पीलीभीत: बड़ी बेटी के लव मैरिज करने नाराज पिता ने अपने दामाद व उसके परिजनों को फंसाने के लिए छोटी बेटी के अपहरण की साजिश रच दी. अपहरण का मामला शासन स्तर तक पहुंचा तो पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. आनन फानन में पुलिस अधीक्षक ने कार्रवाई करते हुए पूरनपुर के थाना अध्यक्ष को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया. हालांकि छानबीन में जब इसका खुलासा हुआ तो पुलिस विभाग के अफसर दंग रह गए.
दरअसल सेहारामऊ उत्तरी थाना क्षेत्र के रहने वाले जसकरण सिंह ने पुलिस को सूचना दी कि उन्होंने अपनी बेटी योगिता उर्फ पलक को सुनगढ़ी थाना क्षेत्र के आसम चौराहे से गांव जाने के लिए एक ईको में बैठाया था. देर रात तक युवती घर नहीं पहुंची. पूरे मामले में पुलिस को गुमराह करते हुए पहले जसकरण शिकायत करने के लिए 13 मई को पूरनपुर थाने पहुंचा. जहां पूर्व से ही परिचित थाना अध्यक्ष को देखकर लौट आया. 14 मई को दोबारा अपनी पत्नी के साथ सेहरामऊ थाने पहुंचा और बेटी के लापता होने का मुकदमा दर्ज कराया.
पुलिस की जांच में हुआ खुलासा
19 मई को लापता हुई युवती लखीमपुर के गांव चिमनी में सड़क पर पड़ी मिली. युवती के पिता को लेकर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची. जब पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो पता लगा कि आरोपी पिता ने अपनी बड़ी बेटी के पति और उसके परिजनों को फंसाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अपने दोस्त रामचंद्र के साथ मिलकर इस पूरी घटना का षड्यंत्र रचा था. जिसके तहत बेटी को दोस्त के घर भेज पुलिस के पास उसके गुमशुदा होने की शिकायत की थी. कई सीसीटीवी फुटेज समेत अन्य सबूत के आधार पर पुलिस ने घटना का खुलासा किया है. पुलिस अधीक्षक अविनाश पांडे ने बताया कि आरोपी जसकरण इस झूठे घटनाक्रम के जरिए अपने दामाद आनंद कुमार और उसके छोटे भाई सूरज को फंसा कर जेल भिजवाना चाहता था.
किराएदार ने पुलिस को दी थी जानकारी
पुलिस अधीक्षक के मुताबिक 12 मई से युवती अपने दूसरे मकान में रह रही थी. किराएदार ने युवती को दूसरे मकान में देखा था. युवती को उसके पिता मोटरसाइकिल से 16 मई को अपने दोस्त डॉ. रामचंद्र के यहां लेकर पहुंचे थे, जिसके बाद 18 मई को देर रात में योजनाबद्ध तरीके से दोनों आरोपियों ने किशोरी को घटनास्थल के पास छोड़ दिया था. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पूरे मामले में रामचंद्र और जसकरन नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है.
बिना कसूर पूरनपुर थानाध्यक्ष पर हुई कार्रवाई
प्रारंभिक जांच के दौरान पूरनपुर थानाध्यक्ष पर पूरे मामले में मुकदमा पंजीकृत न करने का आरोप लगा था. पुलिस के अधिकारियों ने इसे लापरवाही मानते हुए संजीव कुमार शुक्ला को सस्पेंड कर दिया था, लेकिन जब मामले का खुलासा हुआ तो पुलिस अधिकारी भी दंग रह गए. जो घटना घटित ही नहीं हुई उसमें कार्रवाई न करने के लिए पूरनपुर थाना अध्यक्ष पर कार्रवाई हो गई.