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आदमखोर बाघ मन्ना की मौत; लखीमपुर खीरी से इलाज के लिए लाया गया था कानपुर जू - TIGER MANNA DIED

लखीमपुर खीरी में 23 नवंबर को पकड़ा गया था बाघ मन्ना, 26 तारीख को उसे इलाज के लिए गंभीर अवस्था में कानपुर लाया गया था.

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आदमखोर बाघ मन्ना की कानपुर जू में मौत. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 7, 2024, 1:57 PM IST

कानपुर: लखीमपुर खीरी से रेस्क्यू करके घायल अवस्था में कानपुर जू लाए गए बाघ मन्ना का इलाज किया जा रहा था. लेकिन, उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और उसने दम तोड़ दिया. चिड़ियाघर प्रबंधन ने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने के बाद बाघ बन्ना का अंतिम संस्कार कर दिया है.

लखीमपुर खीरी के महेशपुर रेंज के मन्नापुर गांव में बाघ मन्ना का आतंक था. लोगों के बीच उसकी दहशत कुछ इस कदर थी कि वह उसके खौफ में जीने को मजबूर थे. कुछ दिन पहले ही उसने खेत में काम करने वाले एक शख्स पर हमला किया था और उसे अपना निवाला बनाया था.

मन्ना इससे पहले भी एक शख्स पर हमला कर चुका था. एक के बाद एक हमले की सूचना पर वन विभाग की टीम सक्रिय हो गई थी और उन्होंने मन्ना को पकड़ने के लिए जगह-जगह पिंजरे लगा दिए थे. 23 नवंबर को वन विभाग की टीम के जाल में मन्ना फंस गया और पकड़ा गया था.

पिंजड़े में कैद करने के बाद अधिकारियों के बीच काफी सोच विचार किया गया कि आखिरकार इसे कहां पर रखा जाए. कई बार ऐसा होता है कि जब किसी वन्य जीव को रेस्क्यू किया जाता है तो उसे जंगल में छोड़ दिया जाता है. लेकिन, मन्ना आदमखोर बन चुका था, जिस वजह से उसे दोबारा जंगल में छोड़ना अधिकारियों को ठीक नहीं लगा.

लखीमपुर खीरी के क्षेत्रीय वन अधिकारी अभय प्रताप सिंह समेत अन्य वन अधिकारियों की निगरानी में उसे 26 नवम्बर को इलाज के लिए कानपुर चिड़ियाघर छोड़ गए थे. जहां पर उसे 15 दिन के लिए क्वारेंटाइन कर एक अलग पिंजरे में रखा गया था. कानपुर में उसकी डॉक्टरों की निगरानी में देखरेख की जा रही थी.

क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि मन्ना के शरीर में कई जगह पर गंभीर चोटें थी. जिनका कानपुर के चिड़ियाघर में उपचार किया जा रहा था. उसकी डाइट का ख्याल रखा जा रहा था. उसके स्वभाव को भी देखा जा रहा था. उसने तीन दिन तक 5 किलो मीट भी खाया था और वह दिन पर दिन काफी ज्यादा शांत भी होता जा रहा था. 29 नवंबर की शाम को वह अपने पिंजरे में मृत अवस्था में मिला था. बाघ मन्ना का अंतिम संस्कार कर दिया गया है.

तन्हाई की जिंदगी जी रहा था बाघ मन्ना: कानपुर जू के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अनुराग सिंह ने बताया कि बाघ मन्ना के शरीर पर काफी ज्यादा चोटे थीं. उसके बाएं पैर की एल्बो के ज्वाइंट पर भी काफी ज्यादा चोटे थीं. इसके साथ ही उसका एक कैनाइन भी टूट गया था. कुछ नाखून भी टूटे हुए थे. पिंजरे में भी उसका स्वभाव काफी ज्यादा आक्रामक था.

लेकिन, वह अपनी डाइट सही तरीके से ले रहा था. 29 नवंबर की शाम को पिंजरे में मृत अवस्था में मिला. उन्होंने बताया कि डॉ. नासिक और डॉ. नितेश के पैनल ने बाघ का पोस्टमार्टम किया. बाघ की मौत का कारण सेप्टीसीमिया बताया गया है. उन्होंने बताया कि बाघ की अनुमानित उम्र करीब 10 वर्ष थी. इस समय कानपुर जू में बाघों की कुल संख्या 10 है. इनमें से 6 मादा बाघ है और 4 नर बाघ हैं.

एक महीने में 3 जानवरों की मौत: कानपुर प्राणी उद्यान में एक महीने में तीन वन्य जीवों की मौत हो चुकी है. इनमें दो बाघ और एक तेंदुआ शामिल है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अनुराग सिंह ने बताया कि पीलीभीत से आए बाकी की स्थिति भी काफी ज्यादा गंभीर थी. हम लोगों ने उसे बचाने के लिए और उसके उपचार को देखते हुए भी काफी प्रयास किए लेकिन, उसे बचा नहीं पाए.

इसके साथ ही दो अन्य वन्यजीव औसत उम्र पार कर चुके थे. उन्होंने बताया कि एक के बाद एक वन्य जीव की मौत के बाद से न सिर्फ जो प्रशासन बल्कि उनकी देखरेख करने वाले भी बेहद निराशा हैं. हमें दुख है कि बाघ मन्ना अब हमारे बीच नहीं रहा.

