जयपुर : जयपुर के ऐतिहासिक रामगढ़ बांध की सालगिरह पर एक अच्छी खबर आई है. सालों से सूखे पड़े जयपुर के ऐतिहासिक रामगढ़ बांध में अब जल्द पानी नजर आएगा. सरकार ने चंबल नदी के पानी से इसे भरने की तैयारी कर ली है. ईआरसीपी और पीकेसी प्रोजेक्ट रामगढ़ बांध को संजीवनी देगा. पूर्वी राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के साथ पार्वती काली सिंध परियोजना के तहत यह पानी पहुंचाया जाएगा. करीब 120 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद पानी रामगढ़ बांध तक पहुंचेगा.
इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 4 साल का वक्त लगेगा. इसके लिए ईसरदा बांध से रामगढ़ बांध तक फीडर का निर्माण होगा. ईसरदा से रामगढ़ के बीच तीन जगह मुख्य पेयजल लाइन डाली जाएगी. PKC प्रोजेक्ट के तहत ईसरदा से रामगढ़ में 55 एमक्यूएम चंबल का पानी डाला जाएगा. इसके लिए रास्ते में दो जगह नहरी तंत्र से पानी को आगे बढ़ाया जाएगा. रास्ते में पिकअप वायर और आर्टिफिशियल रिजर्व वायर भी बनेगा. इस पूरे काम में अनुमानित लागत करीब 1915 करोड़ रुपए आएगी. जलदाय विभाग पेयजल सिस्टम की तैयारी कर रहा है.
48 महीने करना होगा इंतजार : पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना व पार्वती कालीसिंध चंबल योजना (पीकेसी-ईआरसीपी) के माध्यम से प्रथम फेज में पानी लाया जाएगा. योजना के शिलान्यास के साथ ही निविदा भी ईआरसीपी कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने जारी कर दी है. अगर सब कुछ तय कार्यक्रम के मुताबिक चला, तो साल 2028 के आखिर तक रामगढ़ बांध में पानी आना शुरू हो जाएगा. संबंधित फर्म-कंपनी को 48 महीने यानी चार वर्ष में ये कार्य पूरा करना होगा. ईआरसीपी कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राकेश कुमार गुप्ता ने ईसरदा बांध से रामगढ़ बांध तक पानी लाने के लिए फीडर निर्माण की 1914.95 करोड़ की विज्ञप्ति जारी की है. योजना के मरम्मत एवं रख-रखाव का कार्य 20 वर्ष तक निविदादाता कम्पनी की ओर से किया जाएगा.
इतिहास के झरोखे में रामगढ़ बांध : रियासत कालीन रामगढ़ बांध का विस्तार 15.5 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसका शिलान्यास महाराजा माधोसिंह ने 30 दिसम्बर 1897 को किया था और यह 6 साल बाद यह बांध 1903 में बनकर तैयार हुआ था. तब इसके निर्माण पर 5 लाख 84 हजार 593 रुपए खर्च हुए थे. इसकी भराव क्षमता 65 फीट है. बांध का केचमेंट एरिया 759 वर्ग किलोमीटर है. इसमें कुल पानी की भराव क्षमता 75 मिलियन क्यूबिक मीटर है. सूखने से पहले यह बांध 76 साल तक जयपुर की करीब 30 लाख की आबादी की प्यास बुझाता था. इतिहासकार जितेंद्र सिंह शेखावत बताते हैं कि साल 2005 के बाद हर साल बरसात में रामगढ़ बांध एक-एक बूंद पानी के लिए मोहताज दिखता है. 1970 की बाढ़ का जिक्र करते हुए वे बताते हैं कि इसी रामगढ़ बांध पर तब 6 फीट की चादर चली थी. वहीं, 1981 की वार्ड में लगातार 20 दिनों तक बांध ओवरफ्लो होकर बहता रहा था.
1931 में पहली बार जयपुर पहुंचा था पानी : रामगढ़ बांध से साल 1925 में जयपुर पानी लाने की योजना बनी थी और साल 1931 में पहली बार बांध से जयपुर में पानी की सप्लाई की गई थी. साल 1981 में जोरदार बारिश के बाद बांंध पर आखिरी बार चादर चली, यही कारण रहा कि साल 1982 में एशियाई खेलों की नौकायन प्रतियोगिता का इसी बांध में आयोजन किया गया था. पहली बार 2005 में बांध सूखने लगा और उसके बाद बांध के जरिए 2007 में पानी की सप्लाई भी बंद हो गई. साल 2016 से पूर्वी राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के तहत रामगढ़ बांध को फिर से पानी से भरने की योजना बनाई गई थी. इसके बाद 2024 में पीकेसी-ईआरसीपी के तहत इसे मंजूरी मिली.
जयपुर की लाइफ लाइन रामगढ़ बांध की 128 वी वर्षगांठ की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
— Mahendra Pal Meena (@Mahendrapal7961) December 30, 2024
***एक ही सपना रामगढ़ बांध लबालब हो अपना *****
जल्दी शुरू होगा रामगढ़ बांध मे पानी लाने का सपना पुरा
राजस्थान के विकास पुरुष राजस्थान के भागीरथ यशस्वी मुख्यमंत्री श्री @BhajanlalBjp… pic.twitter.com/T0A7MujS72
बांध की मजबूती आज भी मिसाल : रामगढ़ बांध अपनी मजबूती के लिए भी पहचाना जाता है. इसका निर्माण करने वाले इंजीनियर कर्नल जैकब और बांध के निर्माण की जिम्मेदारी संभालने वाले राजकीय मिस्त्री लालचंद ने इसके टिकाऊ होने की गारंटी दी थी. इसके लिए बाकायदा जयपुर रियासत ने भरतपुर की रियासत को लिखित में भरोसा दिलाया था. गौरतलब है कि बांध टूटने पर भरतपुर रियासत ने अपने गांवों को बाढ़ के खतरे का अंदेशा जताया था, जबकि निर्माण के सवा सौ साल के बाद भी बाँध पूरी तरह से सुरक्षित है.
बांध की राह में 600 से ज्यादा अतिक्रमण : जल स्रोतों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और इतिहासकार जितेंद्र सिंह शेखावत के मुताबिक हाई कोर्ट की कमेटी ने रामगढ़ बांध तक पानी लाने वाले रास्ते में 600 से ज्यादा अतिक्रमण चिह्नित किए थे. शेखावत बताते हैं कि रामगढ़ बांध तक पानी पहुंचाने वाली मुख्य बाणगंगा नदी एक दौर में साल भर बहा करती थी. अब लोगों की लापरवाही के कारण यह बांध आज बदहाली का शिकार हो चुका है. एक वक्त था जब रामगढ़ बांध से रोजाना 60 लाख गैलन पानी की सप्लाई होती थी.