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आधी रात हाथ में तलवार लेकर खप्पर रूप में निकलेंगी देवी, 150 साल से जारी है परंपरा - Khappar Yatra in Kawardha

कवर्धा में नवरात्रि के मौके पर 150 साल पुरानी परंपरा निभाई जाएगी. अष्टमी और नवमी की रात देवी मां खप्पर के रुप में पूरे नगर को दर्शन देती हैं. Khappar Yatra in Kawardha

Khappar Yatra in Kawardha
खप्पर के रूप में निकलेंगी देवी मां
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 16, 2024, 8:02 PM IST

कवर्धा : नवरात्रि के अवसर पर कबीरधाम में डेढ़ सौ साल पुरानी परंपरा निभाई जाएगी.अष्टमी के मौके पर आधी रात को देवी के दो पुरातन मंदिरों से खप्पर निकाली जाएगी.ऐसा माना जाता है कि कवर्धा के देवी मंदिर में साक्षात् मां विराजमान हैं. साल की दो नवरात्रि में देवी मां अष्टमी के दिन खप्पर के रूप में मंदिर से बाहर आती हैं.इसके बाद नगर भ्रमण करके श्रद्धालुओं को दर्शन देती हैं.

Khappar Yatra in Kawardha
कवर्धा में देवी का खप्पर रूप




सालों से निभाई जा रही ये परम्परा : कवर्धा में सालों से खप्पर निकालने की परंपरा जारी है. नवरात्रि में अष्टमी की आधी रात को नगर के चंडी और परमेश्वरी देवी के मंदिरों से खप्पर निकाली जाती है. इस खप्पर के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं. इस दौरान पुलिस और प्रशासन की टीम पूरे नगर में सख्त पहरा देती है.साथ ही साथ सुरक्षा के लिहाज से एक दिन पहले ही खप्पर गुजरने वाले मार्ग में बेरिकेडिंग की जाती है.


कितनी साल पुरानी है परंपरा : मंदिर के पुजारी की माने तो दोनों मंदिर से खप्पर निकालने की परंपरा डेढ़ सौ साल पुरानी है. नवरात्रि के अष्टमी की रात 12 बजकर10 मिनट में मां चंडी और 12 बजकर 20 मिनट में मां परमेश्वरी एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में जलता हुई आग का खप्पर जिसे माता का प्रतीक माना जाता है,पुजारी लेकर निकलते हैं.नगर भ्रमण के बाद मंदिर में जाकर देवी मां शांत हो जाती है. खप्पर के निकलने वाले रास्ते पर अंधेरे में खड़े होकर लोग देवी का दर्शन करते हैं.

''यह परंपरा 150 साल पुरानी है. पहले नगर में हैजा, महामारी, अकाल, भुखमरी जैसे कई मुश्किलें आती रहती थी. इन्हीं अड़चनों को दूर करने के लिए अष्टमी की रात को माता मंदिर से निकलकर पूरे नगर को बांध देती थी. इसके बाद प्रकोप से छुटकारा मिल जाता था.'' मंदिर के पुजारी


खप्पर के दर्शन के लिए विशेष इंतजाम :सीटी कोतवाली थाना प्रभारी लालजी सिन्हा के मुताबिक मंदिर समितियों से बैठक कर खप्पर की रूप रेखा और अन्य चीजों के संबंध में जानकारी ली गई है. पुलिस विभाग ने जगह-जगह बैरिकेडिंग लगाई है. पुलिस जवानों की भी पर्याप्त ड्यूटी लगाई जाएगी. ताकि लोग शांति से माता के दर्शन कर सकें.आपको बता दें कि आधी रात को माता के खप्पर का दर्शन करने को हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

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Khappar Yatra in Kawardha
कवर्धा में देवी का खप्पर रूप




सालों से निभाई जा रही ये परम्परा : कवर्धा में सालों से खप्पर निकालने की परंपरा जारी है. नवरात्रि में अष्टमी की आधी रात को नगर के चंडी और परमेश्वरी देवी के मंदिरों से खप्पर निकाली जाती है. इस खप्पर के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं. इस दौरान पुलिस और प्रशासन की टीम पूरे नगर में सख्त पहरा देती है.साथ ही साथ सुरक्षा के लिहाज से एक दिन पहले ही खप्पर गुजरने वाले मार्ग में बेरिकेडिंग की जाती है.


कितनी साल पुरानी है परंपरा : मंदिर के पुजारी की माने तो दोनों मंदिर से खप्पर निकालने की परंपरा डेढ़ सौ साल पुरानी है. नवरात्रि के अष्टमी की रात 12 बजकर10 मिनट में मां चंडी और 12 बजकर 20 मिनट में मां परमेश्वरी एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में जलता हुई आग का खप्पर जिसे माता का प्रतीक माना जाता है,पुजारी लेकर निकलते हैं.नगर भ्रमण के बाद मंदिर में जाकर देवी मां शांत हो जाती है. खप्पर के निकलने वाले रास्ते पर अंधेरे में खड़े होकर लोग देवी का दर्शन करते हैं.

''यह परंपरा 150 साल पुरानी है. पहले नगर में हैजा, महामारी, अकाल, भुखमरी जैसे कई मुश्किलें आती रहती थी. इन्हीं अड़चनों को दूर करने के लिए अष्टमी की रात को माता मंदिर से निकलकर पूरे नगर को बांध देती थी. इसके बाद प्रकोप से छुटकारा मिल जाता था.'' मंदिर के पुजारी


खप्पर के दर्शन के लिए विशेष इंतजाम :सीटी कोतवाली थाना प्रभारी लालजी सिन्हा के मुताबिक मंदिर समितियों से बैठक कर खप्पर की रूप रेखा और अन्य चीजों के संबंध में जानकारी ली गई है. पुलिस विभाग ने जगह-जगह बैरिकेडिंग लगाई है. पुलिस जवानों की भी पर्याप्त ड्यूटी लगाई जाएगी. ताकि लोग शांति से माता के दर्शन कर सकें.आपको बता दें कि आधी रात को माता के खप्पर का दर्शन करने को हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

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