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10 साल बाद जेल से बाहर आया कुख्यात सुंदर भाटी, यूपी-हरियाणा पुलिस को टेंशन, जानिए वेस्ट यूपी में कितना टेरर था

90 के दशक के बाद से पश्चिमी यूपी और हरियाणा में था खौफ, इसके गैंग के पास AK-47 जैसे कई खतरनाक हथियार होने का दावा

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गैंगेस्टर सुंदर भाटी. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 18 minutes ago

लखनऊ : बीते दस वर्षो से जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर सुन्दर भाटी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है. भाटी सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके सरकारी गनर भूदेव शर्मा की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. सुन्दर भाटी के जेल से बाहर आते ही यूपी पुलिस की नींद उड़ गयी है. भाटी एंड गैंग यूपी और हरियाणा पुलिस के लिए हमेशा से सिर दर्द रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को सुन्दर भाटी की सोनभद्र जेल से रिहाई भी हो गयी है.

कभी कुख्यात सतवीर गुर्जर का था राइट हैंडः 90 के दशक के बाद से पश्चिमी यूपी और हरियाणा में खतरनाक और कुख्यात अपराधियों में एक सुन्दर भाटी दोनों राज्यों की पुलिस के लिए चुनौती था. मूल रूप से ग्रेटर नोएडा के गंगोला का रहने वाला सुंदर भाटी किसी समय में गाजियाबाद के लोनी इलाके के कुख्यात सतवीर गुर्जर का राईट हैण्ड हुआ करता था. ग्रेटर नोएडा के रिठोरी गांव के नरेश भाटी से सतवीर गुर्जर की दोस्ती थी. नरेश गांव में परिवार वालों की हत्या का बदला लेने के लिए सतवीर के संपर्क में आया था. तभी सुन्दर और नरेश की करीबी बढ़ गयी. यूपी और हरियाणा में जरायम की दुनिया में इन दोनों की दोस्ती काफी मशहूर थी. इसी दोस्ती की का कर्ज निभाने के लिए सुन्दर ने नरेश भाटी के परिवार वालों की हत्या का बदला लिया. लेकिन ये दोस्ती जल्द ही अदावत में बदल गयी.

भाटी की नरेश से दोस्ती अदावत में कैसे बदली?
जितनी मशहूर सुंदर और नरेश की दोस्ती थी, अदावत भी उतनी मजबूत हुई. यह अदावत पावर को लेकर शुरू हुई थी. सुंदर भाटी एक ट्रक यूनियन पर अपना कब्जा चाहता था. इसी यूनियन पर नरेश की भी नजर थी. नरेश राजनीति में उतरना चाहता था और उसे लगा कि यदि वह यूनियन पर कब्ज़ा कर लेता है तो उसका जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का सपना पूरा हो सकता है. इसी चाहत के चलते बीच में आकर खड़ा हो गया था, उसी का दोस्त सुन्दर भाटी. बस इसी पावर की चाहत ने दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया. दोनों ने एक दूसरे के करीबी ट्रक यूनियन अध्यक्षों की हत्या कर दी. इस गैंगवार से सुन्दर बौखला गया था और दोस्त से दुश्मन बने नरेश के खून का प्यासा हो गया.

सुंदर ने नरेश को गोलियों से भून डाला थाः 2003 में नरेश भाटी ने जिला पंचायत का चुनाव जीता और अध्यक्ष बन गया. अब वह सुन्दर भाटी से मजबूत हो रहा था, जो सुन्दर को पसंद नहीं आ रही थी. जिस पर सुन्दर ने नरेश पर हमला करवाया, इसमें वह तो बच गया लेकिन नरेश का ड्राइवर और गनर मारे गए.

