अजमेर : धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से किन्नर समाज के लोग जुटे हैं. यह मौका है अखिल भारतीय किन्नर महासम्मेलन का. महासम्मेलन की मेजबानी कर रहे अजमेर के किन्नर समाज ने बाहर से आने वाले मेहमानों की आवभगत के लिए जबरदस्त तैयारी की है. महासम्मेलन में हाईटेक तरीके से व्यवस्थाएं हैं. वहीं, किन्नर समाज के लोगों के अलावा भीतर कोई न जाए, इसके लिए महासम्मेलन परिसर की सुरक्षा बाउंसर देख रहे हैं. किन्नर समाज की खिचड़ी तुलाई की रस्म के साथ ही सोमवार को महासम्मेलन का विधिवत आगाज हो गया है.
अजमेर में पहली बार बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय किन्नर महासम्मेलन हो रहा है. 10 दिवसीय किन्नर महासम्मेलन का उद्देश्य सामाजिक एकता, समरसता के अलावा किन्नर समाज के मुद्दों को लेकर चर्चा करना भी है. वहीं, किन्नर परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए समाज का उत्थान भी है. अजमेर किन्नर समाज की गद्दी पति सलोनी नायक महासम्मेलन में आए लोगों की आव भगत और व्यवस्थाओं में व्यस्त है. यह सम्मेलन गद्दीपति सलोनी नायक की गुरु अनिता बाई की याद में आयोजित किया गया है. किन्नर समाज में गुरु शिष्य परंपरा ही आदि अनादि काल से चली आ रही है. किन्नर समाज में गुरु ही माता-पिता, भाई और सखा होता है. यही वजह है गद्दीपति सलौनी नायक की इजाजत के बीना सम्मेलन में किसी को भीतर एंट्री नहीं है. केवल किन्नर समाज और व्यवस्थाओं से जुड़े लोग ही भी आ जा सकते हैं.
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खाने-पीने से लेकर मेडिकल के भी स्टॉल : अजमेर के वैशाली नगर स्थित एक प्राइवेट स्कूल परिसर में किन्नर समाज का महासम्मेलन हो रहा है. मुख द्वार पर बाउंसर सुरक्षा व्यवस्था में लगे हैं. गैलरी पार करने के बाद पांडाल में किन्नर समाज की कुलदेवी बहुचरा माता का मंदिर बनाया गया है, जहां कलश पूजन किया गया. इसके बाद शाम को खिचड़ी तुलाई की रस्म अदा की गई. मंदिर के समीप ही अलग-अलग स्टॉल लगी हुई है, जहां मेडिकल, बैंकिंग, परफ्यूम, रजिस्ट्रेशन, टूर ऑपरेटर आदि की व्यवस्था शामिल है. इसके आगे ज्वेलर्स और खाने पीने की स्टॉल भी भीतर लगी है. मंदिर से आगे 20 मीटर की दूरी पर एक और बड़ा पांडाल है, जिसमें किन्नर समाज के लोगों के अलावा किसी और व्यक्ति का जाना निषेध है. यह वह क्षेत्र है जहां पर किन्नर समाज की पंच रस्मों को निभाते हैं और समाज के हित में फैसले लेते हैं. पांडाल की सजावट देखते ही बनती है. महासम्मेलन में व्यवस्थाओं का जिम्मा संभाल रहे लोग आपस में वॉकी टॉकी से जुड़े हुए हैं. भीतर बड़े पांडाल में होने वाली रस्मों का एलईडी के माध्यम से लाइव प्रसारण मंदिर के परिसर में देखा जा सकता है.
