ETV Bharat / state

अंतिम दिन अक्षयवट में पिंडदान का विधान, वंशज को आशीर्वाद देकर अक्षय ब्रह्मलोक को प्राप्त हो जाते हैं पितर - Pitru Paksha 2024

Pitru Paksha Mela In Gaya: 17 सितंबर से शुरु हुआ पितृपक्ष मेला अब अंतिम दौर में पहुंच चुका है, आज इसका समापन हो रहा है. 16वें दिन आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि को अक्षयवट में पिंडदान का विधान है, ऐसा करने से पितर अपने वंशज को आशीर्वाद देकर अक्षय ब्रह्मलोक को प्राप्त हो जाते हैं.

Gaya Pitru Paksha Mela
गया पितृपक्ष मेला का अंतिम दिन (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 2, 2024, 7:52 AM IST

गया: आज गया पितृपक्ष मेला 2024 का अंतिम दिन है. इस दिन आश्विन कृष्ण अमावस्या को अक्षय वट के नीचे पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने का विधान है. यहीं पर गया पाल पंडितों के द्वारा तीर्थ यात्रियों को सुफल विदाई दी जाती है. 17 सितंबर से पितृपक्ष मेला पुनपुन से शुरू हुआ था और आज 2 अक्टूबर को अक्षय वट में पिंडदान ब्राह्मण भोजन और गयापाल पंडों के द्वारा सुफल के साथ समाप्त हो जाएगा.

आज अक्षयवट में पिंडदान का विधान: पितृपक्ष मेले के 16वें और अंतिम दिन खोवा, खीर, जौ से पिंडदान करने का विधान है. मान्यता है कि अक्षय वट में पिंडदान का कर्मकांड पूरा करने और गयापाल पंडा से सुफल लेने के बाद पितर अपने वंशज को आशीर्वाद देते हुए अक्षय ब्रह्म लोग को प्राप्त हो जाते हैं.

Gaya Pitru Paksha Mela
आज अक्षयवट में पिंडदान का विधान (ETV Bharat)

अंतिम दिन ब्राह्मण भोजन कराने का विधान: पितृ पक्ष मेले के 16वें दिन को आश्विन कृष्ण अमावस्या है. इस तिथि को अक्षयवट पिंड बेदी के पास पिंडदान ब्राह्मण भोजन और गयापाल पंडों से सुफल के साथ समाप्ति का दिन है. अक्षयवट में पिंडदान के बाद तीर्थ यात्री अपने घरों को लौटने लगते हैं. अक्षय वट में पितृपक्ष मेले के अंतिम दिन काफी भीड़ उमड़ती है. अक्षय वट में पिंडदान करने का बड़ा ही माहत्मय है.

Gaya Pitru Paksha Mela
पितृपक्ष के अंतिम दिन ब्राह्मण भोजन कराने का विधान (ETV Bharat)

अक्षय वट वृक्ष को अमरत्व का वरदान: इस अक्षय वट की कहानी माता सीता से भी जुड़ी हुई है. माता सीता ने जब अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था तो जंगल से पिंडदान की सामग्री लेकर लौटे प्रभु श्रीराम ने साक्ष्य के तौर पर साक्षी बताने को कहा था. साक्षी के रूप में सिर्फ वट वृक्ष ने ही सच बताया कि माता सीता ने बालू के पिंड से पिंडदान किया है. बाकी फल्गु गाय ब्राह्मण समेत चार ने झूठ बोल दिया था, जिसके बाद माता सीता ने फल्गु को अंत सलीला होने का श्राप दिया था. वहीं, अक्षय वट को अमरत्व का वरदान दिया था, तब से अक्षय वट यहां विराजमान हैं. युगो-युगो से अक्षयवट गया जी धाम में है.

ये भी पढ़ें:

आज वैतरणी सरोवर पर तर्पण और गोदान का विधान, पिंडदान से 21 कुलों का होता है उद्धार - Pitru Paksha 2024

पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए विदेशियों ने गया में किया पिंडदान, पूर्वजों को याद कर हुए भावुक - Pitru Paksha 2024

मोक्ष नगरी का नाम कैसे पड़ा 'गयाजी' ? रोचक है पुराणों में वर्णित है कहानी - Pitru Paksha 2024

यहां पांडवों ने किया था महाभारत में मारे गए लोगों का पिंडदान, 'त्रिपिंडी श्राद्ध' का जानें महत्व - PITRU PAKSHA 2024

क्या है 'प्रेतशिला पर्वत' का रहस्य, रात को सुनाई देती हैं तरह-तरह की आवाजें - Pitru Paksha 2024