सुंदर भाटी अपनी पत्नी के साथ.
सुंदर भाटी अपनी पत्नी के साथ. (Photo Credit; Social Media)
सुन्दर ने एक बार फिर से नरेश की हत्या करने का प्लान तैयार किया. 2004 में नरेश एक शादी समारोह से लौट रहा था. इसी दौरान सुंदर भाटी ने उसे गोलियों से भून दिया. इसमें नरेश के दो साथी भी बेमौत मारे गए. नरेश का गैंग खत्म न हो, इसके लिए उसके छोटे भाई रामपाल ने गैंग की कमान संभाल ली. लेकिन 2006 में वह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. रामापाल की मौत के बाद नरेश गैंग की कमान उसके भांजे अमित कासाना के हाथ में आई. नोएडा से गिरफ्तार हुआ था गैंगस्टर सुंदरः नरेश और उसके भाई रामपाल की मौत के बाद उसका जगैंग कमजोर पड़ रहा था. जबकि अमित कसाना मामा नरेश की हत्या की आग में झुलस रहा था.18 नवंबर 2011 को गाजियाबाद के एक बैंक्वेट हॉल में सुंदर भाटी अपने साले की शादी में शामिल होने गया था. जहां उस पर गोलियों की बौछर कर दी गयी. लेकिन किस्मत अच्छी थी कि सुन्दर भाटी बच गया. लेकिन तीन अन्य लोग मारे गए थे. यह हमला अमित कसाना ने करवाया था. अमित कसाना द्वारा किये गए हमले के बाद सुन्दर भाटी अंडरग्राउंड हो गया. लेकिन वर्ष 2014 को यूपी पुलिस ने उसे नोएडा से गिरफ्तार कर लिया था. 6 अप्रैल 2021 को सुंदर को सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके गनर की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा हो गयी. जिसके बाद से ही वह अलग-अलग जेलों में बंद रहा. क्या था हरेंद्र नागर हत्याकांडः दरअसल, वर्ष 2015 में नोएडा के दनकौर कोतवाली क्षेत्र के दादूपुर गांव के रहने वाले हरेंद्र नागर ग्रेटर नोएडा के नियाना गांव में हत्या कर दी गई थी. हरेंद्र अपने कुछ साथियों के साथ एक शादी समारोह से वापस आ रहे थे. इसी दौरान सुंदर भाटी गैंग के गुर्गों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. हरेंद्र दादूपुर गांव का ग्राम प्रधान था. हमले के दौरान हरेंद्र प्रधान के सरकारी गनर भूदेव शर्मा की भी गोली लगने से मौत हुई थी. भाटी गैंग के पास AK-47 समेत कई खतरनाक हथियारः सुन्दर भाटी के जेल से बाहर आने के बाद यूपी और हरियाणा पुलिस की चिंता बढ़ गयी है. इसके पीछे कारण यह है कि, 2014 से भाटी के जेल में रहने के बाद भी उसका गैंग एक्टिव रहा है. उसके गैंग के पास AK-47 जैसे कई खतरनाक हथियार हैं. इतना ही नहीं उसका संपर्क पंजाब के कई असलहा तस्करों और गैंगस्टर से भी है. ऐसे में अब जब वह बाहर आया है तो कानून व्यवस्था बिगड़ने और गैंगवार होने का खतरा बढ़ गया है.

इसे भी पढ़ें-योगी राज के छह वर्षों में कांप गई 68 माफिया की रूह, 39 जेल में, चार किए गए ढेर और 5000 करोड़ की संपत्ति हुई जमीदोज

लखनऊ : बीते दस वर्षो से जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर सुन्दर भाटी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है. भाटी सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके सरकारी गनर भूदेव शर्मा की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. सुन्दर भाटी के जेल से बाहर आते ही यूपी पुलिस की नींद उड़ गयी है. भाटी एंड गैंग यूपी और हरियाणा पुलिस के लिए हमेशा से सिर दर्द रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को सुन्दर भाटी की सोनभद्र जेल से रिहाई भी हो गयी है.

कभी कुख्यात सतवीर गुर्जर का था राइट हैंडः 90 के दशक के बाद से पश्चिमी यूपी और हरियाणा में खतरनाक और कुख्यात अपराधियों में एक सुन्दर भाटी दोनों राज्यों की पुलिस के लिए चुनौती था. मूल रूप से ग्रेटर नोएडा के गंगोला का रहने वाला सुंदर भाटी किसी समय में गाजियाबाद के लोनी इलाके के कुख्यात सतवीर गुर्जर का राईट हैण्ड हुआ करता था. ग्रेटर नोएडा के रिठोरी गांव के नरेश भाटी से सतवीर गुर्जर की दोस्ती थी. नरेश गांव में परिवार वालों की हत्या का बदला लेने के लिए सतवीर के संपर्क में आया था. तभी सुन्दर और नरेश की करीबी बढ़ गयी. यूपी और हरियाणा में जरायम की दुनिया में इन दोनों की दोस्ती काफी मशहूर थी. इसी दोस्ती की का कर्ज निभाने के लिए सुन्दर ने नरेश भाटी के परिवार वालों की हत्या का बदला लिया. लेकिन ये दोस्ती जल्द ही अदावत में बदल गयी.

