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पिता लालू के 'भूरा बाल साफ करो' से लेकर तेजस्वी यादव के BAAP की रणनीति, जानें RJD का लाइन ऑफ एक्शन - Bihar Politics

Bihar Politics: क्या बिहार में कास्ट सर्वे के बाद आरजेडी ने अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है. यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि कभी लालू ने कहा था भूरा बाल साफ करो. वहीं तेजस्वी आरजेडी को ए टू जेड की पार्टी बताते रहे हैं, लेकिन अब उनकी रणनीति में कुछ परिवर्तन नजर आ रहे हैं. तेजस्वी अब अपनी पार्टी को माई के साथ बाप की पार्टी बता रहे हैं.

पिता लालू के 'भूरा बाल साफ करो' से लेकर तेजस्वी यादव के BAAP की रणनीति, जानें RJD का लाइन ऑफ एक्शन
पिता लालू के 'भूरा बाल साफ करो' से लेकर तेजस्वी यादव के BAAP की रणनीति, जानें RJD का लाइन ऑफ एक्शन
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 21, 2024, 7:22 PM IST

RJD का लाइन ऑफ एक्शन

पटना: बिहार में 1990 के दशक में लालू प्रसाद यादव के एक बड़े वर्ग को साधने के लिए 'भूरा बाल साफ करो' की काफी चर्चा हुई. आजकल तेजस्वी यादव का ए टू जेड से बाप चर्चा में है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तेजस्वी यादव अपनी इमेज एक बड़े वर्ग के बीच नए ढंग से पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. बिहार में इस पर सियासत भी शुरू है और राजनीतिक विशेषज्ञ विश्लेषण भी कर रहे हैं.

जब लालू ने कहा था- भूरा बाल साफ करो: भूमिहार राजपूत ब्राह्मण और लाला के खिलाफ पिछड़ा अति पिछड़ा दलित और मुस्लिम को एकजुट करने की लालू प्रसाद यादव की रणनीति का हिस्सा था. 15% के करीब सवर्ण वोट बैंक बिहार में है. उसको छोड़कर 1990 के दशक में वे सभी को साधने की कोशिश में सफल भी रहे, लेकिन इस नारे का असर यह हुआ कि समाज में माहौल खराब हुआ. जातीय तनाव पैदा हुए. इस दौरान कई नरसंहार भी हुए थे. ऐसे लालू प्रसाद यादव भूरा बाल साफ करो का नारा देने की बात से साफ इनकार करते रहे.

"लालू प्रसाद यादव ने भूरा बाल कहकर सवर्ण के खिलाफ अभियान चलाया था. इसमें सफल रहे. अब तेजस्वी बाप के माध्यम से एक बड़ी लकीर खींचना चाहते हैं."- भोलानाथ, वरिष्ठ पत्रकार

MY समीकरण को साधने में कामयाब रहे लालू: लालू प्रसाद यादव का एमवाई (MY) समीकरण भी काफी हिट रहा है. एम का मतलब मुस्लिम और वाई का मतलब यादव है. बिहार में 17% से अधिक मुस्लिम है तो वहीं 14% से अधिक यादव और दोनों मिलकर एक बड़ा वोट बैंक तैयार होता है. लालू प्रसाद यादव लंबे समय तक बीजेपी का भय दिखाकर इस वोट बैंक पर राज करते रहे हैं.

ए टू जेड पर तेजस्वी का फोकस: तेजस्वी यादव की जब एंट्री राजनीति में हुई तो उन्होंने ए टू जेड की बात कही. 2020 विधानसभा चुनाव में आनंद मोहन और अनंत सिंह को अपने साथ जोड़ने में भी कामयाब रहे. आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को टिकट दिया. वहीं अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को भी आरजेडी से टिकट मिला, दोनों विधायक बने.

जातीय गणना के बाद बदली रणनीति?: अब तेजस्वी की ओर से बाप समीकरण की बात कही जा रही है जिसमें बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और गरीब की राजनीति करने की बात तेजस्वी ने कही है. बिहार में जातीय गणना में 94 लाख गरीब परिवार हैं. 7 करोड़ से अधिक बिहार में वोटर हैं. उसमें आधी संख्या में महिला वोटर हैं. वहीं 36% से अधिक अति पिछड़ा 22% दलित हैं. 15% के करीब अगड़ा है तो एक बड़े हिस्से को रिझाने की कोशिश तेजस्वी यादव ने बाप (BAAP) समीकरण के माध्यम से की है.

