पटना: बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से अब शेष बचे तीन चरणों में 21 सीटों पर चुनाव होना है. अंतिम तीन चरणों में लालू यादव और नीतीश कुमार की परीक्षा भी होगी. 21 सीटों में से जहां राजद के 11 तो बीजेपी की भी 11 सीट है. जदयू 7, कांग्रेस-5, माले-3, वीआईपी- एक और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लालू और नीतीश का यह अंतिम लोकसभा चुनाव हो सकता है, ऐसे में बचे हुए तीनों फेज की लड़ाई दोनों के लिए कठिन है.
"लालू यादव और नीतीश कुमार के लिए यह लोकसभा चुनाव अंतिम चुनाव हो सकता है. इसलिए दोनों की एक तरह से परीक्षा होगी. कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने से मुख्य दलों की भी परेशानी बढ़ गयी है. यह चुनाव कठिन होने वाला है, क्योंकि 2019 की तरह एक तरफा लड़ाई नहीं दिख रही है."- सुनील पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
कांटे की लड़ाईः बिहार में जिन सीटों की सबसे अधिक चर्चा हो रही है काराकाट, जहानाबाद, सिवान, बक्सर, शिवहर, सारण, मुजफ्फरपुर और पाटलिपुत्र सीट है. इन सीटों में से काराकाट, जहानाबाद, सिवान और बक्सर में त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं. सारण और पाटलिपुत्र सीट पर लालू प्रसाद यादव की दोनों बेटियों चुनाव लड़ रही हैं. यहां, लालू यादव खुद ही कमान संभाल रखे हैं. लंबे अर्से के बाद लालू प्रसाद यादव इस लोकसभा चुनाव में एक्टिव दिख रहे हैं. हालांकि, नीतीश कुमार पहली बार चुनाव प्रचार में बहुत सक्रिय नहीं दिख रहे हैं. लेकिन बिहार में एनडीए की कमान अब तक नीतीश कुमार के पास ही रही है.
"कई सीटों पर आमने-सामने की टक्कर है तो कहीं पर त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है. हमारे पास तो विकास की उपलब्धि है लेकिन उनके पास भ्रष्टाचार. अब तेजस्वी यादव जॉब शो करना चाहते हैं. 45 बीघा जमीन पटना में है उस पर करें रोड शो. 2019 का इतिहास इस बार भी दोहराएगा. 2019 में तेजस्वी यादव स्टार प्रचारक थे इस बार भी स्टार प्रचारक हैं."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता जदयू
सारण की कमान लालू के पासः तीन चरणों के चुनाव में से 5 वें चरण में मुजफ्फरपुर और सारण की सीट पर सबकी नजर है. मुजफ्फरपुर में इस बार बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पिछली बार के सांसद अजय निषाद कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए लड़ाई यहां भी दिलचस्प हो गई है. वहीं सारण में लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य चुनाव मैदान में है. लालू यादव लगातार यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं. रोहिणी आचार्य का मुकाबला राजीव प्रताप रूडी से है. बीजेपी और एनडीए के सभी दिग्गज यहां प्रचार कर चुके हैं.
"एक तेजस्वी यादव सब पर भारी है. एक तेजस्वी यादव 34 हेलीकॉप्टर से प्रचार करने वालों से मुकाबला कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक बिहार में कैंप किए हुए हैं, लेकिन हवा का रुख नहीं बदल रहा है." अरुण यादव, प्रवक्ता आरजेडी.
हाजीपुर से चिराग लड़ रहे हैं चुनावः पांचवें चरण की सीट सीतामढ़ी से जदयू ने भी अपना उम्मीदवार बदल दिया है. विधान परिषद के सभापति देवेश चंद ठाकुर को जदयू ने टिकट दिया है, तो वहीं हाजीपुर से इस बार चिराग पासवान खुद चुनाव लड़ रहे हैं. इन दोनों सीटों पर भी लोगों की नजर रहेगी. छठे चरण में शिवहर और सिवान लोकसभा सीट पर सबकी नजर है. शिवहर सीट पिछली बार बीजेपी के पास थी, लेकिन बीजेपी ने यह सीट जदयू को दे दी. नीतीश कुमार ने यहां से बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को चुनाव मैदान में उतारा है. उनके सामने राजद की ऋतु जायसवाल है. यहां भी बड़ा उलट फेर हो सकता है.
