कोरबा: जिले में एक अनोखा आंगनबाड़ी और उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित है. दोनों के पास अपना भवन नहीं है. ऐसे में इन दोनों का काम उधार के सामुदायिक भवन में चल रहा है. अगर मोहल्लेवासियों के घर में छठी और शादी का कार्यक्रम पड़ता है, तब आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र दोनों का काम ठप पड़ जाता है. दोनों को यहां से अपना-अपना सामान हटाना पड़ता है, ताकि छठी और शादी समारोह ठीक तरह से किया जा सके.
साल में औसतन 300 करोड़ रुपए के डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड वाले कोरबा जिले की यह तस्वीर है. यहां एक उधार के सामुदायिक भवन में आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र दोनों का संचालन किया जा रहा है, जिसकी वजह से किसी एक योजना का लाभ भी लोगों को ठीक तरह से नहीं मिल रहा है.
शहर के पास रिस्दी में संचालित है ये अनोखा केंद्र : जिले में आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य सुविधा के हाल का अंदाजा रिस्दी के सामुदायिक भवन को देखकर लगाया जा सकता है. यहां एक हॉल में मरीजों का इलाज, बच्चों का टीकाकरण और आंगनबाड़ी में पहुंचने वाले बच्चों को पोषण आहार देने का काम एक साथ चल रहा है. एक तरफ बच्चों को टीका लगता है, तो दूसरी तरफ इसी हॉल में बच्चे फर्श पर बैठकर भोजन ग्रहण करतें हैं. इससे आंगनबाड़ी केंद्र आने वाले बच्चे, शिक्षुवती और गर्भवती महिलाओं के साथ ही टीकाकरण के लिए बच्चों के साथ स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने वाले अभिभावकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
887 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास नहीं है खुद का भवन: जिले में एक के बाद एक बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन जर्जर हो चुके हैं. इसके कारण विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत किराया या अन्य व्यवस्था दी गयी है. जिले में कुल 2200 आंगनबाड़ी संचालित हैं, इनमें से 887 केंद्रों के पास खुद का भवन नहीं है. विभाग का दावा है कि इन आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है. अब विभाग को इसकी मंजूरी का इंतजार है.
लंबे समय से हो रही परेशानी: रिस्दी के स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता अनीता का कहना है कि, "एक ही भवन है. जहां आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र दोनों संचालित होते हैं. एक तरफ बच्चों को टीकाकरण और मरीजों का इलाज करते हैं. तो दूसरे तरफ आंगनबाड़ी के बच्चे पोषण आहार ग्रहण करते हैं, जिससे दोनों ही के काम ठीक तरह से नहीं हो पाते. यदि मोहल्ले में शादी हो जाए. तो लोग आते हैं और कहते हैं भवन खाली कर दो. सामुदायिक भवन हमारे लिए है. बाद में यह किसी स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी के लिए है. फिर हम सामान बाहर ले जाते हैं. बार-बार इसे शिफ्ट करते हैं. इससे हमें हर बार बहुत परेशानी होती है."
बार-बार शिप्ट करने में होती है परेशानी: इस पूरे मामले में आंगनबाड़ी केंद्र में पदस्थ कार्यकर्ता निशा कंवर का कहना है कि, "जब से इस केंद्र में पदस्थापन हुई है, तब से यही हालत है. हमारे यहां 55 बच्चे पोषण आहार ग्रहण करने आते हैं, लेकिन अपना भवन नहीं होने की वजह से कई बच्चे आते भी नहीं, क्योंकि यह आंगनबाड़ी दूसरे स्थान पर संचालित था, जिसे यहां सामुदायिक केंद्र में शिफ्ट किया गया है. इस वजह से हमें दिक्कत होती है. एक ही स्थान पर सारी चीजों का क्रियांवयन करना आसान नहीं होता. काम भी प्रभावित होता है. लोगों को विभाग की योजनाओं का लाभ देने में भी परेशानी होती है. उच्च अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी है, जिन्होंने कहा है कि जल्द ही अपना भवन उपलब्ध होगा."
सिर्फ रिस्दी ही नहीं जिले के सभी जर्जर और अत्यंत जर्जर आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है. जैसे ही इसकी स्वीकृति मिलेगी. नियानुसार भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. -प्रीति खोखर चखियार, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, कोरबा
इस बीच अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि प्रस्ताव भेजा गया है. स्वीकृति मिलने पर भवन निर्माण कार्य कराया जाएगा.