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काम में कोताही बरतने पर आईएएस अधिकारी की सभी सेवाओं को सरेंडर करने का LG ने दिया आदेश - LG Action on IAS

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 21, 2024, 8:31 AM IST

उपराज्यपाल ने आदेश दिया है कि आईएएस की सेवाएं सरेंडर कर दी जाएं और उन्हें अपने मूल संवर्ग (कैडर) में भेज दिया जाए. विकास सिंह के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि उन्हें उपराज्यपाल ने ड्रोन सर्वेक्षणों के उपयोग से एक महत्वपूर्ण मुद्दे का समाधान करने को कहा गया था, लेकिन इस संबंध में कुछ नहीं हुआ.

एलजी वीके सक्सेना
एलजी वीके सक्सेना (ETV Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, अवैध निर्माण का पता लगाने के लिए ड्रोन द्वारा सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने का आदेश की तामील नहीं करना वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को भारी पड़ गया. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने तुरंत प्रभाव से वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व भूमि प्रबंधन आयुक्त विकास सिंह से उनको सौंपे गए कार्य सरेंडर करने का आदेश दिया है.

एक्शन के लिए लिखा गया लेटर
एक्शन के लिए लिखा गया लेटर (ETV Bharat)

उपराज्यपाल के प्रधान सचिव आशीष कुंद्रा ने उपराज्यपाल की तरफ जारी आदेश में कहा है कि उन्होंने अधिकारी का लापरवाहीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने पर यह कार्रवाई की है. आईएएस अधिकारी विकास सिंह जोकि भूमि प्रबंधन आयुक्त हैं उनके खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि उन्हें सौंपे गए कार्य में उनका योगदान निम्न स्तर का रहा है.

LG का ये है आदेश

उपराज्यपाल ने आदेश दिया है कि उनकी सेवाएँ सरेंडर कर दी जाएं और उन्हें अपने मूल संवर्ग (कैडर) में भेज दिया जाए. विकास सिंह के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि उन्हें उपराज्यपाल ने ड्रोन सर्वेक्षणों के उपयोग से एक महत्वपूर्ण मुद्दे का समाधान करने को कहा गया था. जिसमें भूमि की वर्तमान स्थिति निर्धारित करने के लिए डेटा तैयार करना और उसका विश्लेषण करना अतिक्रमण, अनधिकृत निर्माण, परिवर्तन का पता लगाना आदि शामिल था.

इस संबंध में पिछले जून माह में उपराज्यपाल की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. पहली बैठक 6 जून को दूसरी बैठक 2 अगस्त और तीसरी बैठक 16 अगस्त को हुई थी. इन बैठकों में दिल्ली के मुख्य सचिव, एमसीडी के कमिश्नर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे. वर्ष 2019 में डीडीए और सर्वे ऑफ इंडिया के बीच त्रिपक्षीय समझौता जिसमें एमसीडी को भी शामिल किया गया था.

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि ड्रोन सर्वेक्षण से दिल्ली के सभी संबंधित सरकारी संगठनों एजेंसियों की जमीन मुक्त कराई जाए. लेकिन यह गंभीर चिंता का विषय है कि जून में ही दिए गए निर्देश के बावजूद डीडीए, एमसीडी और सर्वे ऑफ इंडिया के त्रिपक्षीय समझौते के तहत एक सप्ताह में जिस काम को अंतिम रूप देना था, इस संबंध में कुछ नहीं हुआ है. आगे, 16 अगस्त को बैठक के दौरान भूमि आयुक्त विकास सिंह ने लीपापोती करने की कोशिश की, जबकि बैठक में उपस्थित सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अभी तक एग्रीमेंट की कॉपी भी नहीं मिली है. जिसके बाद उपराज्यपाल ने जिम्मेदार आईएएस अधिकारी विकास सिंह के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन्हें सौंपे गए कार्य और उनकी सेवाएँ सरेंडर करने का आदेश दिया है. अधिकारी को अपने मूल संवर्ग में प्रत्यावर्तन के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को कहा गया है.

ये भी पढ़ेंः एलजी वीके सक्सेना ने 8 IAS का किया तबादला, चंचल यादव बनीं गृह सचिव

नई दिल्ली: दिल्ली में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, अवैध निर्माण का पता लगाने के लिए ड्रोन द्वारा सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने का आदेश की तामील नहीं करना वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को भारी पड़ गया. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने तुरंत प्रभाव से वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व भूमि प्रबंधन आयुक्त विकास सिंह से उनको सौंपे गए कार्य सरेंडर करने का आदेश दिया है.

एक्शन के लिए लिखा गया लेटर
एक्शन के लिए लिखा गया लेटर (ETV Bharat)

उपराज्यपाल के प्रधान सचिव आशीष कुंद्रा ने उपराज्यपाल की तरफ जारी आदेश में कहा है कि उन्होंने अधिकारी का लापरवाहीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने पर यह कार्रवाई की है. आईएएस अधिकारी विकास सिंह जोकि भूमि प्रबंधन आयुक्त हैं उनके खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि उन्हें सौंपे गए कार्य में उनका योगदान निम्न स्तर का रहा है.

LG का ये है आदेश

उपराज्यपाल ने आदेश दिया है कि उनकी सेवाएँ सरेंडर कर दी जाएं और उन्हें अपने मूल संवर्ग (कैडर) में भेज दिया जाए. विकास सिंह के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि उन्हें उपराज्यपाल ने ड्रोन सर्वेक्षणों के उपयोग से एक महत्वपूर्ण मुद्दे का समाधान करने को कहा गया था. जिसमें भूमि की वर्तमान स्थिति निर्धारित करने के लिए डेटा तैयार करना और उसका विश्लेषण करना अतिक्रमण, अनधिकृत निर्माण, परिवर्तन का पता लगाना आदि शामिल था.

इस संबंध में पिछले जून माह में उपराज्यपाल की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. पहली बैठक 6 जून को दूसरी बैठक 2 अगस्त और तीसरी बैठक 16 अगस्त को हुई थी. इन बैठकों में दिल्ली के मुख्य सचिव, एमसीडी के कमिश्नर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे. वर्ष 2019 में डीडीए और सर्वे ऑफ इंडिया के बीच त्रिपक्षीय समझौता जिसमें एमसीडी को भी शामिल किया गया था.

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि ड्रोन सर्वेक्षण से दिल्ली के सभी संबंधित सरकारी संगठनों एजेंसियों की जमीन मुक्त कराई जाए. लेकिन यह गंभीर चिंता का विषय है कि जून में ही दिए गए निर्देश के बावजूद डीडीए, एमसीडी और सर्वे ऑफ इंडिया के त्रिपक्षीय समझौते के तहत एक सप्ताह में जिस काम को अंतिम रूप देना था, इस संबंध में कुछ नहीं हुआ है. आगे, 16 अगस्त को बैठक के दौरान भूमि आयुक्त विकास सिंह ने लीपापोती करने की कोशिश की, जबकि बैठक में उपस्थित सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अभी तक एग्रीमेंट की कॉपी भी नहीं मिली है. जिसके बाद उपराज्यपाल ने जिम्मेदार आईएएस अधिकारी विकास सिंह के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन्हें सौंपे गए कार्य और उनकी सेवाएँ सरेंडर करने का आदेश दिया है. अधिकारी को अपने मूल संवर्ग में प्रत्यावर्तन के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को कहा गया है.

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