लखीमपुर खीरी : आदमखोर बाघ की तलाश के लिए कई टीमें लगाई गईं हैं. शुक्रवार को बाघ नजर आने पर उसे ट्रेंकुलाइज करने के लिए टीम ने डाॅट चलाई लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बीच निगरानी के लिए उड़ाए गए ड्रोन की बैटरी भी खत्म हो गई. इससे वह गन्ने के खेत में गिर गया. टीम कई घंटे तक ड्रोन की तलाश करती रही, लेकिन उसका पता नहीं चल पाया.
जिले के करीब 12 गांवों में इन दिनों आदमखोर बाघ ने दहशत फैला रखी है. यहां के लोग अकेले बाहर निकलते से कतराते हैं. डेढ़ महीने में बाघ तीन लोगों काी जान ले चुका है. वन विभाग बाघ को पकड़ने के लिए पूरा जोर लगा इसके बावजूद वह चकमा देकर निकल जा रहा है. आदमखोर टाइगर को पकड़ने के लिए दुधवा नेशनल पार्क से डायना व सुलोचना नाम की दो हथिनियों को भी मंगवाया गया है.
बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के प्रयास में धीरे-धीरे बीत एक महीना बीत चुका है. मोहम्मदी की रेंज महेशपुर में ड्रोन की मदद से बाघ की तलाश हो रही थी. शुक्रवार की शाम को ड्रोन के कैमरे में बाघ एक खेत से दूसरे खेत में जाता नजर आया. इस पर टीम अलर्ट हो गई. वाघ को घेर लिया गया. नगर पालिका से हाइड्रोलिक भी मंगवा ली गई. वन विभाग के कर्मचारी ने बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए डाॅट चलाई लेकिन डाॅट चलाते ही ड्रोन की बैटरी डाउन हो गई. इससे वह गन्ने के खेत में गिर गया.
इस बीच बाघ भी आंखों से ओझल हो गया. रात होने तक अधिकारी और इंस्पेक्टर मौके पर डटे रहे. बाघ के द्वारा इमलिया और मूड़ा अस्सी के दो लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद वन मंत्री के आदेश पर बाघ को ट्रेंकुलाइज करने का आदेश मिला था. तब वन विभाग की टीम ने तमाम प्रयास किए पर बाघ को पकड़ नहीं पाए. इसके बाद बाघ ने एक और शख्स की जान ले ली थी. गन्ना ऑपरेशन में बाधक बन रहा है.
गोरखपुर, कानपुर, पीलीभीत समेत कई जगहों से ट्रेंकुलाइज करने के लिए वन्य जीव विशेषज्ञ बुलाए गए हैं. इसके बावजूद कामयाबी नहीं मिल रही है. पूरे प्रकरण पर रेंजर रामनरेश वर्मा ने बताया कि चूक बड़े-बड़ों से भी हो जाती है. हमारे कर्मचारी से भी चूक हो गई लेकिन परेशान होने की कोई बात नहीं है. हम लोग बाघ तक पहुंच चुके हैं, जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा.
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