उदयपुर : आज आधुनिकता के इस दौर में जादू की कला विलुप्त होती जा रही है. इसके बावजूद इस रहस्यमयी आर्ट को संवारने के लिए दक्षिणी राजस्थान की एक बेटी पिछले 27 साल से जुटी है. उसके इस हुनर का लोहा न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर ने माना है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं राजस्थान के उदयपुर की रहने वाली आंचल कुमावत की, जिसने महज चार साल की उम्र में जादूगरी सीखी. बचपन में इंजीनियर पिता ने उसे जादूगरी के गुर सिखाए और फिर उसके बाद वो कभी भी पीछे मुड़कर नहीं दिखी और आज आंचल दुनियाभर में अपनी इस कला के लिए विख्यात हो चुकी है.
जादूगर आंचल बताती हैं कि वो मूल रूप से उदयपुर की निवासी हैं और उन्होंने महज चार साल की अल्पायु में उनके पिता से जादूगरी के गुर सीखे. सबसे पहले उन्होंने अपने स्कूल एक फंक्शन में इस कला का प्रदर्शन किया, जिसे देख सभी हैरान रह गए. वहीं, तालियों की गड़गड़ाहट ने उनका हौसला बढ़ाया. फिर उसके बाद आंचल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आंचल कई अवॉर्ड जीत चुकी हैं. इतना ही नहीं आंचल की कला से प्रभावित होकर देश के करीब 9 से अधिक मुख्यमंत्रियों ने उन्हें सम्मानित किया. वहीं, कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड और विश्व कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं.
इसे भी पढ़ें - 'ब्रेक द डिप्रेशन' अभियान : 23 दिसंबर को एडवेंचर विद फायर का प्रदर्शन करेंगी जादूगर आंचल - MAGIC SHOW IN UDAIPUR
इसके अतिरिक्त फिलहाल तक वो 14,000 से अधिक स्टेज शो कर चुकी हैं. साथ ही देशभर के विभिन्न मंचों पर अपनी इस कलों को प्रदर्शित करने के अलावा 'इंडिया स्क्वाड टैलेंट' जैसे मंचों पर अपनी खास पहचान बना चुकी हैं. सबसे खास बात यह है कि उनके शो सामाजिक मुद्दों पर आधारित होते हैं, जैसे 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', दहेज उन्मूलन और युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश देने वाले होते हैं.
आंचल का स्टेज परफॉर्मेंस देख आप भी रह जाएंगे दंग : अब आंचल अंतरराष्ट्रीय जादूगर के रूप में जानी जाती हैं. आज दुनियाभर में उनके लाखों फैंस हैं. उन्होंने कई कीर्तिमानों को स्थापित करने के साथ ही लाइव और टीवी पर अपने कौशल का जलवा बिखेरा है. वहीं, पिछले 27 सालों में आंचल ने भारत के 17 राज्यों और 7 अन्य देशों में कुल 14,000 से अधिक स्टेज शो किए. 11 साल की आयु में वो 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित हुईं. 2006 में मंगोलिया में एक अंतरराष्ट्रीय बाल शिविर में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया. 2016 में उनके एक अनोखे प्रदर्शन को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया. साथ ही 'राजस्थान गौरव', 'वुमन ऑफ द फ्यूचर', 'काला गामा' जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से उन्हें नवाजा गया.
इसे भी पढ़ें - पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे ओपी शर्मा जूनियर, भारत सहित 16 देशों में कर चुके 40 हजार से अधिक शो - जादूगर ओपी शर्मा
पिता ने कही ये अनोखी बात : आंचल के पिता गिरधारी कुमावत ने बताया कि वो और उनकी पत्नी पेशे से इंजीनियर है, लेकिन वो काम के बाद देश-दुनिया से लेकसिटी घूमने आने वाले पर्यटकों को जादू की कला दिखाते थे. इसी बीच आंचल का जन्म हुआ. 2 साल की उम्र में आंचल अपने पिता के शो में जाती थी. देखते-देखते आगे चलकर उसे भी ये कला भा गई. वहीं, आंचल बचपन से ही बोलने में माहिर थी.
आंचल के पिता ने बताया कि उसने उसका पहला परफॉर्मेंस स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया था. उसके बाद आगे चलकर वो देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी अपनी जादूगरी की कला दिखाने लगी. उन्होंने बताया कि आंचल दुबई, सिंगापुर, मलेशिया, नेपाल के साथ ही अन्य कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी है. उन्होंने बताया कि आंचल सबसे ज्यादा भारत में टीवी शोज में शामिल हुई. उसने करीब 9 टीवी शो किए, जिसमें तीन इंटरनेशनल शो रहे. साथ ही उसे अमेरिका के टीवी शो में भी भाग लेने का मौका मिला.
इसे भी पढ़ें - बीकानेर के इस शख्स ने बापू के चरखे में पिरोया पूरा भारत, सोने की नक्काशी से बनाए चरखे में लगे 3 साल
आंचल की कला के दीवाने रहे कई आमोखास : आंचल की जादूगरी न सिर्फ आमजनों के दिलों को छुई, बल्कि कई बड़ी हस्तियां भी उनके आर्ट के मुरीद रहे. राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के विधायकों को आंचल ने अशोक गहलोत की मौजूदगी में जादू का शो दिखाया था. इतना ही नहीं बाबा रामदेव से लेकर कई बड़ी हस्तियों को उनकी कला पसंद आई. साथ ही आंचल भविष्य में एक मैजिक स्कूल खोलना चाहती हैं.
युवाओं के लिए आंचल का संदेश : लिम्का बुक रिकॉर्ड होल्डर जादूगर आंचल शहर के गांधी मैदान में हजारों लोगों की मौजूदगी में खतरनाक और रोमांचक एडवेंचर विद फायर का प्रदर्शन कर चुकी हैं. पिछले साल 23 दिसंबर को आंचल ने इस आर्ट के प्रदर्शन का 27 साल पूरा किया. जादूगर आंचल ने बताया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विद्यार्थियों और अभिभावकों में पढ़ाई को लेकर दिन-प्रतिदिन मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है. करियर को लेकर अति मानसिक तनाव की वजह से कई बार विद्यार्थी अवसाद की स्थिति में चले जाते हैं और आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा लेते हैं. उन्होंने बताया कि इसी बात को ध्यान मे रखते हुए बच्चों को कठिन परिस्थितियों से बचने के लिए वो प्रेरित करती हैं, ताकि वो भविष्य में कोई गलत निर्णय न लें.