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अधर में राज्यकर्मियों की स्वास्थ्य बीमा योजना, जानिए वजह - Health Insurance Plan

State employees health insurance plan stucked. वर्ष 2023 में तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन द्वारा झारखंड के सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स को 5 लाख तक की स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने की योजना को मंजूरी दी थी. आज ये योजना अधर में है, इसके पीछे क्या वजह है, जानिए ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

know why jharkhand state employees health insurance plan stucked
झारखंड मंत्रालय भवन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 8, 2024, 9:16 PM IST

रांचीः झारखंड राज्यकर्मियों की स्वास्थ्य बीमा योजना करीब एक वर्ष से अटकी हुई है. तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए 22 जुलाई 2023 को आयोजित कैबिनेट की बैठक में राज्यकर्मियों को कैशलेस कार्ड के जरिए 5 लाख तक की स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने की मंजूरी दी थी.

जानकारी देते झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष (ETV Bharat)

इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलने वाला 1000 रुपया का चिकित्सा भत्ता के बजाय 500 रुपये देकर शेष 500 रुपये को प्रीमियम भुगतान के लिए बीमा कंपनी को दिए जाने का प्रस्ताव था. अब तक यह योजना सरकारी फाइलों में लटकी हुई है. खास बात यह है कि इस संबंध में पिछले विधानसभा सत्र में भी मामला उठा था. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने जल्द स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलने की बात कही थी. हालांकि इसके बाद राज्य में कुछ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू हो गया, जिस वजह से फाइल अब तक लटकी रही. अब नये सिरे से सरकार इसपर काम करने में जुट गई है.

कर्मचारी संगठन लगातार सरकार पर बना रहा दवाब

कैबिनेट के फैसले के अनुरूप राज्यकर्मियों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने के लिए कर्मचारी संगठन सरकार पर दवाब बनाने में लगा है. आचार संहिता की बाध्यता खत्म होते ही झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ ने वित्त विभाग को चिठ्ठी भेजकर इसमें आ रही अड़चन को दूर करने का आग्रह किया है. झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने राज्य सरकार से केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने की मांग की है. कर्मचारी संगठन का मानना है कि सरकार अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना को स्पष्ट करें और चिकित्सा भत्ता पूर्व की तरह जारी रखे.

स्वास्थ्य बीमा योजना में कहां है पेंच

राज्यकर्मियों को मिलने वाली स्वास्थ्य बीमा योजना की घोषणा होने के बाद से ही विवादों में है. कर्मचारी युनियन चिकित्सा भत्ता कटौती की बजाय सरकार से अपने मद से प्रीमियम भुगतान करने का दवाब बना रहे हैं. इसके अलावा चिकित्सा सुविधा किस हॉस्पिटल में उपलब्ध होगा इसकी सूची पहले सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है. आमतौर पर बीमा का लाभ हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद शुरू होता है, ऐसे में कर्मचारियों की मांग है कि यह सुविधा ओपीडी के लिए भी हो.

इसके अलावा केंद्र सरकार के कर्मचारी की तरह राज्य सरकार मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध कराए. इन सारी मांगों के बीच राज्य सरकार बीमा कंपनी की तलाश में जुटी है. आचार संहिता लागू होने से पहले स्वास्थ्य बीमा करवाने के लिए दो कंपनियों का चयन किया गया था. स्वास्थ्य विभाग द्वारा निकाले गए टेंडर के टेक्निकल बिड में दो कंपनी न्यू इंडिया इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस क्वालीफाई किया था. हालांकि फाइनेंशियल बिड नहीं खुलने की वजह से यह लटक गया था. इन कंपनियों को तीन साल का बीमा करने का जिम्मा दिया जाना है.

इस संदर्भ में ईटीवी भारत की टीम के द्वारा स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की गई मगर उनसे बात नहीं हो सकी. जाहिर तौर पर स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत हो जाने पर झारखंड के करीब पांच लाख राज्यकर्मियों को इसका लाभ मिलेगा.

