पटना : बिहार विधानसभा के चार सीटों के उपचुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था. इस उपचुनाव में आरजेडी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी. इसका कारण था बेलागंज और रामगढ़ की सीट, जिसपर राजद का कब्जा था. यह दोनों सीट राजद का मजबूत गढ़ माना जाता था. हालांकि दोनों जगह उसे हार मिली है. चलिए रामगढ़ सीट का विश्लेषण करते हैं.
''बसपा के कैंडिडेट देने के कारण आरजेडी का सारा समीकरण गड़बड़ हो गया. वहीं प्रशांत किशोर ने कुशवाहा कैंडिडेट को खड़ा कर रही सही कसर पूरी कर दी.''- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
रामगढ़ राजद का मजबूत गढ़ : दरअसल, रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र आरजेडी का मजबूत गढ़ हुआ करता था. इस सीट पर जगदानंद सिंह का 1985 से ही प्रभाव रहा है. जगदानंद सिंह 1985 में लोक दल की टिकट से यहां से पहली बार चुनाव जीते थे, इसके बाद जगदानंद सिंह इस सीट से छह बार विधायक बने थे.
![जगदानंद सिंह.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-11-2024/22965559_jagdanand-singh.jpg)
RJD के गढ़ में BJP की सेंधमारी : 2009 में बक्सर से जगदानंद सिंह सांसद चुने गए थे. इसके बाद इस सीट पर राजद ने अंबिका यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिनकी वहां से जीत हुई थी. रामगढ़ आरजेडी का मजबूत गढ़ रहा है. यह इसी से पता चलता है कि 1995 और इस उपचुनाव को छोड़ दें तो हर चुनाव में जगदानंद सिंह और राजद से जुड़े हुए लोग ही चुनाव जीते हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि 1995 और इस उप चुनाव में बीजेपी को जीत का स्वाद अशोक कुमार सिंह ने ही चखाया है.
''रामगढ़ सीट पर मिली हार से आरजेडी भी चिंतित है. हार की पूरी समीक्षा की जाएगी कि आखिर कहां चूक हो गई. प्राथमिक तौर पर यह देखा जा रहा है कि राजद के परंपरागत वोट में बिखराव हुआ है. जिसका लाभ भाजपा को मिला.''- एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता
रामगढ़ में अंबिका फैक्टर : रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अंबिका यादव का भी अपना प्रभाव रहा है. दो बार वह यहां से विधायक रह चुके हैं. 2020 विधानसभा के चुनाव में उन्होंने बसपा से चुनाव लड़ा था. 2020 विधानसभा चुनाव में कांटे की लड़ाई में राजद प्रत्याशी और जगदानंद सिंह के बड़े बेटे सुधाकर सिंह ने उन्हें पराजित किया था. बीजेपी से अशोक कुमार सिंह चुनाव लड़े थे जिन्हें तीसरे स्थान पर रहना पड़ा था.
अंबिका यादव ने RJD का खेल बिगाड़ा! : अंबिका यादव के कारण यादव वोटरों में बिखराव पिछली बार भी देखने को मिला था. रविदास समाज का वोट वहां सबसे ज्यादा है. इसीलिए चमार जाति का वोट उनके साथ स्वाभाविक रूप से चला गया था. यही कारण था कि पिछली बार भी वही लड़ाई में थे. इस उपचुनाव में बसपा ने अंबिका यादव के भतीजे सतीश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस बार भी सतीश यादव और बीजेपी के अशोक कुमार सिंह के बीच सीधा मुकाबला हुआ.
''चुनाव प्रचार के दौरान सुधाकर सिंह का वोटरों को धमकाने का जो बयान आया था उसका भी असर इस चुनाव पर पड़ा है. राजद के वोट बैंक में बिखराव के कारण ही अजीत कुमार सिंह को तीसरा स्थान पर रहना पड़ा.''- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
![सुधाकर सिंह.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-11-2024/22965559_sudhakar-singh.jpg)
रामगढ़ का जातिगत समीकरण : रामगढ़ के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर यादवों की आबादी 12% और मुसलमान की आबादी 8% है. राजपूत वोटरों की संख्या 8% है, तो कोईरी वोटर भी 8% के करीब है. ब्राह्मण वोटरों की संख्या 6% के करीब है. जहां तक सबसे ज्यादा वोटरों की बात है तो वहां पर सबसे ज्यादा 23% रविदास वोटर है. ओबीसी वोटरों की संख्या भी 26% के करीब है.
निर्णायक भूमिका में चमार वोटर : वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है इस विधानसभा क्षेत्र में चमार वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं. उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे रहने के कारण बसपा का प्रभाव इस विधानसभा क्षेत्र में है. जिसका लाभ बसपा के उम्मीदवार को विधानसभा के चुनाव में और लोकसभा के चुनाव में मिलता रहा है.
''सतीश यादव के मैदान में आने से यादव वोटरों का झुकाव बसपा की तरफ हुआ. इसके अलावा चमार वोटरों के साथ होने के कारण बसपा दूसरे स्थान पर रही, बहुत कम मार्जिन से चुनाव हारी.''- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
![वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-11-2024/bh-pat-04-rjd-ka-ramgarh-mein-har-kyon_23112024174955_2311f_1732364395_503.jpg)
रामगढ़ विधानसभा : रामगढ़ सीट से इस उप चुनाव में राजद ने जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था. आरजेडी जातिगत समीकरण को देखते हुए अजीत सिंह पर अपना दांव खेली थी. आरजेडी को इस बात का भरोसा था कि माय समीकरण के साथ कुशवाहा एवं राजपूत वोटरों का साथ मिलेगा. लेकिन चुनाव में जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह तीसरे नंबर पर रहे.
BJP ने BSP को हराया, RJD तीसरे नंबर पर : बीजेपी के अशोक कुमार सिंह ने बीएसपी के सतीश कुमार सिंह को 1362 वोट से हराया. अशोक कुमार सिंह को 71257 वोट मिला. वहीं दूसरे नंबर पर बीएसपी के प्रत्याशी सतीश कुमार यादव को 69895 वोट मिला. जबकि राजद प्रत्याशी अजीत कुमार सिंह को 35825 वोट मिला. जन सुराज के प्रत्याशी सुनील कुशवाहा 6506 वोट पाकर चौथे नंबर पर रहे.
![ईटीवी भारत GFX.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-11-2024/22965559_ramgarh.jpg)
''जगदानंद सिंह के राजपूत जाति के वोटरों में भी बिखराव दिखा. बीजेपी के कैंडिडेट को राजपूत होने का लाभ मिला. राजपूत वोटरों में बिखराव का सीधा असर चुनाव परिणाम पर देखने को मिला. लालू यादव एवं तेजस्वी यादव का परंपरागत माय समीकरण इस बार टूट गया. जिस कुशवाहा वोटरों को वह लुभा रहे थे वह भी साथ नहीं दिया.''- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
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