शिमला: हिमाचल प्रदेश में पिछले करीब दो महीने से लगातार सूखे के हालत बने हुए हैं. प्रदेश के अधिकतर क्षेत्र में पोस्ट मानसून सीजन में अब तक बारिश न होने से जमीन सूखी पड़ी है. प्रदेश में 15 नवंबर तक का समय गेहूं की बिजाई के लिए उपयुक्त माना जाता है. जिसके लिए किसानों ने समय पर बीज खरीद कर खेत भी तैयार कर लिए हैं, लेकिन जमीन सूखी होने से किसानों के चेहरों पर गेहूं सहित रबी सीजन में बोई जाने वाली अन्य फसलों की बिजाई की चिंता नजर आ रही है.
वहीं, प्रदेश में पोस्ट मानसून सीजन में अच्छी बारिश होने से अक्टूबर महीने में गेहूं की बिजाई का काम शुरू हो जाता था, लेकिन अबकी बार बारिश न होने से प्रदेश में मुश्किल से 20 फीसदी एरिया में ही गेहूं की बिजाई हुई है. वहीं, हिमाचल में इस बार रबी सीजन में 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
अब गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा असर: हिमाचल में इस बार रबी सीजन में कृषि विभाग ने 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिए अक्टूबर महीने में गेहूं की बिजाई का कार्य शुरू हो जाता था, लेकिन पोस्ट मानसून सीजन में पिछले दो महीने से बारिश न होने से मुश्किल से 20 फीसदी एरिया में ही गेहूं की बिजाई हुई है. वहीं, प्रदर्शन में 15 नवंबर तक का समय गेहूं की बिजाई के लिए उपयुक्त माना जाता है, जो अब बीत गया है. ऐसे में अगर अगले कुछ दिनों में बारिश होती भी है तो भी इसका असर इस बार गेहूं के उत्पादन पर पड़ सकता है. प्रदेश में इस साल 6.20 लाख मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है. ऐसे में देरी से बिजाई होने के कारण गेहूं उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करना काफी मुश्किल होगा. प्रदेश में कुल 9.97 लाख परिवार कृषि से जुड़े हैं। इसमें करीब 7.50 लाख परिवार गेहूं की बिजाई करते हैं.
जिलों में बिजाई का लक्ष्य: हिमाचल में इस बार 3.24 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई का लक्ष्य रखा गया है. इसमें जिला कांगड़ा में सबसे अधिक 92 हजार, बिलासपुर में 23 हजार हेक्टेयर, चंबा में 17 हजार हेक्टेयर, हमीरपुर में 28 हजार, किन्नौर में 0.40 हजार, कुल्लू में 16.50 हजार, लाहौल स्पीति में 0.10 हजार, मंडी में 60 हजार, शिमला में 14 हजार, सिरमौर में 27.70 हजार, सोलन में 20.30 हजार व ऊना जिले में 27 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य तय किया है.
इतने हेक्टेयर सिंचाई की सुविधा: हिमाचल में रबी और खरीफ सीजन में कुल 9,59,223 हेक्टेयर भूमि पर बिजाई की जाती है. इसमें 5,47,556 हेक्टेयर एरिया में एक बार बिजाई कर फसल की जाती है. इसके अलावा 4,11,667 हेक्टेयर एरिया ऐसा है, जिस पर एक से अधिक बार बिजाई की जाती है. प्रदेश में 1,14,381 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है. यानी प्रदेश में 11.92 फीसदी कृषि योग्य भूमि सिंचाई के दायरे में आती है. वहीं, हिमाचल में 88.08 फीसदी कृषि योग्य भूमि बारिश पर निर्भर है. किसान पदम देव का कहना है, "गेहूं की बिजाई के लिए खेत तैयार कर लिए हैं. उन्होंने कहा कि बीज भी खरीद कर रख लिया है, लेकिन बारिश न होने की वजह से किसान अभी तक गेहूं की बिजाई नहीं कर पाए हैं.
रबी सीजन ली जाने वाली फसलें: हिमाचल प्रदेश में रबी सीजन में ली जाने वाली गेहूं प्रमुख फसल है. इसके अलावा इस मौसम में मटर, आलू, सरसों, पालक, मूली, चना, मसूर, अलसी, तारामीरा व धनिया की बिजाई की जाती है. वहीं, इन दिनों फूल गोभी, बंद गोभी, ब्रोकली व प्याज की पनीरी लगाने का भी समय है. लेकिन हिमाचल में 88.08 फीसदी कृषि योग्य भूमि बारिश पर आधारित है. ऐसे में लंबे समय से जारी सूखे के चलते जमीन से नमी गायब है. इस कारण अभी तक किसान फसलों की बिजाई नहीं कर पाए हैं.
कृषि विभाग से सेवानिवृत हुए सीनियर एसएमएस राम कृष्ण चौहान ने कहा, "हिमाचल प्रदेश में 15 नवंबर तक गेहूं की बिजाई हो जानी चाहिए थी. लेकिन अब ये समय बीत गया है. ऐसे में इसका असर अब गेहूं के उत्पादन पड़ेगा".
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