नई दिल्ली: देश के राष्ट्रपति के सफर करने के लिए रेलवे ने अलग से सैलून तैयार किया था. प्रेसिडेंट स्पेशल नाम की इस ट्रेन में दो डिब्बे थे. इसे राष्ट्रपति सैलून और ट्विन कार नाम दिया गया था, लेकिन अब इस ट्रेन को दिल्ली के नेशनल रेल म्यूजियम में इतिहास की तरह संजोकर रख दिया गया है. इस राष्ट्रपति सैलून को 1956 में बनाया गया था.
सैलून के 1 कोच में राष्ट्रपति सफर करते थे. दूसरे कोच में उनका स्टाफ सफर करता था. सबसे पहले इसमें राजेंद्र प्रसाद ने और आखिरी बार डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने सफर किया था. भारत आए अन्य देशों के प्रमुख व प्रेसिडेंट भी इस ट्रेन में सफर कर चुके हैं. अब रेलवे राष्ट्रपति के लिए इस तरह से अलग कोच नहीं बनाएगा. चार लग्जरी ट्रेनें निर्धारित की गई हैं. जिनमें राष्ट्रपति पूरे प्रोटोकाल के साथ सफर करेंगे.
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1956 में बनी थी दो कोच की राष्ट्रपति स्पेशल ट्रेन
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, साल 1956 में मुंबई के माटुंगा वर्कशॉप में राष्ट्रपति के लिए स्पेशल एसी सैलून सागौन की लकड़ी से तैयार किया गया था. एक कोच राष्ट्रपति के लिए और दूसरा कोच स्टाफ के लिए था. दो कोच होने के कारण इसे ट्विन कार नाम दिया गया. राष्ट्रपति के कोच का नंबर 9000 और स्टाफ कोच का नंबर 9001 है. इसमें जो किचन है. उसमें 14.5 किलोग्राम चांदी के बर्तन थे, जिनमें राष्ट्रपति खाना खाते थे. राष्ट्रपति के लिए बेडरूम, ड्राइंग हाल, मीटिंग रूम आदि की व्यवस्था थी.
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मालगाड़ी गुजारकर ट्रैक की होती थी जांच फिर चलती राष्ट्रपति की ट्रेन
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षा के लिहाज से राष्ट्रपति की ट्रेन से पहले मालगाड़ी चलाई जाती थी. इसके बाद पायलट की तरफ से इंजन चलाया जाता था. उसके बाद डीआरएम का निरीक्षण इंजन उस ट्रैक पर चलता था. इसके बाद राष्ट्रपति का सैलून लेकर इंजन चलता था. इससे ट्रैक में कहीं किसी कमी के कारण राष्ट्रपति ट्रेन के साथ कोई हादसा न हो. राष्ट्रपति ट्रेन के सैलून को 90 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चलाया जाता था.
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अब नहीं बनाए जाएंगे राष्ट्रपति के लिए स्पेशल सैलून
जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति सैलून (ट्विन कार) के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास अलग से शेड बना था. यहां पर नियमित राष्ट्रपति के सैलून का मेंटेनेंस होता था. कई स्टाफ लगे हुए थे, लेकिन इस सैलून का कई सालों में प्रयोग होता था. इससे बेवजह लाखों रुपये का खर्च हो जाते थे. राष्ट्रपति के यहां से आदेश आया था कि उन्हें स्पेशल सैलून नहीं चाहिए. ऐसे में राष्ट्रपति सैलून को दिल्ली के नेशनल रेल म्यूजियम में संरक्षित कर दिया गया है.
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अब्दुल कलाम ने किया था आखिरी बार सफर
नेशनल रेल म्यूजियम के डायरेक्टर दिनेश कुमार गोयल के मुताबिक, 1956 में बने इस प्रेसिडेंट ट्विन कार में देश के सबसे पहले देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 11 जनवरी 1957 को सफर किया था. आखिरी बार पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने तीन बार इस ट्रेन में सफर किया था. इस ट्रेन में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, डॉ. वीवी गिरि, डॉ. एन संजीव रेड्डी ने भी इस राष्ट्रपति सैलून में सफर किया था. इसके अलावा जर्मनी के चांसलर, गोहाना के प्रेसिडेंट, बहरीन के हेड ऑफ द स्टेट और स्वीडन के प्राइम मिनिस्टर ने इसमें सफर किया है.
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चार ट्रेनें की गई हैं निर्धारित, जिसमें राष्ट्रपति करेंगे सफर
रेलवे के अधिकारियों के अनुसार डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के स्पेशल ट्रेन में सफर करने के 15 साल बाद 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्रेन में सफर किया था. वह दिल्ली से अपने पैतृक आवास कानपुर गए थे. उन्होंने रॉयल ओरिएंट एक्सप्रेस ट्रेन में सफर किया था.
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, अब राष्ट्रपति के लिए स्पेशल ट्रेन नहीं है. ट्विन कार आखिरी प्रेसिडेंट स्पेशल ट्रेन थी. अब चार ट्रेनें – रॉयल ओरिएंट एक्सप्रेस, डेक्कन ओडिसी, महाराजा एक्सप्रेस और पैलेस ऑन व्हील ट्रेन में राष्ट्रपति सफर करेंगे. इन ट्रेनों को स्पेशल टूरिस्ट ट्रेनों के रूम में रेलवे प्रयोग करता है.
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