गया: आज गया पितृपक्ष मेला 2024 का अंतिम दिन है. इस दिन आश्विन कृष्ण अमावस्या को अक्षय वट के नीचे पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने का विधान है. यहीं पर गया पाल पंडितों के द्वारा तीर्थ यात्रियों को सुफल विदाई दी जाती है. 17 सितंबर से पितृपक्ष मेला पुनपुन से शुरू हुआ था और आज 2 अक्टूबर को अक्षय वट में पिंडदान ब्राह्मण भोजन और गयापाल पंडों के द्वारा सुफल के साथ समाप्त हो जाएगा.
आज अक्षयवट में पिंडदान का विधान: पितृपक्ष मेले के 16वें और अंतिम दिन खोवा, खीर, जौ से पिंडदान करने का विधान है. मान्यता है कि अक्षय वट में पिंडदान का कर्मकांड पूरा करने और गयापाल पंडा से सुफल लेने के बाद पितर अपने वंशज को आशीर्वाद देते हुए अक्षय ब्रह्म लोग को प्राप्त हो जाते हैं.
अंतिम दिन ब्राह्मण भोजन कराने का विधान: पितृ पक्ष मेले के 16वें दिन को आश्विन कृष्ण अमावस्या है. इस तिथि को अक्षयवट पिंड बेदी के पास पिंडदान ब्राह्मण भोजन और गयापाल पंडों से सुफल के साथ समाप्ति का दिन है. अक्षयवट में पिंडदान के बाद तीर्थ यात्री अपने घरों को लौटने लगते हैं. अक्षय वट में पितृपक्ष मेले के अंतिम दिन काफी भीड़ उमड़ती है. अक्षय वट में पिंडदान करने का बड़ा ही माहत्मय है.
अक्षय वट वृक्ष को अमरत्व का वरदान: इस अक्षय वट की कहानी माता सीता से भी जुड़ी हुई है. माता सीता ने जब अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था तो जंगल से पिंडदान की सामग्री लेकर लौटे प्रभु श्रीराम ने साक्ष्य के तौर पर साक्षी बताने को कहा था. साक्षी के रूप में सिर्फ वट वृक्ष ने ही सच बताया कि माता सीता ने बालू के पिंड से पिंडदान किया है. बाकी फल्गु गाय ब्राह्मण समेत चार ने झूठ बोल दिया था, जिसके बाद माता सीता ने फल्गु को अंत सलीला होने का श्राप दिया था. वहीं, अक्षय वट को अमरत्व का वरदान दिया था, तब से अक्षय वट यहां विराजमान हैं. युगो-युगो से अक्षयवट गया जी धाम में है.
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