जयपुरः विधानसभा में 'दादी' शब्द बोलने के बाद शुरू हुआ सियासी संग्राम अभी जारी है. विपक्ष के सदस्य विधानसभा में धरना दे रहे हैं. विपक्ष 'दादी' शब्द को सदन की कार्यवाही से हटाने और मंत्री से मांफी की मांग पर अड़ा हुआ है. विपक्ष की मांग पर सत्ता पक्ष ने साफ कर दिया कि पहले वह माफी मांगे, क्योंकि उन्होंने आसन की गरिमा को खंडित करने की कोशिश की. पहले उन्हें माफी मांगनी चाहिए, उसके बाद सत्ता पक्ष विचार करेगा. इसके साथ ही सत्ता पक्ष ने यह भी कहा कि हमारे मंत्री ने किसी तरह से गलत नहीं बोला. जब पंडित जवाहरलाल नेहरू को चाचा बोल सकते हैं तो इंदिरा गांधी को दादी क्यों नहीं बोल सकते ? यह कोई गाली या अपशब्द नहीं है.
मंत्री ने कोई गलत बात नहीं कहीः प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने विधानसभा में चल रहे गतिरोध पर कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कोई गतिरोध है और गतिरोध होना भी नही चाहिए. हमारे मंत्री ने कोई गलत बात नहीं कही है. मेरी दादी को अगर विधानसभा का सम्मान दिया जाता तो मैं कितना हर्षित होता, इसकी आप कल्पना नहीं कर सकते हैं. हिंदू परिवारों में दादी को बहुत महत्व दिया जाता है, दादी घर की मालकिन होती है, दादा भी उससे डरते हैं. परिवार के सभी सदस्यों को उनके आदेश की पालना करनी पड़ती है, इसलिए कुछ गलत नही बोला गया, जिसको लेकर विपक्ष इतना हंगामा कर रहा है. अग्रवाल ने कहा कि दादी भारतीय हिंदू समाज में सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित पद है. अब क्योंकि उनको प्रतिष्ठा की आदत नहीं है, प्रतिष्ठा को पचाना भी अपने आप में बड़ा मुश्किल काम है. हमारे मंत्रियों ने प्रतिष्ठा और सम्मान दिया है. कांग्रेस कोई नाराज नहीं है, ये सब उनकी हार का फ्रस्ट्रेशन है. दिल्ली के चुनाव को हारने के बाद मानकर चलिए कांग्रेस का देश की राजनीति में कोई अस्तित्व बचा नहीं है. विधानसभा में जो कुछ हुआ वो हमारी वजह से नही बल्कि कांग्रेस अंदरूनी लड़ाई का नजारा था. यह कांग्रेस के दो गुटों की प्रतिस्पर्धा है.
चाचा से आपत्ति नही, दादी से क्यों ?: सरकार के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि विधानसभा में जो कुछ हुआ, वह होना नहीं चाहिए था. हमारी सरकार के मंत्री ने किसी तरह का कोई अपशब्द या गाली नहीं दी. उन्होंने मात्र 'दादी' शब्द का इस्तेमाल किया. कांग्रेस को 'दादी' शब्द से आपत्ति नहीं होनी चाहिए. जब पंडित जवाहरलाल नेहरू को 'चाचा' बोल सकते हैं तो फिर इंदिरा गांधी को 'दादी' क्यों नहीं बोल सकते ?. उन्होंने कहा कि सदन में जिस तरह से विपक्ष ने हंगामा किया और विधानसभा अध्यक्ष की तरफ आक्रामकता से बढ़े वह नहीं होनी चाहिए थी. ऐसा लग रह था कि मानो विपक्ष कुछ अलग ही करने की मंशा रख रहा था. इतना ही नहीं विपक्ष का जो रवैया था, उसे देखकर विधानसभा अध्यक्ष को अपनी कुर्सी तक से उठाना पड़ा. विधानसभा में धरना देना और जबरन अपनी मांग पर हठधर्मिता रखना गलत है. उन्होंने कहा कि पहले वह माफी मांगे, इसके बाद आवश्यक हुआ तो हमारे मंत्री भी माफी मांग लेंगे, लेकिन जिस तरह से विपक्ष अपना आचरण दिखा रहा है, वह ठीक नही है.
कांग्रेस अंतर्कलह में उलझीः संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि माफी मांगने का तो हमारा कोई विषय नहीं है, हमारी कोई गलती नहीं है. गलती उनकी है, वह अध्यक्ष के आसन की तरफ आक्रामक रूप से बढ़े. अध्यक्ष को हर्ट करने की कोशिश की. माफी उनको मांगनी चाहिए, अपनी गलती माननी चाहिए. सदन में मुद्दों की बात करनी चाहिए. जोगाराम पटेल ने कहा कि जिस 'दादी' शब्द को लेकर वो इतना हंगामा कर रहे हैं, वो कांग्रेस की आपसी अंतर्कलह है. 'दादी' तो सम्मानजनक शब्द है, सदन में जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ कांग्रेस की आपसी फूट और दो गुटों में बंटी कांग्रेस का नतीजा है. अब जनता भी समझ रही है कि कांग्रेस किस तरह से बिखरती जा रही है.