जयपुर: दीपावली पर आतिशबाजी का नजारा जयपुर बसावट के दौर से चल रहा है. यहां राजपरिवार की ओर से दीपावली की शाम सार्वजनिक आतिशबाजी हुआ करती थी, जिसमें विशेष रूप से तैयार किए गए पटाखों का इस्तेमाल किया जाता था और इन्हें बनाने वाली शोरगर भी खास हुआ करते थे. मिर्जा राजा मानसिंह ने अफगानी शोरगरों को अफगानिस्तान से उनके खास हुनर की वजह से आमेर लाकर बसाया था और जब जयपुर की स्थापना हुई तो सवाई जय सिंह ने इन्हीं शोरगरों को जयपुर में बसाया. खास बात ये है कि आज भी कई शोरगर परिवार आतिशबाजी बनाने का काम कर रहे हैं, जिन्हें ढूंढते हुए दूसरे शहरों से भी लोग यहां पहुंचते हैं.
शोरगर का ये है अर्थ : जयपुर में त्योहारों पर होने वाली आतिशबाजी दुनियाभर में जानी जाती है. खासकर दीपावली पर अमावस्या की रात होने के बावजूद आसमान रोशन हो उठता है. ये आतिशबाजी राजा-महाराजाओं के समय से होती आ रही है. इस आतिशबाजी को बनाने वाले कारीगरों का भी दिलचस्प इतिहास है. जयपुर के राजपरिवार की आतिशबाजी के लिए अफगानी शोरगर पटाखे बनाते थे. इसी वजह से इन्हें 'शोरगर' नाम से ही जाना जाता है. शोरा यानी सोडियम, जो पटाखें बनाने में काम आता है. आज भी ये परिवार इसी नाम से जाने जाते हैं. इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि जयपुर के शोरगर सालों से जयपुर के राजपरिवार के लिए पटाखे बनाने का काम करते आ रहे हैं. जयपुर के शोरगर परिवारों को उनके विशेष हुनर की वजह से अफगानिस्तान से लाकर यहां बसाया गया था. उन्होंने रजवाड़ों के सरंक्षण में अपने इस हुनर को आज भी बरकरार रखा हुआ है.
45 सेकंड से 1 मिनट तक जलता है अनार : शोरगर सोहेल जहीर ने बताया कि जयपुर में लगभग 1000 शोरगर परिवार हैं, लेकिन अब बहुत कम परिवार इस काम से जुड़े हुए हैं. हालांकि उनके परिवार ने अपने हुनर को बरकरार रखा हुआ है. आज भी ये लोग मशीनों के बजाय अपने हाथों से ही आतिशबाजी तैयार करते हैं. आतिशबाजी के लिए फैंसी रंगीन पटाखे तैयार करते हैं. मुख्य रूप से अनार और एरियल शॉर्ट तैयार करते हैं. खास बात यह है कि जहां मशीनों से तैयार अनार 20 से 25 सेकंड जलता है, वहीं उनका अनार 45 सेकंड से 1 मिनट तक जलता है. एरियल शॉट्स में भी क्वालिटी का पूरा ध्यान रखा जाता है.
शिवकाशी के पटाखे की डिमांड ज्यादा: उन्होंने बताया कि दीपावली हो या कोई तीज त्योहार यहां तक कि शादी समारोह में भी जयपुर का शोरगर परिवार अपनी बेहतरीन आतिशबाजी के लिए पूरे राजस्थान में फेमस है. यही वजह है कि वो 12 महीने आतिशबाजी बेचते हैं. उनके पटाखे की डिमांड पूरे राजस्थान के अलावा दिल्ली, मेरठ, अमृतसर तक है. यहां दूर-दूर से लोग पटाखे खरीदने आते हैं. खास बात यह है कि आज भी जयपुर राज परिवार के लिए यहां से आतिशबाजी तैयार होकर के जाती है. उनके लिए पहले तो जयपुर राजघराने की सील वाले पटाखे तैयार किए जाते थे. आज भी उनकी आतिशबाजी बनाने में विशेष ध्यान रखा जाता है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि अब समय के साथ-साथ वह खुद शिवकाशी से पटाखे और आतिशबाजी मंगाने लगे हैं. क्योंकि जब ग्राहक उन तक पहुंचता है तो उन्हें और भी वैराइटीज उपलब्ध करानी होती है.
15 रुपए से लेकर 20 हजार रुपए तक के पटाखे : जयपुर में दीपावली पर पटाखों की भी अलग-अलग वैरायटी बाजार में उपलब्ध है. इसमें बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए पटाखे शामिल हैं, जिसमें ड्रोन और हेलीकॉप्टर वाला पटाखा सबसे अनोखा है. साथ ही कलरफुल बटरफ्लाई वाले पटाखों की भी डिमांड खूब है. पटाखे की विक्रेता श्वेता ने बताया कि ये पटाखे 15 रुपए से लेकर 20 हजार रुपए तक के हैं. करीब 8 हजार तरह के पटाखे और आतिशबाजी हैं. हालांकि बीते दिनों हुई बारिश की वजह से इस बार पटाखों में करीब 30% तक दाम बढ़े हैं. बाजारों में तमिलनाडु के शिवकाशी के पटाखे की ही डिमांड ज्यादा है. इसके साथ ही लोग भी अब जागरूक होकर नेशनल एनवायरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) का लोगो देखकर ही पटाखे ले रहे हैं, ताकि उनकी दीपावली सुरक्षित मने और पॉल्यूशन की मात्रा भी कम हो.