सिवान में जदयू ने उम्मीदवार बदलाः सिवान में भी जदयू ने इस बार अपना उम्मीदवार बदल दिया है. कविता सिंह के स्थान पर विजयलक्ष्मी को चुनाव मैदान में उतारा है. सिवान से राजद ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को टिकट दिया है, तो वही बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब भी चुनाव मैदान में निर्दलीय डटी है. इसलिए सिवान की लड़ाई कांटे की हो गई है. जहां तक अंतिम सातवें चरण की बात है काराकाट और जहानाबाद के साथ बक्सर में निर्दलीय उम्मीदवारों ने समीकरण बिगाड़ दिया है.
काराकाट में पवन सिंह की धमाकेदार इंट्रीः काराकाट में गायक और अभिनेता पवन सिंह के चुनाव लड़ने से एनडीए और महागठबंधन दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पवन सिंह फिलहाल बीजेपी में हैं. उन पर नामांकन वापसी का दबाव है. नामांकन वापसी का अभी समय बचा हुआ है. यदि नामांकन वापस नहीं लेते हैं तो एनडीए के लिए यह सीट बचाना एक बड़ी चुनौती होगी. एनडीए की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा इस सीट से लड़ रहे हैं.
जहानाबाद में अरुण कुमार ने मुकाबला रोचक बनायाः जहानाबाद में बसपा से अरुण कुमार के चुनाव में आ जाने के कारण जदयू के लिए मुश्किलें बढ़ गई है. जदयू की तरफ से चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी फिर से चुनाव मैदान में हैं. उनके सामने पहले से राजद के कद्दावार नेता सुरेंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं. 2019 में भी दोनों के बीच लड़ाई हुई थी, बहुत कम मतों के अंतर से चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी चुनाव जीते थे. इस बार अरुण कुमार के आने से एनडीए के लिए यह सीट निकालना आसान नहीं होगा. वहीं बक्सर में निर्दलीय ददन यादव और आनंद मिश्रा के आने से लड़ाई दिलचस्प हो गई है. ददन यादव आरजेडी को नुकसान पहुंचा सकते हैं तो आनंद मिश्रा बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसाः पाटलिपुत्र सीट पर भी सबकी नजर है क्योंकि मीसा भारती लगातार तीसरी बार यहां से चुनाव लड़ रही हैं. लालू यादव इस बार इस सीट को हर हाल में जीतना चाहते हैं भाजपा यहां से फिर से रामकृपाल यादव को ही टिकट दी है . इस तरह से देखें तो तीनों चरणों में कई सीटों पर कांटे की लड़ाई है. राजद के नेता तो लगातार दावा कर रहे हैं कि तेजस्वी यादव के नौकरी और रोजगार पर लोगों को भरोसा है और इसलिए एनडीए खेमे में बेचैनी है. प्रधानमंत्री तक को जॉब शो के जवाब में रोड शो करना पड़ रहा है. वहीं एनडीए को पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसा है.
बीजेपी 11 सीटों पर लड़ रही चुनावः अगले तीन चरणों में एनडीए के तरफ से बीजेपी 11 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है. ये सीटें हैं मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, महाराजगंज, आरा, बक्सर, सासाराम, पटना साहिब और पाटलिपुत्र. जदयू 7 सीटों सीतामढ़ी, बाल्मीकि नगर, शिवहर, गोपालगंज, सिवान, नालंदा और जहानाबाद से चुनाव लड़ रहा है तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से चुनाव लड़ रहे हैं.
राजद के खाते में भी 11 सीटः महागठबंधन की तरफ से राजद के भी 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. ये सीटें हैं सीतामढ़ी, मधुबनी, सारण, हाजीपुर, वाल्मीकि नगर, शिवहर, वैशाली, सिवान, बक्सर, पाटलिपुत्र और जहानाबाद. कांग्रेस पांच सीटों मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, महाराजगंज, सासाराम, पटना साहिब में चुनाव लड़ रही है. वहीं माले काराकाट, नालंदा और आरा सीट पर तो मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी गोपालगंज और पूर्वी चंपारण ( मोतिहारी ) पर चुनाव लड़ रही है.
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