पटना: बिहार में भूमि सर्वेक्षण सियासी मुद्दा बन गया है. राजनीतिक दल भी भूमि सर्वेक्षण को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल का आरोप है कि सरकार ने बगैर तैयारी के भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया है. उनका कहना है आनन फानन में भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू किए जाने से अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार बढ़ा है. जन सुराज के संरक्षक प्रशांत किशोर ने तो इसे नीतीश कुमार सरकार के ताबूत की आखिरी कील बताया. भूमि सुधार मंत्री ने ईटीवी भारत से भूमि सर्वेक्षण पर खास बातचीत की.
प्रश्न : सरकार जमीन का सर्वे करने जा रही है, सरकार किस तरीके से कम को पूरे करेगी.?
जवाब : 1890 के बाद पहली बार स्पेशल सर्वे का काम हो रहा है. 130 साल बाद किसी सरकार और मंत्रालय ने सर्वे करने का साहस किया है. आज से 10 साल पहले बंगाल जैसे राज्य में सर्वे का काम हो गया जहां कम्यूनिस्ट का शासन था. सर्वे का काम करने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है. ग्राम सभा के माध्यम से लोगों को जागृत किया जा रहा है.
प्रश्न : जमीन सर्वे का कार्य कितना चुनौती पूर्ण है और सरकार चुनौतियों से कैसे निपटेगी.?
जवाब : तीन चार तरह की समस्याएं सामने आ रही है. भू माफिया पटना में नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं और नेताओं पर दबाव बना रहे हैं. भू माफिया लोगों की जमीन को फर्जी तरीके से अपने नाम करा लेते हैं और दूसरे की जमीन बिकवा देते हैं. दूसरे वैसे लोग हैं जिन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा जमा रखा है, लगभग 50 हजार एकड़ सरकारी जमीन पर अनधिकृत तौर पर कब्जा है. तीसरे वह लोग हैं, जिन्हें यह लगता है कि उनकी बहन अपना हिस्सा मांगेंगी. वह लोग भी विरोध कर रहे हैं.
प्रश्न : लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां हैं, उसे कैसे विभाग दूर करेगा.?
जवाब तकरीबन 15 -16 तरह के प्रश्न लोगों के मन में हैं. तमाम आशंका को विभाग दूर करने जा रहा है. आने वाले तीन-चार दिनों में हम लोग एफ एंड क्यू जारी करने जा रहे है. लोगों के मन में जो भी आशंकाएं हैं उसे दूर किया जाएगा. तीन दिन के बाद जनता की सभी आशंकाएं दूर कर दी जाएगी. हम लोग एक सप्ताह से इसकी चिंता कर रहे हैं. इसी बीच भू माफिया भी सक्रिय हो गए हैं और नेताओं पर दबाव बना रहे हैं.
प्रश्न : विभाग अधिकारियों को कैथी भाषा सिखाने जा रहा है, कब तक अधिकारी भाषा सीख जाएंगे.?
जवाब : भूमि सर्वेक्षण का काम लंबा चलने वाला है. कोई भी भाषा सीखने में वक्त लगता है. आने वाले दिनों में हम 3 महीने की ट्रेनिंग अधिकारियों और आम लोगों को देने जा रहे हैं. जब तक ट्रेनिंग पूरी नहीं हो जाएगी तब तक भाषा से जुड़ी समस्या और भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा नहीं किया जाएगा.
क्यों हो रहा भूमि सर्वेक्षणः बिहार में भूमि सर्वेक्षण का काम चल रहा है. लगभग 45000 गांव में भूमि सर्वेक्षण का काम किया जाना है. सर्वेक्षण के तहत भूमि स्वामित्व सीमा निर्धारण और विवादित जमीनों की पहचान की जानी है. सरकार के अनुसार भूमि विवाद के चलते राज्य में सर्वाधिक आपराधिक घटनाएं हो रही हैं, जिनमें हत्या भी शामिल है. इतना ही कोर्ट में भूमि से संबंधित कई मामले वर्षों से लंबित हैं. सरकार इन सब चीजों से निजात पाने के लिए भूमि के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज करना चाहती है.
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