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झारखंड राज्य सूचना आयोग में वर्षों से आयुक्तों के पद हैं खाली, आखिर कब शुरू होगी सुनवाई - Jharkhand Information Commission

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 3, 2024, 9:55 AM IST

Updated : Jul 3, 2024, 10:03 AM IST

Appointment of Information Commissioners. झारखंड राज्य सूचना आयोग में सुनवाई पूरी तरह से ठप है. वजह साफ है आयुक्तों का नहीं होना. सरकार पिछले चार साल में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं कर पाई है. अब एक बार सरकार की तरफ से कहा गया है कि अगले तीन सप्ताह में नियुक्ति कर ली जाएगी.

Jharkhand State Information Commission
झारखंड राज्य सूचना आयोग (ईटीवी भारत)

रांचीः आरटीआई एक ऐसा कानूनी हथियार जिसके जरिए आप शासन प्रशासन के कामकाज को लिखित तौर पर जान सकते हैं. मगर झारखंड में यह संवैधानिक अधिकार आम लोगों से दूर है. हालत यह है कि 8 मई 2020 को तत्कालीन प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी के कार्यकाल समाप्त होते ही राज्य सूचना आयोग में सुनवाई पूरी तरह से ठप है. सुनवाई नहीं होने की वजह से आयोग में काफी अपील लंबित है. हर दिन जिला स्तर से करीब 100 अपील याचिका ऑनलाइन और ऑफलाइन आयोग के दफ्तर में पहुंचती है. आयुक्तों की नियुक्ति के इंतजार में ये सारी अपील यूं ही आयोग में पड़ी हुई है.

सूचना आयुक्तों पर बोलते हुए बीजेपी और कांग्रेस नेता (ईटीवी भारत)

अब तक तीन बार सूचना आयुक्त के लिए मांगे गए आवेदन

राज्य सरकार के द्वारा सूचना आयुक्तों के खाली पदों को भरने के लिए अब तक तीन बार आवेदन मांगे जा चुके हैं. इसके बाबजूद चार वर्षों में सरकार नियुक्त नहीं कर पाई है. सबसे पहले जनवरी 2020 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के समय कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों के लिए विज्ञापन निकाला था. आवेदन प्राप्त होने के बाद सरकार के द्वारा विधानसभा में मामला उठने पर यह भी जवाब दिया गया था कि एक मुख्य सूचना आयुक्त और पांच सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए समिति गठित है.

मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 63 आवेदक को शॉर्टलिस्ट किया गया था और पांच सूचना आयुक्त के लिए 354 आवेदन प्राप्त हुए थे. इसके बाद एक बार फिर नये सिरे से आवेदन 2022 में मांगे गए. सरकार इन आवेदनों को भी मूर्तरूप देने में सफल नहीं हुई. चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष नामित नहीं होने की बात कही गई. इन सबके बीच विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर सरकार को सूचना आयोग की याद आने लगी है. कार्मिक ने चुनाव आयुक्तों के पद को भरने की कवायद शुरू करते हुए 31 जुलाई तक नए सिरे से आवेदन मांगा है.

सूचना आयुक्त की नियुक्ति पर हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

सूचना आयुक्तों के खाली पद को भरने के लिए सरकार पर न्यायपालिका का भी दबाव लगातार बना हुआ है. प्रारंभ में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की बात कहकर सरकार पल्ला झाड़ती रही. मगर अब तो राज्य में अमर कुमार बाउरी बतौर नेता प्रतिपक्ष भी मौजूद हैं, तो ऐसे में सरकार ने एक बार फिर आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत कर हाईकोर्ट को तीन सप्ताह के भीतर नियुक्ति कर लेने का शपथपत्र के माध्यम से जवाब दिया है.

सवाल यह है कि आज 2 जुलाई को तीन सप्ताह के अंदर नियुक्ति पूरा कर लेने में सरकार को 23 जुलाई तक समय है मगर जब 31 जुलाई तक आवेदन ही मांगा गया है तो यह कैसे संभव है. हालांकि हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 06 अगस्त निर्धारित की गई है. इससे पहले सूचना आयुक्तों की नियुक्ति जल्द से जल्द करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट भी राज्य सरकार को बोल चुकी है.

सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर सियासत

सूचना आयुक्त का पद खाली रहने पर सियासत जारी है. विपक्ष सरकार की उदासीन रवैया पर हमला बोलने में जुटा है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अविनेष कुमार सिंह कहते हैं कि सरकार की मंशा ही नहीं है कि लोगों को सूचना का अधिकार जैसे संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो. इधर कांग्रेस प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए कहा है कि सरकार सूचना आयुक्तों के खाली पद को जल्द भरने जा रही है. हाईकोर्ट में भी इस संबंध में शपथपत्र के माध्यम से जवाब दिया गया है और कार्मिक विभाग ने इस संबंध में आवेदन भी मांगा है.

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अब तक तीन बार सूचना आयुक्त के लिए मांगे गए आवेदन

राज्य सरकार के द्वारा सूचना आयुक्तों के खाली पदों को भरने के लिए अब तक तीन बार आवेदन मांगे जा चुके हैं. इसके बाबजूद चार वर्षों में सरकार नियुक्त नहीं कर पाई है. सबसे पहले जनवरी 2020 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के समय कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों के लिए विज्ञापन निकाला था. आवेदन प्राप्त होने के बाद सरकार के द्वारा विधानसभा में मामला उठने पर यह भी जवाब दिया गया था कि एक मुख्य सूचना आयुक्त और पांच सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए समिति गठित है.

मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 63 आवेदक को शॉर्टलिस्ट किया गया था और पांच सूचना आयुक्त के लिए 354 आवेदन प्राप्त हुए थे. इसके बाद एक बार फिर नये सिरे से आवेदन 2022 में मांगे गए. सरकार इन आवेदनों को भी मूर्तरूप देने में सफल नहीं हुई. चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष नामित नहीं होने की बात कही गई. इन सबके बीच विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर सरकार को सूचना आयोग की याद आने लगी है. कार्मिक ने चुनाव आयुक्तों के पद को भरने की कवायद शुरू करते हुए 31 जुलाई तक नए सिरे से आवेदन मांगा है.

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सूचना आयुक्तों के खाली पद को भरने के लिए सरकार पर न्यायपालिका का भी दबाव लगातार बना हुआ है. प्रारंभ में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की बात कहकर सरकार पल्ला झाड़ती रही. मगर अब तो राज्य में अमर कुमार बाउरी बतौर नेता प्रतिपक्ष भी मौजूद हैं, तो ऐसे में सरकार ने एक बार फिर आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत कर हाईकोर्ट को तीन सप्ताह के भीतर नियुक्ति कर लेने का शपथपत्र के माध्यम से जवाब दिया है.

सवाल यह है कि आज 2 जुलाई को तीन सप्ताह के अंदर नियुक्ति पूरा कर लेने में सरकार को 23 जुलाई तक समय है मगर जब 31 जुलाई तक आवेदन ही मांगा गया है तो यह कैसे संभव है. हालांकि हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 06 अगस्त निर्धारित की गई है. इससे पहले सूचना आयुक्तों की नियुक्ति जल्द से जल्द करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट भी राज्य सरकार को बोल चुकी है.

सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर सियासत

सूचना आयुक्त का पद खाली रहने पर सियासत जारी है. विपक्ष सरकार की उदासीन रवैया पर हमला बोलने में जुटा है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अविनेष कुमार सिंह कहते हैं कि सरकार की मंशा ही नहीं है कि लोगों को सूचना का अधिकार जैसे संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो. इधर कांग्रेस प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए कहा है कि सरकार सूचना आयुक्तों के खाली पद को जल्द भरने जा रही है. हाईकोर्ट में भी इस संबंध में शपथपत्र के माध्यम से जवाब दिया गया है और कार्मिक विभाग ने इस संबंध में आवेदन भी मांगा है.

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Last Updated : Jul 3, 2024, 10:03 AM IST
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