पटना : महाशिवरात्रि के मौके पर शिक्षा विभाग के कार्यालय में 30 ऐसे शिक्षकों को बुलाया गया है, जिनके पात्रता परीक्षा रोल नंबर पर एक से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक खुद सभी नियोजित शिक्षकों का डॉक्यूमेंट वेरीफाई कर रहे हैं. ऐसे 1205 शिक्षकों में सबसे अधिक नवादा जिले में 79 शिक्षक हैं. जबकि, शिवहर और शेखपुरा में सबसे कम पांच शिक्षक हैं.
क्या है मामला ? : बताते चलें कि ऐसे 860 शिक्षकों की जो सूची जारी की गई है, उसमें उदाहरण के तौर पर देखे तो टीईटी रोल नंबर 150 पर 2011 बैच में 16 शिक्षक हैं. वही क्रमांक संख्या 2212118274 पर पांच शिक्षक हैं, जिनमें 4 शिक्षक 2011 बैच के ही हैं और एक 2012 बैच के हैं. शिक्षा विभाग में सभी को शिक्षक पात्रता परीक्षा का एडमिट कार्ड और सर्टिफिकेट के साथ-साथ सभी जरूरी डॉक्यूमेंट को लेकर बुलाया गया है. केके पाठक खुद सभी का डॉक्यूमेंट वेरीफाई कर रहे हैं.
फर्जी पाए जाने वाले शिक्षकों का क्या होगा? : पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता डॉक्टर कौशलेंद्र नारायण ने बताया कि केके पाठक के कई आदेश का लोग विरोध कर रहे हैं. लेकिन यह तय है कि वह ईमानदार हैं और शिक्षा विभाग में व्याप्त धांधली को दूर करने में लगे हुए हैं. प्रदेश में सभी शिक्षक बुरे नहीं है और अधिकांश शिक्षक पढ़ाने वाले और अच्छे हैं. लेकिन कुछ फर्जी शिक्षकों ने शिक्षा विभाग की छवि खराब करके रख दी है. केके पाठक के प्रयास से अब यह पकड़े भी जा रहे हैं.
केके पाठक खुद कर रहे निगरानी : सक्षमता परीक्षा बाध्यकारी करके उन्होंने फर्जी शिक्षकों को ढूंढ निकालने का प्रयास किया. बिहार में फर्जी शिक्षक को लेकर पहले से मामला है, जहां सरकार के पास 75000 शिक्षकों के फोल्डर नहीं है. विजिलेंस ने जांच में इन्हें फर्जी पाया था. डॉक्टर कौशलेंद्र नारायण ने बताया कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में जो शिक्षक सही होंगे उनकी नौकरी बनी रहेगी लेकिन जो वह शिक्षक फर्जी डॉक्यूमेंट पर काम कर रहे होंगे उनकी नौकरी तो जाएगी ही, उन पर कानूनी कार्रवाई भी होगी.
इन धाराओं पर होगी कार्रवाई : कानूनी कार्रवाई के तौर पर उन पर आईपीसी की धारा 465 धारा 420 और धारा 417 का मामला बनेगा. 465 में 2 साल की सजा और जुर्माना, धारा 420 में 7 साल की सजा और जुर्माना, धारा 417 में 1 साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है. कानून स्पष्ट कहता है कि जो गलत तरीके से धांधली के माध्यम से काम कर रहे हैं, पकड़े जाने पर उन्हें काम से बाहर किया जाएगा और आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा. आर्थिक दंड के रूप में अब तक जो उन्हें वेतन प्राप्त हुआ है वह लौटना पड़ सकता है. नहीं लौटाने पर कारावास की अवधि बढ़ जाएगी.
शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार पर केके पाठक की नजर : डॉक्टर कौशलेंद्र नारायण ने बताया कि शिक्षा विभाग ही नहीं कई विभागों में प्रदेश में भ्रष्टाचार है क्योंकि एक अधिकारी कई वर्षों से विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत हैं. शिक्षा विभाग में उन्होंने लॉजिस्टिक घोटाला का उजागर किया था और हाई कोर्ट से निर्देश के बावजूद कोरोना का हवाला देकर विभाग ने जांच नहीं कराया. लेबोरेटरी के समान स्टेशनरी की दुकान से खरीदे गए थे और यह एक बड़ा घोटाला था. फिलहाल केके पाठक का एक्शन शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सराहनीय दिशा में लग रहा है.
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