ये भी पढ़ेंः VIDEO : लखीमपुर का आदमखोर बाघ 'मन्ना' कानपुर जू में जी रहा तन्हाई की जिंदगी, देखें वीडियो

कानपुर: लखीमपुर खीरी से रेस्क्यू करके घायल अवस्था में कानपुर जू लाए गए बाघ मन्ना का इलाज किया जा रहा था. लेकिन, उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और उसने दम तोड़ दिया. चिड़ियाघर प्रबंधन ने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना देने के बाद बाघ बन्ना का अंतिम संस्कार कर दिया है.

लखीमपुर खीरी के महेशपुर रेंज के मन्नापुर गांव में बाघ मन्ना का आतंक था. लोगों के बीच उसकी दहशत कुछ इस कदर थी कि वह उसके खौफ में जीने को मजबूर थे. कुछ दिन पहले ही उसने खेत में काम करने वाले एक शख्स पर हमला किया था और उसे अपना निवाला बनाया था.

मन्ना इससे पहले भी एक शख्स पर हमला कर चुका था. एक के बाद एक हमले की सूचना पर वन विभाग की टीम सक्रिय हो गई थी और उन्होंने मन्ना को पकड़ने के लिए जगह-जगह पिंजरे लगा दिए थे. 23 नवंबर को वन विभाग की टीम के जाल में मन्ना फंस गया और पकड़ा गया था.

पिंजड़े में कैद करने के बाद अधिकारियों के बीच काफी सोच विचार किया गया कि आखिरकार इसे कहां पर रखा जाए. कई बार ऐसा होता है कि जब किसी वन्य जीव को रेस्क्यू किया जाता है तो उसे जंगल में छोड़ दिया जाता है. लेकिन, मन्ना आदमखोर बन चुका था, जिस वजह से उसे दोबारा जंगल में छोड़ना अधिकारियों को ठीक नहीं लगा.

लखीमपुर खीरी के क्षेत्रीय वन अधिकारी अभय प्रताप सिंह समेत अन्य वन अधिकारियों की निगरानी में उसे 26 नवम्बर को इलाज के लिए कानपुर चिड़ियाघर छोड़ गए थे. जहां पर उसे 15 दिन के लिए क्वारेंटाइन कर एक अलग पिंजरे में रखा गया था. कानपुर में उसकी डॉक्टरों की निगरानी में देखरेख की जा रही थी.

क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया कि मन्ना के शरीर में कई जगह पर गंभीर चोटें थी. जिनका कानपुर के चिड़ियाघर में उपचार किया जा रहा था. उसकी डाइट का ख्याल रखा जा रहा था. उसके स्वभाव को भी देखा जा रहा था. उसने तीन दिन तक 5 किलो मीट भी खाया था और वह दिन पर दिन काफी ज्यादा शांत भी होता जा रहा था. 29 नवंबर की शाम को वह अपने पिंजरे में मृत अवस्था में मिला था. बाघ मन्ना का अंतिम संस्कार कर दिया गया है.

तन्हाई की जिंदगी जी रहा था बाघ मन्ना: कानपुर जू के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अनुराग सिंह ने बताया कि बाघ मन्ना के शरीर पर काफी ज्यादा चोटे थीं. उसके बाएं पैर की एल्बो के ज्वाइंट पर भी काफी ज्यादा चोटे थीं. इसके साथ ही उसका एक कैनाइन भी टूट गया था. कुछ नाखून भी टूटे हुए थे. पिंजरे में भी उसका स्वभाव काफी ज्यादा आक्रामक था.

लेकिन, वह अपनी डाइट सही तरीके से ले रहा था. 29 नवंबर की शाम को पिंजरे में मृत अवस्था में मिला. उन्होंने बताया कि डॉ. नासिक और डॉ. नितेश के पैनल ने बाघ का पोस्टमार्टम किया. बाघ की मौत का कारण सेप्टीसीमिया बताया गया है. उन्होंने बताया कि बाघ की अनुमानित उम्र करीब 10 वर्ष थी. इस समय कानपुर जू में बाघों की कुल संख्या 10 है. इनमें से 6 मादा बाघ है और 4 नर बाघ हैं.

एक महीने में 3 जानवरों की मौत: कानपुर प्राणी उद्यान में एक महीने में तीन वन्य जीवों की मौत हो चुकी है. इनमें दो बाघ और एक तेंदुआ शामिल है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अनुराग सिंह ने बताया कि पीलीभीत से आए बाकी की स्थिति भी काफी ज्यादा गंभीर थी. हम लोगों ने उसे बचाने के लिए और उसके उपचार को देखते हुए भी काफी प्रयास किए लेकिन, उसे बचा नहीं पाए.

इसके साथ ही दो अन्य वन्यजीव औसत उम्र पार कर चुके थे. उन्होंने बताया कि एक के बाद एक वन्य जीव की मौत के बाद से न सिर्फ जो प्रशासन बल्कि उनकी देखरेख करने वाले भी बेहद निराशा हैं. हमें दुख है कि बाघ मन्ना अब हमारे बीच नहीं रहा.

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