रांचीः झारखंड में बंगलादेशी घुसपैठ और इस वजह से संथाल क्षेत्र में बदल रही डेमोग्राफी का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को सदन के अंदर और बाहर यह मुद्दा छाया रहा. इस मुद्दे पर मुखर रही बीजेपी का मानना है कि सत्तारुढ़ दल इसे वोट बैंक के रुप में इस्तेमाल करने की वजह से चुप है. वहीं सत्ताधारी दल जेएमएम कांग्रेस और राजद के द्वारा इसे समाज को तोड़ने वाली साजिश बताया है.
नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने सरकार की कार्यशैली की आलोचना करते हुए सदन के बाहर जमकर भरास निकालते नजर आए. उन्होंने मीडियाकर्मियों के समक्ष संथाल में बंगलादेशी घुसपैठिए को फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर एससी की हकमारी कर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का आरोप लगाया. उन्होंने इस संबंध में संथाल के कुछ लोगों का नाम दस्तावेज के साथ मीडियाकर्मियों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार इनपर कारवाई करने के बजाय वोट बैंक की खातिर संरक्षण देने का काम कर रही है.
पाकुड़ में आदिवासी छात्रों पर हमले की निंदा
नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने पाकुड़ के हॉस्टल में आदिवासी छात्रों पर हुए हमले की निंदा की है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में अस्मिता की लड़ाई खड़ी हुई है खासकर माटी बेटी रोटी की लड़ाई खड़ी हुई है उस पर सरकार की रहस्यमयी चुप्पी समझ से परे है. जिस तरह से यहां के आदिवासियों की जमीन सरकार लूटने दे रही है, बेटियों के साथ अत्याचार को भी आप बर्दाश्त कर रहे हैं यहां की मिट्टी भी लूटी जा रही है और आप कुछ नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरा संथाल परगना में आदिवासी की संख्या में गिरावट आयी है वैसे तो समस्त झारखंड प्रदेश में हो रही है लेकिन वहां तो भयंकर गिरावट आया है लेकिन राज्य सरकार चुप है.
देखिए किस प्रकार झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार झारखंड में दलितों का हकमारी खुलेआम कर रही है ⏬
— Amar Kumar Bauri (@amarbauri) July 29, 2024
झारखंड में सार्वजनिक राशन वितरण दुकानों के आवंटन के उदाहरण देखिए 👀
दुकान का आवंटन जिन मुस्लिम परिवारों को हुआ है, उनका कास्ट एससी यानी अनुसूचित जाति बताया गया है।
बांग्लादेशियों और… pic.twitter.com/QL2oa57f9R
'मामले को बदलने की कोशिश'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब हम लोगों ने कहा कि दांदू हेम्ब्रम और होपनी मरांडी की जमीन कैसे लूट ली गई और उस जमीन पर वापस काबिज होने के लिए प्रयास किया गया तो किस तरह से बांग्लादेशी घुसपैठियों ने उन्हें मार भगाया. जब केस हुआ तब संज्ञान में आया और ताज्जुब की बात है कि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पाकुड़ के छात्रों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का निर्णय लिया. उसके बाद सरकार के इशारे पर पुलिस और पुलिस के वर्दी में छुपे गुंडों ने आदिवासी छात्रों के साथ मारपीट किया और पूरे मामले को बदलने की कोशिश कर दी. उन्होंने कहा कि यह सरकार मुखौटा पहन कर रखी है आदिवासी मूलवासी हित की. अगर वह रैली और आंदोलन होता तो वह मुखौटा बाहर निकल जाता मगर सरकार के द्वारा मनगढ़ंत कहानी बनकर उसे डाइल्यूट करने की कोशिश की गयी.
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