लव कुश समीकरण ने भी छोड़ी छाप: नीतीश कुमार का लव कुश समीकरण भी खूब चर्चा में रहा है. बिहार की सत्ता में नीतीश कुमार को इस समीकरण के माध्यम से मजबूत आधार भी मिला है और एक तरह से इस समीकरण पर नीतीश कुमार एक छत्र राज करते रहे हैं. लव कुश के साथ अति पिछड़ा को भी नीतीश कुमार ने इसी समीकरण से साधा है.

"कुछ भी कर ले जनता उन पर विश्वास नहीं करेगी. लाल यादव ने भूरा बाल साफ करो का नारा दिया था, लेकिन उन्हें ही साफ कर दिया."- संजय सरावगी, भाजपा विधायक

"तेजस्वी को पहले अपने पिता लालू प्रसाद यादव से पूछ लेना चाहिए था जिन्होंने भूरा बाल साफ करो की बात कही थी. अब किसी तरह का समीकरण बैठा लें 2010 में जो 22 सीट आयी थी उससे अधिक बढ़ने वाले नहीं है."- विनय चौधरी, जदयू विधायक

खीर समीकरण की भी खूब हुई चर्चा: उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन में राजद के साथ थे तो उस समय खीर समीकरण की बात कही थी जिसमें कुशवाहा का चावल और यादव का दूध से खीर बनाने की बात कही थी. मकसद यादव और कुशवाहा वोट बैंक को साधने का था.

मछली भात ने भी किया आकर्षित: इसी तरह मुकेश सहनी मछली भात की चर्चा करते रहे हैं. इसमें सहनी का मछली और कुशवाहा का चावल के माध्यम से अपने साथ लगभग 9% वोट बैंक को जोड़ने की कोशिश करते रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ साफ कह रहे हैं कि एक बड़े वर्ग को इन समीकरणों के माध्यम से साधने की कोशिश हो रही है.

"आरजेडी लालू के समय से ही एमवाई के तौर पर जाना जाता था. आज बाप की बात कर रहे हैं इसमें समावेशी दिखाई पड़ता है. आरजेडी सभी जात,दल को लेकर चलने की बात कर रही है. ये तेजस्वी का बहुत बड़ा लाइन ऑफ एक्शन है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

तेजस्वी का बहुत बड़ा लाइन ऑफ एक्शन: बिहार में लालू परिवार समीकरणों को साधने में 1990 के दशक से ही कोशिश करता रहा है. कभी लालू को इसका लाभ भी मिला लेकिन नीतीश कुमार की एंट्री के बाद फिर उनके समीकरणों में डेंट भी लगा. आज तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद यादव के समीकरणों से बाहर निकलकर एक बड़ी लाइन लेंथ बनाना चाह रहे हैं. ऐसे तो सभी दल अपने-अपने तरीके से समीकरण तैयार कर रहे हैं. अब देखना है कि लोकसभा चुनाव में इसका कितना लाभ होता है और फिर विधानसभा चुनाव में कितना फिट बैठता है.

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जब लालू ने कहा था- भूरा बाल साफ करो: भूमिहार राजपूत ब्राह्मण और लाला के खिलाफ पिछड़ा अति पिछड़ा दलित और मुस्लिम को एकजुट करने की लालू प्रसाद यादव की रणनीति का हिस्सा था. 15% के करीब सवर्ण वोट बैंक बिहार में है. उसको छोड़कर 1990 के दशक में वे सभी को साधने की कोशिश में सफल भी रहे, लेकिन इस नारे का असर यह हुआ कि समाज में माहौल खराब हुआ. जातीय तनाव पैदा हुए. इस दौरान कई नरसंहार भी हुए थे. ऐसे लालू प्रसाद यादव भूरा बाल साफ करो का नारा देने की बात से साफ इनकार करते रहे.

"लालू प्रसाद यादव ने भूरा बाल कहकर सवर्ण के खिलाफ अभियान चलाया था. इसमें सफल रहे. अब तेजस्वी बाप के माध्यम से एक बड़ी लकीर खींचना चाहते हैं."- भोलानाथ, वरिष्ठ पत्रकार

MY समीकरण को साधने में कामयाब रहे लालू: लालू प्रसाद यादव का एमवाई (MY) समीकरण भी काफी हिट रहा है. एम का मतलब मुस्लिम और वाई का मतलब यादव है. बिहार में 17% से अधिक मुस्लिम है तो वहीं 14% से अधिक यादव और दोनों मिलकर एक बड़ा वोट बैंक तैयार होता है. लालू प्रसाद यादव लंबे समय तक बीजेपी का भय दिखाकर इस वोट बैंक पर राज करते रहे हैं.

