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रायपुर में हिंदी में कुचिपुड़ी नृत्य की हुई पहली बार प्रस्तुति, देश-विदेश के कलाकार हुए शामिल

रायपुर में पहली बार केरल के कुचिपुड़ी नृत्य की हिन्दी में प्रस्तुति हुई है. इस प्रतियोगिता में देश-विदेश के कलाकार शामिल हुए हैं.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

Keral Kuchipudi dance Hindi Raipur
रायपुर में हिंदी कुचिपुड़ी नृत्य (ETV Bharat)

रायपुर: अब तक आप कुचिपुड़ी नृत्य तेलुगू भाषा में देखते आए थे, लेकिन पहली बार हिंदी में कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी गई. यह प्रस्तुति राजधानी रायपुर में आयोजित इंटरनेशनल डांस कंपटीशन और नृत्यानंद लहरी फेस्टिवल के दौरान दी गई. यह मनमोहन प्रस्तुति डॉ वीणा मूर्ति विजय और संगीता फनीश के टीम ने दी. मंच पर जब इस दल ने शानदार प्रस्तुति दी तो लोगों देखते ही रह गए. इसके अलावा देश के अन्य राज्यों से भी नृतक दल अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे. इस बीच छत्तीसगढ़ के कलाकार भी मंच पर मनमोहक प्रस्तुति देते नजर आए. छोटे से लेकर बड़े कलाकारों का शास्त्रीय नृत्य लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा.

देश-विदेश से आए कलाकार: ऑल इंडिया डांस एसोसिएशन (एआइडीए) की ओर से इंटरनेशनल डांस कंपटीशन एवं नृत्यानंद लहरी फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. इसकी शुरुआत 12 अक्टूबर को हुई थी और समापन से 21 अक्टूबर को होगी. इस दौरान कलाकार शास्त्रीय संगीत और नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दे रहे हैं. इस आयोजन में देश-विदेश से कलाकार अपनी कला और प्रतिभा की प्रस्तुति दे रहे हैं. भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, ओड़िसी, कथक, मनिपुरी, मोहिनीअट्टम सिनिमेटिक, फोक डांस और हिंदुस्तानी संगीत, कर्नाटक संगीत, सुगम सगीत आदि विधाओं में कलाकार प्रस्तुति देते नजर आए.

शास्त्रीय नृत्य सीखने में लगता है 10-15 साल: इस बीच गुरु डॉ. वीणा मूर्ति विजय से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि यहां के सभी लोग तेलुगू नहीं समझते हैं. कुचिपुड़ी नृत्य का प्रकार तेलुगू ही होता है. लेकिन लोगों को समझने के लिए यदि हिंदी में होता है तो ज्यादा बेहतर होता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हमने एक नया प्रयोग किया है. कुचिपुड़ी के दौरान तेलुगू के डायलॉग थे, उसे हिंदी में बोला गया है और जो नृत्य किया गया वह तेलुगु में किया गया है.शास्त्रीय नृत्य सीखने में काफी लंबा समय लगता है. लगभग 10 से 15 साल सीखने के बाद लोग इस विधा में महारत हासिल करते हैं.इसमें काफी मेहनत लगता है.

रायपुर में हिंदी में कुचिपुड़ी नृत्य की हुई पहली बार प्रस्तुति (ETV Bharat)

आजकल का आधुनिक डांस तीन-चार मिनट का होता है, लेकिन जो हमारे समय यह शास्त्रीय नृत्य होते थे, वह डेढ़ से 2 घंटे तक होते थे. हम लगातार उसकी प्रस्तुति देते थे, लेकिन आज ना तो ऑडियंस वैसे रहे और ना ही कलाकार वैसे रहे. क्लासिकल आर्ट मेहनत और प्रार्थना के जरिए किया जाने वाला नृत्य है, इसलिए इसमें काफी प्रैक्टिस की जरूरत पड़ती है. :डॉ वीणा मूर्ति विजय, कलाकार

21 अक्टूबर को विजेता को किया जाएगा पुरस्कृत: वहीं, ऑल इंडिया डांस एसोसिएशन (एआइडीए) के डायरेक्टर डॉ रतिश बाबू ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कई जानकारियां दी. उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल डांस कंपटीशन और नृत्यानंद लहरी फेस्टिवल का आयोजन पिछले 18 सालों से होता रहा है. 17 साल तक इसका आयोजन भिलाई में किया गया है. इस साल यह आयोजन रायपुर में किया गया है, जिसमें 1500 परफॉर्मेंस हो रहे हैं, जिसमें लगभग 4 हजार से 5 हजार देश-विदेश के कलाकार शामिल हो रहे हैं.