पहले अंत्येष्टि फिर गंगा में अस्थि विसर्जन और अब गया पितृपक्ष मेले में पिंडदान, लावारिस शवों के वारिस हैं विष्णु कुमार - Pitru paksha 2024

यहां खंभों में हैं भगवान, पिंडदान के बाद पिंड को स्तंभों में चिपकाया जाता है, पितरों का खुलता है मोक्ष का द्वार - PITRU PAKSHA 2024

गया: आज गया पितृपक्ष मेला 2024 का अंतिम दिन है. इस दिन आश्विन कृष्ण अमावस्या को अक्षय वट के नीचे पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने का विधान है. यहीं पर गया पाल पंडितों के द्वारा तीर्थ यात्रियों को सुफल विदाई दी जाती है. 17 सितंबर से पितृपक्ष मेला पुनपुन से शुरू हुआ था और आज 2 अक्टूबर को अक्षय वट में पिंडदान ब्राह्मण भोजन और गयापाल पंडों के द्वारा सुफल के साथ समाप्त हो जाएगा.

आज अक्षयवट में पिंडदान का विधान: पितृपक्ष मेले के 16वें और अंतिम दिन खोवा, खीर, जौ से पिंडदान करने का विधान है. मान्यता है कि अक्षय वट में पिंडदान का कर्मकांड पूरा करने और गयापाल पंडा से सुफल लेने के बाद पितर अपने वंशज को आशीर्वाद देते हुए अक्षय ब्रह्म लोग को प्राप्त हो जाते हैं.

Gaya Pitru Paksha Mela
आज अक्षयवट में पिंडदान का विधान (ETV Bharat)

अंतिम दिन ब्राह्मण भोजन कराने का विधान: पितृ पक्ष मेले के 16वें दिन को आश्विन कृष्ण अमावस्या है. इस तिथि को अक्षयवट पिंड बेदी के पास पिंडदान ब्राह्मण भोजन और गयापाल पंडों से सुफल के साथ समाप्ति का दिन है. अक्षयवट में पिंडदान के बाद तीर्थ यात्री अपने घरों को लौटने लगते हैं. अक्षय वट में पितृपक्ष मेले के अंतिम दिन काफी भीड़ उमड़ती है. अक्षय वट में पिंडदान करने का बड़ा ही माहत्मय है.

Gaya Pitru Paksha Mela
पितृपक्ष के अंतिम दिन ब्राह्मण भोजन कराने का विधान (ETV Bharat)

अक्षय वट वृक्ष को अमरत्व का वरदान: इस अक्षय वट की कहानी माता सीता से भी जुड़ी हुई है. माता सीता ने जब अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था तो जंगल से पिंडदान की सामग्री लेकर लौटे प्रभु श्रीराम ने साक्ष्य के तौर पर साक्षी बताने को कहा था. साक्षी के रूप में सिर्फ वट वृक्ष ने ही सच बताया कि माता सीता ने बालू के पिंड से पिंडदान किया है. बाकी फल्गु गाय ब्राह्मण समेत चार ने झूठ बोल दिया था, जिसके बाद माता सीता ने फल्गु को अंत सलीला होने का श्राप दिया था. वहीं, अक्षय वट को अमरत्व का वरदान दिया था, तब से अक्षय वट यहां विराजमान हैं. युगो-युगो से अक्षयवट गया जी धाम में है.

ये भी पढ़ें:

आज वैतरणी सरोवर पर तर्पण और गोदान का विधान, पिंडदान से 21 कुलों का होता है उद्धार - Pitru Paksha 2024

पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए विदेशियों ने गया में किया पिंडदान, पूर्वजों को याद कर हुए भावुक - Pitru Paksha 2024

मोक्ष नगरी का नाम कैसे पड़ा 'गयाजी' ? रोचक है पुराणों में वर्णित है कहानी - Pitru Paksha 2024

यहां पांडवों ने किया था महाभारत में मारे गए लोगों का पिंडदान, 'त्रिपिंडी श्राद्ध' का जानें महत्व - PITRU PAKSHA 2024

क्या है 'प्रेतशिला पर्वत' का रहस्य, रात को सुनाई देती हैं तरह-तरह की आवाजें - Pitru Paksha 2024

पहले अंत्येष्टि फिर गंगा में अस्थि विसर्जन और अब गया पितृपक्ष मेले में पिंडदान, लावारिस शवों के वारिस हैं विष्णु कुमार - Pitru paksha 2024

यहां खंभों में हैं भगवान, पिंडदान के बाद पिंड को स्तंभों में चिपकाया जाता है, पितरों का खुलता है मोक्ष का द्वार - PITRU PAKSHA 2024

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.