Know Benefits Of Kodo Millets: कुदरत ने हमें कई ऐसी चीजें दी हैं, जिन्हें बस पहचानने की जरूरत है और उसकी अहमियत समझने की जरूरत है. सरकार इन दिनों मोटे अनाज को किसानों के सामने काफी प्रमोट कर रही है. आज हम इसी मोटे अनाज में से एक कोदो के फसल की बात करेंगे. जिसकी अच्छे तरीके से खेती करके किसान न केवल लखपति बन सकता है, बल्कि बीपी शुगर जैसे मरीजों के लिए ये अनाज किसी वरदान से कम नहीं है. आज के समय में कोदो के चावल की अच्छी खासी डिमांड है.
कम उपजाऊ जमीन पर भी बंपर पैदावार
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि "कोदो एक ऐसी फसल है जो कम उपजाऊ जमीन, उचहन खेतों पर भी हो सकती है. जहां पर धान जैसी फसले नहीं हो सकती हैं, वहां पर कोदो की फसल उगाई जा सकती है. जिले में कोदो को कृषकों के द्वारा उचहन वाली भूमि पर जहां पर कम उपजाऊ भूमि होती है जहां पर अन्य दूसरी फसलें जैसे धान आदि फसलें नहीं हो पाती हैं, वहां पर कोदो की फैसल हमारे किसान अधिकता में लगा सकते हैं."
बंपर उत्पादन के लिए करें ये काम
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं कि "हमारे क्षेत्र में अभी भी ज्यादातर जगहों पर कोदो की पारंपरिक बीज का ही लगातार प्रयोग किया जा रहा है. पारंपरिक बीज मतलब लगभग 20-25 साल से जिस बीज का उपयोग हो रहा था उसी बीज को लगाया जा रहा है, जिसकी वजह से हमारे क्षेत्र में कोदो की उत्पादकता कम हो रही है. जिससे हमारे किसानों को इससे अधिक लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है. अगर हमारे किसान भाई वर्तमान में जो कोदो की उन्नत सील किस्में होती हैं, जैसे कोदो की जवाहर कोदो 137 है, जवाहर कोदो 98 है, छत्तीसगढ़ कोदो है ये ऐसी किस्में हैं कि अगर किसान कोदो के इन किस्मों का चयन करते हैं, तो किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी."
बुवाई में भी रखें ध्यान
कोदो की बुवाई में किसान इन बातों का ध्यान रखें की इसके बीज बहुत छोटे होते हैं तो इसे बहुत गहराई में बुवाई नहीं करनी है. हल्की जुताई करके हमारी जो पहली बारिश होती है या जो हमारे उचहन की भूमि में मुख्य रूप से जब हल चलाने की संभावना बन जाती है तब बुवाई की जाती है. कोदो की बुवाई के लिए प्रति एकड़ 6 से 7 किलोग्राम बीज हमारे कृषकों के द्वारा छिड़काव विधि से बुवाई की जाती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि कोदो की बुवाई लाइन से लाइन एक निश्चित दूरी बनाकर करें, पौधे से पौधे की दूरी और लाइन से लाइन की दूरी नियत करके ही बुवाई करें, तो ज्यादा उत्पादन होगा.
मालामाल कर सकती है ये फसल
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि "अगर किसान कोदो की फसल के लिए सही तरीके से बुवाई करते हैं, तो ये किसानों को मालामाल भी कर सकती है. कोदो की अंतरराष्ट्रीय मांग बहुत ज्यादा होने के कारण वर्तमान में 35 से ₹40 की दर से व्यापारी किसान के घर से ही कोदो की फसल खरीद कर ले जा रहे हैं. अगर इसका चावल बनाकर बेचा जाए तो 120 से ₹130 किलो की दर से बिक रहा है. जिनके घर में ब्लड प्रेशर, शुगर की समस्या है ऐसे मरीजों के बीच कोदो के चावल की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में अगर कोदो की फसल की खेती किसान सही तरीके से करें, तो वो लखपति भी बन सकते हैं क्योंकि मोटे अनाज में कोदो की काफी डिमांड बढ़ रही है."
पोषक तत्वों का भंडार है कोदो
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति कहते हैं कि "कोदो में पोषक तत्वों का भंडार है, इसमें विटामिन, मिनरल्स भरपूर होते हैं, कैल्शियम, मैग्नीशियम सोडियम आयरन जिंक ये सब प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 55 से कम होता है जो शुगर वाले पेशेंट के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इसके अलावा जो इसमें विटामिन बी होता है, फोलिक एसिड होता है इसके अलावा भी कई पोषक तत्व इसमें प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. ये अनाज पोषक तत्वों का एक अच्छा सोर्स है, इसको खाने से हर तरह के पोषक तत्व और ऊर्जा शरीर को मिलती है."
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लागत भी कम, मांग भी ज्यादा
कृषि वैज्ञानिक डॉ बी के प्रजापति बताते हैं कि "कोदो की फसल की अहमियत ऐसे समझी जा सकती है कि इस फसल की खेती के लिए लागत भी बहुत कम लगती है और इसकी मांग बहुत ज्यादा है. वर्तमान में इस क्षेत्र में किसान बरसात के समय धान की फसल की खेती करते हैं जिसमें लागत काफी ज्यादा लगती है लेकिन पौधों की फसल में कम लागत लगती है. ना इसमें कीटनाशक और न ही किसी तरह के खाद की जरूरत होती है. एक तरह से देखा जाए तो मोटे अनाज में कोदो की खेती क्षेत्र के किसानों को मालामाल बना सकती है.