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सुहागिन महिलाएं क्यों लगाती हैं मांग में सिंदूर? जानें इसके पीछे की वजह - Reason Behind Applying Sindoor

Women Applying Sindoor: हिंदू धर्म के अनुसार शादी के बाद विवाहित महिलाएं मांग में सिंदूर भरती हैं. जिसका धार्मिक महत्व माना जाता है. कहा जाता है कि पति की लंबी उम्र की कामना के लिए पत्नी अपनी मांग में सिंदूर भरती है. आइए जानें इसके पीछे की वजह.

Women Applying Sindoor
सिंदूर लगाने की परंपरा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 11, 2024, 9:24 AM IST

पटना: हिंदू धर्म में शादी का बड़ा ही महत्व है. शादी के समय सात फेरे लेकर पति-पत्नी एक दूसरे का जीवन भर साथ देने की वचन लेते हैं. शादी के समय में पंडित के द्वारा मंत्रो के साथ लड़की की मांग लड़के द्वारा भराई जाती है. इसके बाद वह महिला हमेशा अपने मांग में सिंदूर लगाए रखती है. सिंदूर सुहाग की निशानी है. सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले सिंदूर से अपनी मांग भरती है. आखिर इस सिंदूर का इतना महत्व क्यों है, हम आपको बताएंगे.

सिंदूर से मांग भरने का महत्व: सुहागिन महिलाओं के सिंदूर से मांग भरने को लेकर आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर सुहाग और सुहागिन होने का प्रतीक माना गया है. विवाह के समय में दूल्हा-दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है, तब विवाह पूर्ण माना जाता है. इसके बाद से सुहागिन स्त्री अपनी मांग को हमेशा सिंदूर सजाए रखती है. हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं 16 सिंगार करती है, जिसमें सिंदूर का अहम महत्व है.

सिंदूर से जुड़ी मानयता: रामशंकर दूबे ने बताया कि सिंदूर के महत्व का जिक्र रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक मिलता है. सुहागिन महिलाएं जब अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं तो पति की उम्र लंबी होती है, अकाल मृत्यु से रक्षा होती है, पति के ऊपर कोई भी संकट नहीं आता है और पति-पत्नी के रिश्ते मधुर और मजबूत बने रहते हैं. सुहागिन महिलाओं की पहचान के रूप में सिंदूर को माना जाता है.

Women Applying Sindoor
मांग में सिंदूर भरने का महत्व (ETV Bharat)

मिलता है मां पार्वती का आशीर्वाद: रामशंकर कहते हैं कि सिंदूर का रंग लाल होता है, जो माता पार्वती की ऊर्जा को दर्शाता है. यही कारण है कि सिंदूर लगाने से मां पार्वती से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है. सिंदूर माता लक्ष्मी के सम्मान का प्रतीक है. सुहागिन महिलाओं को धर्मशास्त्र के मुताबिक शादी के समय में 7 बार सिंदूर लगाया जाता है लेकिन इसके बाद ऐसा नहीं होता है.

"महिलाओं को अपने बालों के बीचो-बीच वाली सीधी मांग में सिंदूर लगाना चाहिए. सिंदूर से अगर लंबी मांग भरी जाए तो ज्यादा लाभकारी होता है. शादी के दिन वर अपने वधु को सिंदूर लगाता है. इसके बाद महिलाएं खुद हर दिन अपने से अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं." -रामशंकर दूबे, आचार्य

रामायण काल में भी सिंदूर लगाने का जिक्र: आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि सिंदूर लगाने का इतिहास रामायण काल से है. जब एक बार माता सीता अपनी मांग में सिंदूर भर रही थी तो हनुमान जी ने आकर माता से पूछा कि अपनी मांग में यह लाल रंग क्यों भर रही हैं. तब माता सीता ने हनुमान जी को जवाब दिया कि प्रभु श्री राम मेरी मांग में यह सिंदूर देखकर बहुत खुश होते हैं, इसलिए मैं अपनी मांग को सिंदूर सजाती हूं.

हनुमान जी ने भी लगाया सिंदूर: बता दें कि हनुमान जी ने सोचा की माता सीता की मांग में थोड़ा सा सिंदूर देखकर भगवान राम इतना खुश होते हैं, तो उनके पूरे शरीर पर सिंदूर देखकर काफी प्रसन्न होंगे. तब हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर भड़ी सभा में चले गए, इसके बाद उपस्थित उस सभा में सभी लोग हनुमान जी को देखकर हंसने लगे. हालांकि प्रभु श्री राम इससे काफी प्रसन्न हुए. कहा जाता है कि तभी प्रभु श्री राम ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि इसके बाद से हनुमान जी पर सिंदूर का लेप लगाया जाए और ये प्रथा अभी तक चली आ रही है.