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महासम्मेलन की पहली खिचड़ी तुलाई की रस्म : सोमवार को महासम्मेलन में आए 2 हजार किन्नरों की उपस्थिति में पंचों ने खिचड़ी तुलाई की रस्म निभाई. इस रस्म के तहत चावल को तराजू में तोला गया. बाद में चावल, दाल, शक्कर का बुरा, घी, मेवा आदि सामग्री हलवाई को दी जाती है. महासम्मेलन की यह पहली रस्म है. अजमेर किन्नर समाज की गद्दी पति सलोनी बाई नायक ने बताया कि सोमवार को विधिवत रूप से कलश पूजन के बाद मेहमानों के आगमन पर उनके समक्ष कलश ले जाया गया, जिसमें श्रद्धा के अनुसार मेहमानों की ओर से शगुन की राशि डाली गई. इसके बाद शाम को खिचड़ी तुलाई की रस्म अदा की गई. महासम्मेलन में 19 फरवरी को चाक पूजन की भी रस्म होगी. इसके अलावा किन्नर समाज शोभायात्रा भी निकालेगा.

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कुलदेवी माता को लगाया खिचड़ी का भोग : अजमेर किन्नर समाज की गद्दी पति सलोनी बाई नायक के चेले दीपिका बाई ने बताया कि संतों की परंपरा के अनुसार ही खिचड़ी तुलाई की रस्म किन्नर समाज सामूहिक रूप से निभाता है. महासम्मेलन की यह पहली रस्म है. इस रस्म का उद्देश्य किन्नर समाज का सामूहिक रूप से कुल देवी बहुचरा माता में अपनी आस्था प्रकट करना है. यानी माता को परंपरागत खिचड़ी का भोग लगाना है. इसके लिए पंचों की उपस्थिति में चावल की तुलाई होती है. इसके बाद चावल दाल शक्कर मेवा, घी समेत आवश्यक सामग्री हलवाई को दी जाती है. बाद में खिचड़ी का भोग कुलदेवी माता बहुचरा को लगाया जाता है. इसके बाद समाज के सभी किन्नर सामूहिक रूप से माता के भोग खिचड़ी को प्रसाद मान कर ग्रहण करते हैं. इस रस्म से समाज की ओर से कुल देवी के प्रति आस्था प्रकट करने के साथ ही समाज में समरसता भी बढ़ती है. उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर महासम्मेलन आयोजित करने का सपना पूरा हो रहा है.

राजस्थानी संस्कृति और परंपरा से रूबरू हो रहे मेहमान : नीता बाई ने बताया कि महासम्मेलन में काफी खुशी और उत्साह का माहौल है. देश के विभिन्न राज्यों से करीब 2 हजार के लगभग किन्नर आए हैं. अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग संस्कृति महासम्मेलन में देखी जा सकती है, लेकिन यहां पर सभी मेहमानों की आव भगत राजस्थानी परंपराओं के अनुसार ही की जा रही है. मेहमानों का स्वागत खान पान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पहनावा सब कुछ राजस्थानी संस्कृति को प्रदर्शित कर रहा है.
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पीएम मोदी और योगी की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है : जयपुर से आई किन्नर अखाड़ा परिषद की सदस्य सपना बाई ने बताया कि किन्नर सम्मेलन में बड़ी संख्या में देशभर से किन्नर आए हैं. यह किन्नर समाज का महाकुंभ है. महाकुंभ में भी किन्नर समाज के अखाड़ा परिषद ने बहुत सेवाएं दी हैं. वे खुद अखाड़ा परिषद की सदस्य हैं. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम आदित्यनाथ योगी की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि महाकुंभ का आयोजन और व्यवस्थाओं को इन नेताओं के अलावा और कोई भी अंजाम नहीं दे सकता. इनकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है. उन्होंने बताया कि धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर हिंदू और मुस्लिम धर्म की तीर्थस्थली है. राजनीति करने वाले लोग हिंदू और मुसलमान का फसाद खड़ा करते हैं. किन्नर समाज यह सब नहीं मानता है. समाज में मुस्लिम धर्म मानने वाले लोग भी हैं और हिंदू भी हैं, लेकिन सभी मिलजुल कर रहते हैं. इसी तरह से देश में सभी धर्म के लोग आपस में मिलजुल कर रहें. देश की तरक्की हो, यही कामना करते हैं
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