छत्तीसगढ़ी कलाकार भी हो रहे शामिल: छत्तीसगढ़ के कलाकार भी इसमें अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं. निर्णायक के रूप में ऑल इंडिया से जज को बुलाया गया है. लगभग 26 जज इस प्रतियोगिता के लिए बुलाए गए. 21 अक्टूबर को अंतिम दिन पूरे कार्यक्रम के बाद सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति देने वाले कलाकारों के बीच प्रतियोगिता कराई जाएगी और उसमें जो जीतेगा उसे पुरस्कृत किया जाएगा.

आर्ट के अवेयरनेस के लिए यह प्रतियोगिता करवाई जा रही है. साथ ही इस आयोजन में कल्चरल मिनिस्टर की मोहर के साथ सर्टिफिकेट दिया जाएगा. जो आने वाले समय में विभिन्न विभागों में नौकरी में काम आएगा. साथ ही इसके जरिए आने वाली पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य और संगीत की ओर प्रेरित होगी, क्योंकि वर्तमान में नई पीढ़ी वेस्टर्न कल्चर की ओर भाग रहा है. उनमें भारतीय शास्त्रीय संगीत का नृत्य के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजन काफी महत्वपूर्ण है. इसे देखकर बच्चों और उनके परिजनों में भी शास्त्रीय नृत्य संगीत के प्रति रुचि बढ़ेगी और वह इस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे.: डॉ रतिश बाबू, डायरेक्टर, ऑल इंडिया डांस एसोसिएशन

बता दें कि इस शानदार प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया. वहीं, इस प्रतियोगिता में देश-विदेश से कलाकार अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे हैं. 21 अक्टूबर को जीतने वाले को पुरस्कृत किया जाएगा.

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रायपुर: अब तक आप कुचिपुड़ी नृत्य तेलुगू भाषा में देखते आए थे, लेकिन पहली बार हिंदी में कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी गई. यह प्रस्तुति राजधानी रायपुर में आयोजित इंटरनेशनल डांस कंपटीशन और नृत्यानंद लहरी फेस्टिवल के दौरान दी गई. यह मनमोहन प्रस्तुति डॉ वीणा मूर्ति विजय और संगीता फनीश के टीम ने दी. मंच पर जब इस दल ने शानदार प्रस्तुति दी तो लोगों देखते ही रह गए. इसके अलावा देश के अन्य राज्यों से भी नृतक दल अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे. इस बीच छत्तीसगढ़ के कलाकार भी मंच पर मनमोहक प्रस्तुति देते नजर आए. छोटे से लेकर बड़े कलाकारों का शास्त्रीय नृत्य लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा.

देश-विदेश से आए कलाकार: ऑल इंडिया डांस एसोसिएशन (एआइडीए) की ओर से इंटरनेशनल डांस कंपटीशन एवं नृत्यानंद लहरी फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. इसकी शुरुआत 12 अक्टूबर को हुई थी और समापन से 21 अक्टूबर को होगी. इस दौरान कलाकार शास्त्रीय संगीत और नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दे रहे हैं. इस आयोजन में देश-विदेश से कलाकार अपनी कला और प्रतिभा की प्रस्तुति दे रहे हैं. भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, ओड़िसी, कथक, मनिपुरी, मोहिनीअट्टम सिनिमेटिक, फोक डांस और हिंदुस्तानी संगीत, कर्नाटक संगीत, सुगम सगीत आदि विधाओं में कलाकार प्रस्तुति देते नजर आए.