इसे भी पढ़ें- राज्य कर्मियों को मिलेगा 5 लाख तक का मेडिकल इंश्योरेंस, मंत्री बन्ना बोले- एक माह में पूरी हो जाएगी प्रक्रिया

इसे भी पढ़ें- Jharkhand News: हेमंत सरकार के दो महत्वपूर्ण निर्णय से सरकारी कर्मियों में खुशी की लहर, सचिवालय में ढोल-नगाड़ों की थाप पर जमकर झूमे कर्मचारी

इसे भी पढ़ें- हेमंत सरकार के 4 सालः हर जरूरतमंद को मिलेगा आवास आवास, गरीब की बिटिया बनेगी डॉक्टर, इंजीनियरः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

रांचीः झारखंड राज्यकर्मियों की स्वास्थ्य बीमा योजना करीब एक वर्ष से अटकी हुई है. तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए 22 जुलाई 2023 को आयोजित कैबिनेट की बैठक में राज्यकर्मियों को कैशलेस कार्ड के जरिए 5 लाख तक की स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने की मंजूरी दी थी.

जानकारी देते झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष (ETV Bharat)

इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलने वाला 1000 रुपया का चिकित्सा भत्ता के बजाय 500 रुपये देकर शेष 500 रुपये को प्रीमियम भुगतान के लिए बीमा कंपनी को दिए जाने का प्रस्ताव था. अब तक यह योजना सरकारी फाइलों में लटकी हुई है. खास बात यह है कि इस संबंध में पिछले विधानसभा सत्र में भी मामला उठा था. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने जल्द स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलने की बात कही थी. हालांकि इसके बाद राज्य में कुछ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू हो गया, जिस वजह से फाइल अब तक लटकी रही. अब नये सिरे से सरकार इसपर काम करने में जुट गई है.

कर्मचारी संगठन लगातार सरकार पर बना रहा दवाब

कैबिनेट के फैसले के अनुरूप राज्यकर्मियों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने के लिए कर्मचारी संगठन सरकार पर दवाब बनाने में लगा है. आचार संहिता की बाध्यता खत्म होते ही झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ ने वित्त विभाग को चिठ्ठी भेजकर इसमें आ रही अड़चन को दूर करने का आग्रह किया है. झारखंड राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने राज्य सरकार से केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने की मांग की है. कर्मचारी संगठन का मानना है कि सरकार अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना को स्पष्ट करें और चिकित्सा भत्ता पूर्व की तरह जारी रखे.

स्वास्थ्य बीमा योजना में कहां है पेंच

राज्यकर्मियों को मिलने वाली स्वास्थ्य बीमा योजना की घोषणा होने के बाद से ही विवादों में है. कर्मचारी युनियन चिकित्सा भत्ता कटौती की बजाय सरकार से अपने मद से प्रीमियम भुगतान करने का दवाब बना रहे हैं. इसके अलावा चिकित्सा सुविधा किस हॉस्पिटल में उपलब्ध होगा इसकी सूची पहले सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है. आमतौर पर बीमा का लाभ हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद शुरू होता है, ऐसे में कर्मचारियों की मांग है कि यह सुविधा ओपीडी के लिए भी हो.

इसके अलावा केंद्र सरकार के कर्मचारी की तरह राज्य सरकार मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध कराए. इन सारी मांगों के बीच राज्य सरकार बीमा कंपनी की तलाश में जुटी है. आचार संहिता लागू होने से पहले स्वास्थ्य बीमा करवाने के लिए दो कंपनियों का चयन किया गया था. स्वास्थ्य विभाग द्वारा निकाले गए टेंडर के टेक्निकल बिड में दो कंपनी न्यू इंडिया इंश्योरेंस और ओरिएंटल इंश्योरेंस क्वालीफाई किया था. हालांकि फाइनेंशियल बिड नहीं खुलने की वजह से यह लटक गया था. इन कंपनियों को तीन साल का बीमा करने का जिम्मा दिया जाना है.

इस संदर्भ में ईटीवी भारत की टीम के द्वारा स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की गई मगर उनसे बात नहीं हो सकी. जाहिर तौर पर स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत हो जाने पर झारखंड के करीब पांच लाख राज्यकर्मियों को इसका लाभ मिलेगा.

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