ए टू जेड पर तेजस्वी का फोकस: तेजस्वी यादव की जब एंट्री राजनीति में हुई तो उन्होंने ए टू जेड की बात कही. 2020 विधानसभा चुनाव में आनंद मोहन और अनंत सिंह को अपने साथ जोड़ने में भी कामयाब रहे. आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को टिकट दिया. वहीं अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को भी आरजेडी से टिकट मिला, दोनों विधायक बने.

जातीय गणना के बाद बदली रणनीति?: अब तेजस्वी की ओर से बाप समीकरण की बात कही जा रही है जिसमें बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और गरीब की राजनीति करने की बात तेजस्वी ने कही है. बिहार में जातीय गणना में 94 लाख गरीब परिवार हैं. 7 करोड़ से अधिक बिहार में वोटर हैं. उसमें आधी संख्या में महिला वोटर हैं. वहीं 36% से अधिक अति पिछड़ा 22% दलित हैं. 15% के करीब अगड़ा है तो एक बड़े हिस्से को रिझाने की कोशिश तेजस्वी यादव ने बाप (BAAP) समीकरण के माध्यम से की है.

लव कुश समीकरण ने भी छोड़ी छाप: नीतीश कुमार का लव कुश समीकरण भी खूब चर्चा में रहा है. बिहार की सत्ता में नीतीश कुमार को इस समीकरण के माध्यम से मजबूत आधार भी मिला है और एक तरह से इस समीकरण पर नीतीश कुमार एक छत्र राज करते रहे हैं. लव कुश के साथ अति पिछड़ा को भी नीतीश कुमार ने इसी समीकरण से साधा है.

"कुछ भी कर ले जनता उन पर विश्वास नहीं करेगी. लाल यादव ने भूरा बाल साफ करो का नारा दिया था, लेकिन उन्हें ही साफ कर दिया."- संजय सरावगी, भाजपा विधायक

"तेजस्वी को पहले अपने पिता लालू प्रसाद यादव से पूछ लेना चाहिए था जिन्होंने भूरा बाल साफ करो की बात कही थी. अब किसी तरह का समीकरण बैठा लें 2010 में जो 22 सीट आयी थी उससे अधिक बढ़ने वाले नहीं है."- विनय चौधरी, जदयू विधायक

खीर समीकरण की भी खूब हुई चर्चा: उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन में राजद के साथ थे तो उस समय खीर समीकरण की बात कही थी जिसमें कुशवाहा का चावल और यादव का दूध से खीर बनाने की बात कही थी. मकसद यादव और कुशवाहा वोट बैंक को साधने का था.

मछली भात ने भी किया आकर्षित: इसी तरह मुकेश सहनी मछली भात की चर्चा करते रहे हैं. इसमें सहनी का मछली और कुशवाहा का चावल के माध्यम से अपने साथ लगभग 9% वोट बैंक को जोड़ने की कोशिश करते रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ साफ कह रहे हैं कि एक बड़े वर्ग को इन समीकरणों के माध्यम से साधने की कोशिश हो रही है.

"आरजेडी लालू के समय से ही एमवाई के तौर पर जाना जाता था. आज बाप की बात कर रहे हैं इसमें समावेशी दिखाई पड़ता है. आरजेडी सभी जात,दल को लेकर चलने की बात कर रही है. ये तेजस्वी का बहुत बड़ा लाइन ऑफ एक्शन है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

तेजस्वी का बहुत बड़ा लाइन ऑफ एक्शन: बिहार में लालू परिवार समीकरणों को साधने में 1990 के दशक से ही कोशिश करता रहा है. कभी लालू को इसका लाभ भी मिला लेकिन नीतीश कुमार की एंट्री के बाद फिर उनके समीकरणों में डेंट भी लगा. आज तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद यादव के समीकरणों से बाहर निकलकर एक बड़ी लाइन लेंथ बनाना चाह रहे हैं. ऐसे तो सभी दल अपने-अपने तरीके से समीकरण तैयार कर रहे हैं. अब देखना है कि लोकसभा चुनाव में इसका कितना लाभ होता है और फिर विधानसभा चुनाव में कितना फिट बैठता है.

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