कोरबा: लोकसभा चुनाव की तैयारी राजनीतिक दलों के साथ प्रशासन ने भी जोर से शुरू कर दी है. प्रदेश के सभी जिलों में मतदान दलों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. खासतौर पर ईवीएम को किस तरह से हैंडल करना है, सुरक्षित तरीके से वोटिंग कैसे करानी है और मतदान पूर्ण हो जाने के बाद इसे कैसे सील कर स्ट्रांग रूम तक पहुंचना है. इस पर निर्वाचन आयोग का खास फोकस है.
कोरबा जिले के मास्टर ट्रेनर असिस्टेंट प्रोफेसर श्यामसुंदर तिवारी और लेक्चरर उपासना पाठक ओझा ने ईवीएम की पूरी कार्यप्रणाली को समझाया. यह भी बताया कि निर्वाचन आयोग के निर्देश के अनुसार, पूरी तरह से सुरक्षित और गोपनीयता के साथ कैसे मतदान कराए जाते हैं.
क्या होती है कंट्रोल यूनिट? : कंट्रोल यूनिट, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का दिमाग होता है. इसमें डिस्प्ले लगा होता है. इसे एक्टिव करते ही मशीन की पूरी जानकारी मिल जाती है. बैटरी कितनी चार्ज है, कितने वोट अब तक डाले गए आदि जानकारी डिस्प्ले होती है. बैलट यूनिट को कंट्रोल यूनिट के जरिए ही एक्टिवेट किया जाता है. इसे एक्टिवेट करने के बाद ही वोटिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. यह मतदान दल के अधिकारी क्रमांक 3 के पास होता है. जिसका बटन दबाकर वह वोटिंग के लिये बैलट यूनिट को एक्टिवेट करते हैं.
बैलेट यूनिट कैसे काम करता है? : कंट्रोल यूनिट से ही बैलेट यूनिट को एक्टिवेट किया जाता है. बैलट यूनिट एक्टिवेट होते ही सबसे ऊपर हरे रंग की बत्ती जलती है. बैलेट यूनिट में ही सूची की तरह क्रमवार प्रत्याशियों के नाम, फोटो और उनके चुनाव चिन्ह अंकित होते हैं. प्रत्याशी के समक्ष नीले रंग का बड़ा बटन मौजूद होता है. मनपसंद प्रत्याशी के सामने वाला नीला बटन दबाते ही बीप का साउंड आयेगा और वोटिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. एक बैलेट यूनिट में अधिकतम 16 प्रत्याशियों के नाम शामिल किये जा सकते हैं. यदि किसी भी क्षेत्र में प्रत्याशियों की संख्या 16 से अधिक हुई, तो एक से अधिक बैलेट यूनिट लगाई जाती है.
क्या है वीवीपैट(VVPAT) : पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट ही हुआ करते थे. विश्वसनीयता पर सवाल उठने के बाद इसमें वोटर वैरिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) को भी शामिल किया गया है. जिसे कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट के बीच में रखा जाता है. बैलट यूनिट का बटन दबाते ही एक पर्ची डिस्प्ले होती है को मतदाता वीवीपैट में देख सकते हैं. इससे वह पुष्टि कर सकते हैं कि जिस प्रत्याशी का बटन उन्होंने दबाया है, उसके नाम की ही पर्ची कटी है. यह सभी पर्ची भी वीवीपैट मशीन में एकत्र हो जाती है. हालांकि यह पर्ची मतदाताओं को दी नहीं जाती. लेकिन काउंटिंग के समय इसे इस्तेमाल में लिया जाता है.
गड़बड़ी होने पर सकते हैं शिकायत: वोटिंग के दौरान बैलेट यूनिट में अपने पसंदीदी प्रत्याशी को वोट देने के बाद यदि मतदाता ने जिस प्रत्याशी को वोट दिया है, उसके नाम की पर्ची वीवीपैट में डिस्प्ले नहीं होती, तो मतदाता इसकी शिकायत तत्काल मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी से कर सकता है. ऐसी स्थिति में तत्काल वीवीपैट मशीन को खोलकर पर्चियों की गणना की जाती है.
इस प्रकार तीन अलग-अलग मशीनों बैलेट यूनिट, वीवीपैट और कंट्रोल यूनिट को मिलाकर ईवीएम पूरा होता है. कंट्रोल यूनिट को छोड़कर वीवीपैट और बैलेट यूनिट को पर्दे के पीछे छिपाकर रखा जाता है. ताकि गोपनीयता पूरी तरह से बनी रहे.
इस तरह होता है मतदान: ईवीएम मशीनों के संबंध में जानकारी देते हुए मास्टर ट्रेनर ने हमें जानकारी दी है कि सबसे पहले वोटिंग के लिए कंट्रोल यूनिट से बैलेट यूनिट को एक्टिवेट किया जाता है. इसके बाद बैलेट यूनिट में हरे रंग की लाइट डिस्प्ले होती है. इसके पश्चात मतदाता अपने मनपसंद प्रत्याशी के समक्ष वाले नीले बटन को दबाकर मतदान करते हैं. बीप के साउंड आते ही उनका मतदान पूरा हो जाता है. ध्यान रहे कि बटन को एक बार ही दबाना है. एक बार से अधिक बटन को नहीं दबाना है. बटन दबाने के बाद वीवीपैट मशीन में एक पर्ची कटेगी, जिसे मतदाता देख सकते हैं. मतदाता इससे पुष्टि कर सकते हैं कि जिस प्रत्याशी का बटन उन्होंने दबाया है, पर्ची भी उसी के नाम की कटी है या नहीं.