शास्त्रीय नृत्य सीखने में लगता है 10-15 साल: इस बीच गुरु डॉ. वीणा मूर्ति विजय से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि यहां के सभी लोग तेलुगू नहीं समझते हैं. कुचिपुड़ी नृत्य का प्रकार तेलुगू ही होता है. लेकिन लोगों को समझने के लिए यदि हिंदी में होता है तो ज्यादा बेहतर होता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हमने एक नया प्रयोग किया है. कुचिपुड़ी के दौरान तेलुगू के डायलॉग थे, उसे हिंदी में बोला गया है और जो नृत्य किया गया वह तेलुगु में किया गया है.शास्त्रीय नृत्य सीखने में काफी लंबा समय लगता है. लगभग 10 से 15 साल सीखने के बाद लोग इस विधा में महारत हासिल करते हैं.इसमें काफी मेहनत लगता है.

रायपुर में हिंदी में कुचिपुड़ी नृत्य की हुई पहली बार प्रस्तुति (ETV Bharat)

आजकल का आधुनिक डांस तीन-चार मिनट का होता है, लेकिन जो हमारे समय यह शास्त्रीय नृत्य होते थे, वह डेढ़ से 2 घंटे तक होते थे. हम लगातार उसकी प्रस्तुति देते थे, लेकिन आज ना तो ऑडियंस वैसे रहे और ना ही कलाकार वैसे रहे. क्लासिकल आर्ट मेहनत और प्रार्थना के जरिए किया जाने वाला नृत्य है, इसलिए इसमें काफी प्रैक्टिस की जरूरत पड़ती है. :डॉ वीणा मूर्ति विजय, कलाकार

21 अक्टूबर को विजेता को किया जाएगा पुरस्कृत: वहीं, ऑल इंडिया डांस एसोसिएशन (एआइडीए) के डायरेक्टर डॉ रतिश बाबू ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कई जानकारियां दी. उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल डांस कंपटीशन और नृत्यानंद लहरी फेस्टिवल का आयोजन पिछले 18 सालों से होता रहा है. 17 साल तक इसका आयोजन भिलाई में किया गया है. इस साल यह आयोजन रायपुर में किया गया है, जिसमें 1500 परफॉर्मेंस हो रहे हैं, जिसमें लगभग 4 हजार से 5 हजार देश-विदेश के कलाकार शामिल हो रहे हैं.

छत्तीसगढ़ी कलाकार भी हो रहे शामिल: छत्तीसगढ़ के कलाकार भी इसमें अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं. निर्णायक के रूप में ऑल इंडिया से जज को बुलाया गया है. लगभग 26 जज इस प्रतियोगिता के लिए बुलाए गए. 21 अक्टूबर को अंतिम दिन पूरे कार्यक्रम के बाद सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति देने वाले कलाकारों के बीच प्रतियोगिता कराई जाएगी और उसमें जो जीतेगा उसे पुरस्कृत किया जाएगा.

आर्ट के अवेयरनेस के लिए यह प्रतियोगिता करवाई जा रही है. साथ ही इस आयोजन में कल्चरल मिनिस्टर की मोहर के साथ सर्टिफिकेट दिया जाएगा. जो आने वाले समय में विभिन्न विभागों में नौकरी में काम आएगा. साथ ही इसके जरिए आने वाली पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य और संगीत की ओर प्रेरित होगी, क्योंकि वर्तमान में नई पीढ़ी वेस्टर्न कल्चर की ओर भाग रहा है. उनमें भारतीय शास्त्रीय संगीत का नृत्य के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजन काफी महत्वपूर्ण है. इसे देखकर बच्चों और उनके परिजनों में भी शास्त्रीय नृत्य संगीत के प्रति रुचि बढ़ेगी और वह इस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे.: डॉ रतिश बाबू, डायरेक्टर, ऑल इंडिया डांस एसोसिएशन

बता दें कि इस शानदार प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया. वहीं, इस प्रतियोगिता में देश-विदेश से कलाकार अपनी प्रस्तुति देने पहुंचे हैं. 21 अक्टूबर को जीतने वाले को पुरस्कृत किया जाएगा.

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