भाटी की नरेश से दोस्ती अदावत में कैसे बदली?
जितनी मशहूर सुंदर और नरेश की दोस्ती थी, अदावत भी उतनी मजबूत हुई. यह अदावत पावर को लेकर शुरू हुई थी. सुंदर भाटी एक ट्रक यूनियन पर अपना कब्जा चाहता था. इसी यूनियन पर नरेश की भी नजर थी. नरेश राजनीति में उतरना चाहता था और उसे लगा कि यदि वह यूनियन पर कब्ज़ा कर लेता है तो उसका जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का सपना पूरा हो सकता है. इसी चाहत के चलते बीच में आकर खड़ा हो गया था, उसी का दोस्त सुन्दर भाटी. बस इसी पावर की चाहत ने दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया. दोनों ने एक दूसरे के करीबी ट्रक यूनियन अध्यक्षों की हत्या कर दी. इस गैंगवार से सुन्दर बौखला गया था और दोस्त से दुश्मन बने नरेश के खून का प्यासा हो गया.

सुंदर ने नरेश को गोलियों से भून डाला थाः 2003 में नरेश भाटी ने जिला पंचायत का चुनाव जीता और अध्यक्ष बन गया. अब वह सुन्दर भाटी से मजबूत हो रहा था, जो सुन्दर को पसंद नहीं आ रही थी. जिस पर सुन्दर ने नरेश पर हमला करवाया, इसमें वह तो बच गया लेकिन नरेश का ड्राइवर और गनर मारे गए.

सुंदर भाटी अपनी पत्नी के साथ.
सुंदर भाटी अपनी पत्नी के साथ. (Photo Credit; Social Media)
सुन्दर ने एक बार फिर से नरेश की हत्या करने का प्लान तैयार किया. 2004 में नरेश एक शादी समारोह से लौट रहा था. इसी दौरान सुंदर भाटी ने उसे गोलियों से भून दिया. इसमें नरेश के दो साथी भी बेमौत मारे गए. नरेश का गैंग खत्म न हो, इसके लिए उसके छोटे भाई रामपाल ने गैंग की कमान संभाल ली. लेकिन 2006 में वह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. रामापाल की मौत के बाद नरेश गैंग की कमान उसके भांजे अमित कासाना के हाथ में आई. नोएडा से गिरफ्तार हुआ था गैंगस्टर सुंदरः नरेश और उसके भाई रामपाल की मौत के बाद उसका जगैंग कमजोर पड़ रहा था. जबकि अमित कसाना मामा नरेश की हत्या की आग में झुलस रहा था.18 नवंबर 2011 को गाजियाबाद के एक बैंक्वेट हॉल में सुंदर भाटी अपने साले की शादी में शामिल होने गया था. जहां उस पर गोलियों की बौछर कर दी गयी. लेकिन किस्मत अच्छी थी कि सुन्दर भाटी बच गया. लेकिन तीन अन्य लोग मारे गए थे. यह हमला अमित कसाना ने करवाया था. अमित कसाना द्वारा किये गए हमले के बाद सुन्दर भाटी अंडरग्राउंड हो गया. लेकिन वर्ष 2014 को यूपी पुलिस ने उसे नोएडा से गिरफ्तार कर लिया था. 6 अप्रैल 2021 को सुंदर को सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके गनर की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा हो गयी. जिसके बाद से ही वह अलग-अलग जेलों में बंद रहा. क्या था हरेंद्र नागर हत्याकांडः दरअसल, वर्ष 2015 में नोएडा के दनकौर कोतवाली क्षेत्र के दादूपुर गांव के रहने वाले हरेंद्र नागर ग्रेटर नोएडा के नियाना गांव में हत्या कर दी गई थी. हरेंद्र अपने कुछ साथियों के साथ एक शादी समारोह से वापस आ रहे थे. इसी दौरान सुंदर भाटी गैंग के गुर्गों ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. हरेंद्र दादूपुर गांव का ग्राम प्रधान था. हमले के दौरान हरेंद्र प्रधान के सरकारी गनर भूदेव शर्मा की भी गोली लगने से मौत हुई थी. भाटी गैंग के पास AK-47 समेत कई खतरनाक हथियारः सुन्दर भाटी के जेल से बाहर आने के बाद यूपी और हरियाणा पुलिस की चिंता बढ़ गयी है. इसके पीछे कारण यह है कि, 2014 से भाटी के जेल में रहने के बाद भी उसका गैंग एक्टिव रहा है. उसके गैंग के पास AK-47 जैसे कई खतरनाक हथियार हैं. इतना ही नहीं उसका संपर्क पंजाब के कई असलहा तस्करों और गैंगस्टर से भी है. ऐसे में अब जब वह बाहर आया है तो कानून व्यवस्था बिगड़ने और गैंगवार होने का खतरा बढ़ गया है.

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