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क्या 25 साल से कांग्रेस के कब्जे में रही रायबरेली सीट को बचा पाएंगे राहुल गांधी - Lok Sabha Election 2024

कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली रायबरेली सीट से इस बार मां सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी चुनावी मैदान में उतरे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर इस सीट पर कांग्रेस क्या इतिहास रहा है.

राहुल गांधी और भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह.
राहुल गांधी और भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 10:24 PM IST

लखनऊ : प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल और चर्चित सीटों में से एक रायबरेली संसदीय सीट 25 वर्ष से कांग्रेस जीतती रही है. 2004 से 2019 तक वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को रायबरेली की जनता जिताकर संसद भेजती रही है. हालांकि इस चुनाव में पार्टी ने अपने वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनाव मैदान में उतारा है. रायबरेली सीट पर अब तक हुए चुनावों में 17 बार कांग्रेस पार्टी की जीत हुई हैं. वहीं दो बार भारतीय जनता पार्टी और एक बार जनता पार्टी का प्रत्याशी जीत हासिल कर पाया है. इस बार राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा से ठाकुर प्रसाद यादव मैदान में उतरे हैं.


बता दें कि 19 जून 1970 को जन्मे कांग्रेस नेता राहुल ने 2004 के संसदीय चुनावों से राजनीति में कदम रखा. उन्होंने यह चुनाव अपने पिता की विरासत वाली रायबरेली सीट से लड़ा और जीता भी. 2009 और 2014 में भी उन्होंने अमेठी से चुनाव जीता, जबकि 2019 में उन्हें भाजपा की स्मृति ईरानी से पराजय का सामना करना पड़ा. यह चुनाव उन्होंने केरल के वायनाड से भी लड़ा था, जहां उनकी जीत हुई थी. इस बार भी वह वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं. राहुल गांधी की शिक्षा भारत और विदेश में हुई है. 53 वर्षीय राहुल अब तक अविवाहित हैं. वहीं, भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2010 में कांग्रेस पार्टी से की थी, जब इन्हें पहली बार विधान परिषद सदस्य बनाया गया था. पहला कार्यकाल खत्म होने के बाद इन्होंने 2016 में दोबारा विधान परिषद का चुनाव जीता. 2018 में दिनेश प्रताप सिंह भाजपा में शामिल हो गए और 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और पराजित हुए. 2022 में पार्टी ने इनका कद बढ़ाते हुए स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया. 2022 में यह दोबारा विधान परिषद पहुंचे.


रायबरेली से अब तक ये हुए सांसदः कांग्रेस के प्रभुत्व वाली रायबरेली संसदीय सीट पर सबसे पहले 1952 और 1957 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. 1962 में कांग्रेस के ही बैजनाथ कुरील ने लोकसभा चुनाव जीता था. 1967 और 71 में कांग्रेस के टिकट पर इंदिरा गांधी ने यहां से चुनाव जीती. लेकिन 1977 में रायबरेली की जनता ने उन्हें नकार दिया और जनता पार्टी के राज नारायण को जिताकर संसद भेजा. उस चुनाव में इंदिरा गांधी को 55, 202 मतों से हार का सामना करना पड़ा था. 1980 में इस सीट से इंदिरा गांधी ने फिर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 1984 में कांग्रेस के अरुण नेहरू, 1989 और 1991 में कांग्रेस नेता शीला कौल ने रायबरेली सीट से जीत हासिल की. 1996 और 1998 में इस सीट पर भाजपा नेता अशोक सिंह को जीत मिली. 1999 से 2019 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा. 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा और उसके बाद के सभी चुनावों में इस सीट से सोनिया गांधी ने जीत हासिल की है.

2019 और 2014 लोकसभा चुनाव परिणामः यदि पिछले दो चुनावों को देखें, तो 2014 के लोकसभा चुनावों में इस सीट से सोनिया गांधी ने 3,52,713 मतों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को पराजित किया था. इस चुनाव में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को 5,26,434 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी अजय अग्रवाल को 173,721 और बसपा के प्रवेश सिंह को 63,633 मत प्राप्त हुए थे. वहीं 2019 के चुनावों में सोनिया गांधी की जीत का अंतर घटकर 1,67,178 रह गया था. उन्हें 5,34,918 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 वोट हासिल हुए थे. यह चुनाव सपा और बसपा ने गठबंधन कर लड़ा था और सोनिया के विरोध में कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था. हालांकि इस चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन है, जबकि बसपा ने ठाकुर प्रसाद यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है.

जातीय समीकरणः इस सीट में 30 फीसद से ज्यादा मतदाता हैं. वहीं, लगभग 19 प्रतिशत मुस्लिम औऱ 18 फीसद ब्राह्मण मतदाता हैं. क्षत्रिय मतदाता लगभग 11 फीसद, लोध छह और कुर्मी पांच फीसद हैं. पिछले चुनावों में देखने को मिला है कि दलित वोटों में एक बहुत बड़ा लाभार्थी वर्ग है और वह भाजपा के लिए वोट करता है. इसलिए इस बार यह देखना रोचक होगा कि चुनाव किस करवट बैठता है. 2022 के विधानसभा चुनावों चार पर सपा और और पर भाजपा का कब्जा है. बछरावां सुरक्षित सीट से सपा नेता श्याम सुंदर, हरचंदपुर सीट से सपा के राहुल राजपूत, रायबरेली सीट से भाजपा की अदिति सिंह, सरेनी से सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह और ऊंचाहार से सपा के टिकट पर मनोज पांडेय ने चुनाव जीता था, जो अब भाजपा के साथ आ चुके हैं.

