कोटा : कोटा में इस बार 131वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का आयोजन किया जा रहा है. हर बार की तरह ही इस बार भी इस आयोजन को भव्य स्वरूप में मनाने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. हालांकि, सबसे खास बात यह है कि इस बार 80 फीट ऊंचे रावण को दहन के लिए खड़ा किया गया है और इसे 3डी इफेक्ट दिया गया है. साथ ही 60-60 फीट के कुंभकरण और मेघनाथ भी है.
वहीं, अब इन्हें खड़ा करने की मशक्कत की जा रही है. मेघनाथ को तो खड़ा कर दिया गया है, जबकि कुंभकरण और रावण को खड़े करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसमें करीब 48 घंटे का वक्त और लगने की बात कही जा रही है. पूरा कुनबा दशहरा मैदान के विजय श्री रंगमंच के पास शनिवार सुबह 11 बजे तक खड़ा हो जाएगा.
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नगर निगम के अधिकारियों से लेकर कर्मचारी और संवेदक के जरिए लगाए गए मजदूर भी रावण को खड़े करने का प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए दो बड़ी हाइड्रोलिक क्रेन मंगाई गई है, जिनके सहारे इन्हें खड़ा किया जा रहा है. साथ ही इन्हें लकड़ी, बांस, बल्ली, कागज, रस्सी, लुगदी, कलरफुल और वॉटरप्रूफ पेपर से तैयार किया गया है. नगर निगम कोटा दक्षिण के आयुक्त अनुराग भार्गव ने बताया कि रावण को खड़ा करने की मशक्कत बीते 24 घंटे से की जा रही है और यह रावण दशहरे के दिन सुबह तक खड़ा हो जाएगा. पेड़ा बांधने से लेकर अन्य सभी कार्यों को मूर्त रूप देने में अब भी 48 घंटे का समय लगेगा. इसके लिए मशीनरी का भी उपयोग किया जा रहा है.
मेला अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि कोटा में रावण दहन शाम 7 से 7:30 बजे के बीच होगा. इसके पहले राजसी वैभव व ठाठबाठ से दरीखाने की परंपरा आयोजित की जाएगी. उसके बाद गढ़ पैलेस से भगवान लक्ष्मी नारायण की सवारी निकलेगी. इसमें महाराव इज्यराज सिंह के नेतृत्व में हाड़ौती की रियासतों के ठिकानेदार सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे. यह सवारी दशहरा मैदान पहुंचेगी और रावण दहन के पहले पूजा-अर्चना की जाएगी.
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रावण को खड़ा करने में खर्च होते हैं लाखों रुपए : कोटा में रावण को टेंडर के जरिए बनवाया जाता है. ऐसे में दशहरे मेले के पहले ही रावण बनाने का टेंडर दे दिया जाता है. एक महीने की मेहनत के बाद रावण को दिल्ली के कलाकारों ने तैयार किया है. उसके कुनबे में मेघनाथ और कुंभकरण भी बनाए गए हैं. इस बार रावण में वाटरप्रूफ पेपर भी लगाया गया है, ताकि वह गले नहीं. साथी 3D इफेक्ट भी उसे दिया गया है. उसकी मूछ, कुंडल, आभूषण और कपड़े उभरे हुए नजर आएंगे. हालांकि, इन सब में करीब 13 लाख का खर्च आता है. जबकि रावण और उसके कुनबे को खड़े करने का टेंडर भी लाखों रुपए का होता है. इसमें करीब से 10 लाख रुपए खर्च होते हैं.
आतिशबाजी पर खर्च होंगे लाखों रुपए : रावण के खड़े होने के बाद उसमें आतिशबाजी लगाने का काम शुरू होता है. यह काम भी अलग टेंडर के जरिए किया जाता है. करीब तीन से चार लाख रुपए के पटाखे रावण और उसके कुनबे में लगाई जाती है. शेष रावण दहन के पहले आतिशबाजी की जाती है. वहीं, इस बार नगर निगम विशेष करने जा रहा है. निगम के मेला अधिकारी जवाहरलाल जैन का कहना है कि आतिशबाजी के साथ-साथ सोने की लंका भी पहली बार तैयार की जा रही है, जिसे हनुमान जी ने जिस तरह से जलाया था, वैसे ही दहन किया जाएगा.