लखनऊ: प्रधानमंत्री आवास को लेकर लखनऊ में करीब 9000 लोग लंबे समय से लॉटरी का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि अकबर नगर से हटाए गए लोगों को प्रधानमंत्री आवास दिए जाने की वजह से अन्य आवेदकों की फाइल अब तक सत्यापन के लिए डूडा में अटकी हुई थी. आखिरकार लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने डूडा के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह जल्द से जल्द आवेदकों का सत्यापन करें ताकि LDA योजना की लॉटरी कर आवंटन कर सके.
बता दें कि पीएम आवास योजना के तहत तैयार किए गए इन फ्लैटों की कीमत करीब 7.5 लाख रुपए हैं. इसमें 2.5 रुपए का अनुदान पीएम आवास योजना के तहत आवेदकों को मिल जाएगा. आवेदकों को केवल 5 लाख रुपए का किश्तों में भुगतान करना होगा. इन फ्लैटों की लाटरी को लेकर आवेदक इंतजार कर रहे थे.
हाल ही में लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार और लखनऊ में डूडा के महत्वपूर्ण अधिकारियों के बीच में बैठक हुई थी. उन्होंने बताया कि बैठक में प्रधानमंत्री आवासों के सत्यापन को लेकर जोर दिया गया. कहा गया है कि जल्द से जल्द आवेदकों का सत्यापन कर सूची प्राधिकरण को उपलब्ध करा दी जाए ताकि पात्र आवेदकों के बीच में लॉटरी कराकर उन्हें फ्लैट आवंटित किए जा सकें.
बता दें कि पिछले करीब 10 महीनों से इस योजना के लगभग 9000 आवेदक इंतजार कर रहे हैं. लॉटरी ना होने से उनका सब्र टूट रहा है. सभी इस इंतजार में लगे हुए हैं जब लॉटरी आएगी तो उनको प्रधानमंत्री आवास मिलेगा मगर लखनऊ विकास प्राधिकरण अब तक कुछ तय नहीं कर पाया है. इसकी वजह है कि डूडा की ओर से अब तक इन आवेदकों का सत्यापन नहीं किया जा सका है. इसकी वजह से लॉटरी नहीं हो सकी है. अब यह कहा जा रहा है की फ्लैटों की कुल संख्या 4500 से घटकर लगभग 2300 रह गई है. 2200 फ्लैट अकबरनगर के विस्थापितों को दिए जा चुके हैं. इससे अब आवेदकों की दिक्कतें बढ़ेंगी.
4500 प्रधानमंत्री आवास के लिए 9000 आवेदकों ने आवेदन किए थे. आवेदक तो उतने ही है लेकिन फ्लैटों की संख्या घटकर 2300 ही रह गई है. अकबरनगर के विस्थापितों की वजह से इन सामान्य आवेदकों को अब परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सितंबर 2023 में 4500 प्रधानमंत्री आवासों के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने आवेदन निकाला था. कई महीने तक चले पंजीकरण के बाद लगभग 9000 लोगों ने आवेदन किया था. पंजीकरण राशि के तौर पर 10000 रुपए जमा कराए गए थे. लगभग 9 करोड़ रुपए एलडीए के खाते में जमा हो गए थे. इन आवासों के लिए सालाना आय तीन लाख रुपए से कम निर्धारित की गई थी. इनका वेरिफिकेशन डूडा से किया जाना था. पंजीकरण के बीच में ही अकबरनगर का मामला आ गया था. अकबरनगर के विस्थापितों को इस योजना के तहत 2200 फ्लैट आवंटित कर दिए गए. सामान्य पंजीकरण कराने वाले अभी तक बचे हुए फ्लैटों की लाटरी का इंतजार कर रहे हैं.
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