लखनऊ : प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल और चर्चित सीटों में से एक रायबरेली संसदीय सीट 25 वर्ष से कांग्रेस जीतती रही है. 2004 से 2019 तक वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को रायबरेली की जनता जिताकर संसद भेजती रही है. हालांकि इस चुनाव में पार्टी ने अपने वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनाव मैदान में उतारा है. रायबरेली सीट पर अब तक हुए चुनावों में 17 बार कांग्रेस पार्टी की जीत हुई हैं. वहीं दो बार भारतीय जनता पार्टी और एक बार जनता पार्टी का प्रत्याशी जीत हासिल कर पाया है. इस बार राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा से ठाकुर प्रसाद यादव मैदान में उतरे हैं.


बता दें कि 19 जून 1970 को जन्मे कांग्रेस नेता राहुल ने 2004 के संसदीय चुनावों से राजनीति में कदम रखा. उन्होंने यह चुनाव अपने पिता की विरासत वाली रायबरेली सीट से लड़ा और जीता भी. 2009 और 2014 में भी उन्होंने अमेठी से चुनाव जीता, जबकि 2019 में उन्हें भाजपा की स्मृति ईरानी से पराजय का सामना करना पड़ा. यह चुनाव उन्होंने केरल के वायनाड से भी लड़ा था, जहां उनकी जीत हुई थी. इस बार भी वह वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं. राहुल गांधी की शिक्षा भारत और विदेश में हुई है. 53 वर्षीय राहुल अब तक अविवाहित हैं. वहीं, भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2010 में कांग्रेस पार्टी से की थी, जब इन्हें पहली बार विधान परिषद सदस्य बनाया गया था. पहला कार्यकाल खत्म होने के बाद इन्होंने 2016 में दोबारा विधान परिषद का चुनाव जीता. 2018 में दिनेश प्रताप सिंह भाजपा में शामिल हो गए और 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और पराजित हुए. 2022 में पार्टी ने इनका कद बढ़ाते हुए स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया. 2022 में यह दोबारा विधान परिषद पहुंचे.


रायबरेली से अब तक ये हुए सांसदः कांग्रेस के प्रभुत्व वाली रायबरेली संसदीय सीट पर सबसे पहले 1952 और 1957 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. 1962 में कांग्रेस के ही बैजनाथ कुरील ने लोकसभा चुनाव जीता था. 1967 और 71 में कांग्रेस के टिकट पर इंदिरा गांधी ने यहां से चुनाव जीती. लेकिन 1977 में रायबरेली की जनता ने उन्हें नकार दिया और जनता पार्टी के राज नारायण को जिताकर संसद भेजा. उस चुनाव में इंदिरा गांधी को 55, 202 मतों से हार का सामना करना पड़ा था. 1980 में इस सीट से इंदिरा गांधी ने फिर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 1984 में कांग्रेस के अरुण नेहरू, 1989 और 1991 में कांग्रेस नेता शीला कौल ने रायबरेली सीट से जीत हासिल की. 1996 और 1998 में इस सीट पर भाजपा नेता अशोक सिंह को जीत मिली. 1999 से 2019 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा. 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा और उसके बाद के सभी चुनावों में इस सीट से सोनिया गांधी ने जीत हासिल की है.

2019 और 2014 लोकसभा चुनाव परिणामः यदि पिछले दो चुनावों को देखें, तो 2014 के लोकसभा चुनावों में इस सीट से सोनिया गांधी ने 3,52,713 मतों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को पराजित किया था. इस चुनाव में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को 5,26,434 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी अजय अग्रवाल को 173,721 और बसपा के प्रवेश सिंह को 63,633 मत प्राप्त हुए थे. वहीं 2019 के चुनावों में सोनिया गांधी की जीत का अंतर घटकर 1,67,178 रह गया था. उन्हें 5,34,918 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 वोट हासिल हुए थे. यह चुनाव सपा और बसपा ने गठबंधन कर लड़ा था और सोनिया के विरोध में कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था. हालांकि इस चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन है, जबकि बसपा ने ठाकुर प्रसाद यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है.

जातीय समीकरणः इस सीट में 30 फीसद से ज्यादा मतदाता हैं. वहीं, लगभग 19 प्रतिशत मुस्लिम औऱ 18 फीसद ब्राह्मण मतदाता हैं. क्षत्रिय मतदाता लगभग 11 फीसद, लोध छह और कुर्मी पांच फीसद हैं. पिछले चुनावों में देखने को मिला है कि दलित वोटों में एक बहुत बड़ा लाभार्थी वर्ग है और वह भाजपा के लिए वोट करता है. इसलिए इस बार यह देखना रोचक होगा कि चुनाव किस करवट बैठता है. 2022 के विधानसभा चुनावों चार पर सपा और और पर भाजपा का कब्जा है. बछरावां सुरक्षित सीट से सपा नेता श्याम सुंदर, हरचंदपुर सीट से सपा के राहुल राजपूत, रायबरेली सीट से भाजपा की अदिति सिंह, सरेनी से सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह और ऊंचाहार से सपा के टिकट पर मनोज पांडेय ने चुनाव जीता था, जो अब भाजपा के साथ आ चुके हैं.

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