पढ़ें-पटना में महिलाओं ने की वट सावित्री की पूजा, जानें आज के दिन वट वृक्ष क्यों है इतना खास? - Vat Savitri2024

पटना: हिंदू धर्म में शादी का बड़ा ही महत्व है. शादी के समय सात फेरे लेकर पति-पत्नी एक दूसरे का जीवन भर साथ देने की वचन लेते हैं. शादी के समय में पंडित के द्वारा मंत्रो के साथ लड़की की मांग लड़के द्वारा भराई जाती है. इसके बाद वह महिला हमेशा अपने मांग में सिंदूर लगाए रखती है. सिंदूर सुहाग की निशानी है. सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले सिंदूर से अपनी मांग भरती है. आखिर इस सिंदूर का इतना महत्व क्यों है, हम आपको बताएंगे.

सिंदूर से मांग भरने का महत्व: सुहागिन महिलाओं के सिंदूर से मांग भरने को लेकर आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए सिंदूर सुहाग और सुहागिन होने का प्रतीक माना गया है. विवाह के समय में दूल्हा-दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है, तब विवाह पूर्ण माना जाता है. इसके बाद से सुहागिन स्त्री अपनी मांग को हमेशा सिंदूर सजाए रखती है. हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं 16 सिंगार करती है, जिसमें सिंदूर का अहम महत्व है.

सिंदूर से जुड़ी मानयता: रामशंकर दूबे ने बताया कि सिंदूर के महत्व का जिक्र रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक मिलता है. सुहागिन महिलाएं जब अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं तो पति की उम्र लंबी होती है, अकाल मृत्यु से रक्षा होती है, पति के ऊपर कोई भी संकट नहीं आता है और पति-पत्नी के रिश्ते मधुर और मजबूत बने रहते हैं. सुहागिन महिलाओं की पहचान के रूप में सिंदूर को माना जाता है.

Women Applying Sindoor
मांग में सिंदूर भरने का महत्व (ETV Bharat)

मिलता है मां पार्वती का आशीर्वाद: रामशंकर कहते हैं कि सिंदूर का रंग लाल होता है, जो माता पार्वती की ऊर्जा को दर्शाता है. यही कारण है कि सिंदूर लगाने से मां पार्वती से अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है. सिंदूर माता लक्ष्मी के सम्मान का प्रतीक है. सुहागिन महिलाओं को धर्मशास्त्र के मुताबिक शादी के समय में 7 बार सिंदूर लगाया जाता है लेकिन इसके बाद ऐसा नहीं होता है.

"महिलाओं को अपने बालों के बीचो-बीच वाली सीधी मांग में सिंदूर लगाना चाहिए. सिंदूर से अगर लंबी मांग भरी जाए तो ज्यादा लाभकारी होता है. शादी के दिन वर अपने वधु को सिंदूर लगाता है. इसके बाद महिलाएं खुद हर दिन अपने से अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं." -रामशंकर दूबे, आचार्य

रामायण काल में भी सिंदूर लगाने का जिक्र: आचार्य रामशंकर दूबे ने बताया कि सिंदूर लगाने का इतिहास रामायण काल से है. जब एक बार माता सीता अपनी मांग में सिंदूर भर रही थी तो हनुमान जी ने आकर माता से पूछा कि अपनी मांग में यह लाल रंग क्यों भर रही हैं. तब माता सीता ने हनुमान जी को जवाब दिया कि प्रभु श्री राम मेरी मांग में यह सिंदूर देखकर बहुत खुश होते हैं, इसलिए मैं अपनी मांग को सिंदूर सजाती हूं.

हनुमान जी ने भी लगाया सिंदूर: बता दें कि हनुमान जी ने सोचा की माता सीता की मांग में थोड़ा सा सिंदूर देखकर भगवान राम इतना खुश होते हैं, तो उनके पूरे शरीर पर सिंदूर देखकर काफी प्रसन्न होंगे. तब हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर भड़ी सभा में चले गए, इसके बाद उपस्थित उस सभा में सभी लोग हनुमान जी को देखकर हंसने लगे. हालांकि प्रभु श्री राम इससे काफी प्रसन्न हुए. कहा जाता है कि तभी प्रभु श्री राम ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि इसके बाद से हनुमान जी पर सिंदूर का लेप लगाया जाए और ये प्रथा अभी तक चली आ रही है.

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