के बाद भले ही ढोलक की मांग कम हो गई हो. लेकिन फुटपाथ पर, कुछ गिने चुने दुकानों में आज भी ढोलक देखने को मिलते हैं. ढोलक बनाने वाले कारीगर देश भर के अलग-अलग राज्यों में घूम-घूमकर ढोलक बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं.
कुछ लोग करते हैं परेशान: मौसम चाहे गर्मी का हो, बारिश का मौसम हो या फिर सर्दी का मौसम. खुले आसमान के नीचे ये अपना गुजर बसर करते हैं. एक राज्य में लगभग एक महीने तक रहने के बाद फिर दूसरे राज्य की ओर ये रुख करते हैं. बस इसी तरह की जिंदगी ढोलक बनाने वाले कारीगरों की रह गई है. ढोलक बनाने वाले कारीगरों के साथ कुछ लोग मारपीट करने के साथ ही फ्री में ढोलक भी उठाकर ले जाते हैं.
जानिए क्या कहते हैं ढोलक कारीगर: ऐसे ही कुछ ढोलक बनाने वाले कारीगरों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. ढोलक बनाने वाले कारीगर किस्मत अली ने बताया कि "ऐसे लगभग 12 परिवार हैं, जो पूर्वजों के जमाने से ढोलक बनाने का काम करते आ रहे हैं. ढोलक बनाकर ये अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं. एक राज्य में एक महीने तक रहकर ढोलक बनाने के साथ ही ढोलक बेचने के बाद फिर दूसरे राज्यों की ओर रुख करते हैं."
"सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठकर मेहनत के बाद ढोलक तैयार होता है. जब भी शहर में घूम-घूम कर ढोलक बेचे जाते हैं तो शराब पीकर कुछ लोगों के द्वारा ढोलक भी छीन लिया जाता है. कुछ ऐसे ग्राहक भी आते हैं, जो ढोलक तो ले जाते हैं लेकिन पैसा देकर नहीं जाते. कुछ ऐसे लोग भी आते हैं जो दादागिरी दिखाकर बिना पैसे की ही ढोलक उठाकर ले जाते हैं." : मोहम्मद रिजवान अली, ढोलक बेचने वाले
दो चीजों से बनाई जाती है ढोलक: दरअसल, ढोलक लकड़ी और खड्डे से बनाई जाती है. लकड़ी से बनाई गई ढोलक की कीमत ज्यादा होने के साथ ही मजबूत होती है. खड्डे से बनी हुई ढोलक की कीमत कम होती है. लेकिन लंबे समय तक ढोलक का इस्तेमाल करने वाले लोग लकड़ी का ढोलक खरीदते हैं. ढोलक की कीमत 150 रुपए से लेकर 4500 रुपए तक हैं. महंगी और लकड़ी के ढोलक की डिमांड भजन मंडली और आर्केस्ट्रा के लिए होता है. शीशम, सागौन, कटहल और आम के लकड़ी से ढोलक बनते हैं. सबसे ज्यादा मजबूत और लंबे समय तक लकड़ी के ढोलक चलते हैं.