रुद्रप्रयागः विश्व प्रसिद्ध भगवान शिव के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ के दर्शनों के लिए देश के कोने-कोने से हर रोज हजारों की संख्या में तीर्थ यात्री पहुंच रहे हैं. सबसे अधिक यात्री पैदल यात्रा करके बाबा केदार के दर्शनों को आ रहे हैं. केदारनाथ धाम अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित है और यह हिमालयी क्षेत्र है. यहां का मौसम पल-पल बदलता रहता है. वहीं ऑक्सीजन कम होने के कारण यहां कुछ तीर्थ यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी होने लगती है. ऐसे में इन तीर्थ यात्रियों के लिए एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, यात्रा मैनेजमेंट फोर्स, पुलिस आदि के जवान देवदूत बन रहे हैं.
भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी केदारनाथ ज्योतिर्लिंग लगभग 11,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह एक हिमालयी क्षेत्र है. यहां के मौसम में पल-पल बदलाव होता है. कभी धूप, बारिश तो कभी भी यहां बर्फबारी हो जाती है. उत्तराखंड के चारों धामों में सबसे कठिन यात्रा केदारनाथ धाम की है. धाम पहुंचने के लिए लगभग 18 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है. थोड़ी बहुत यहां ऑक्सीजन की भी कमी है. देश के कोने-कोने से बाबा केदार के दर्शनों के लिए इन दिनों भारी संख्या में तीर्थ यात्री पहुंच रहे हैं. यहां के मौसम के बारे में जानकारी न होने के कारण कई यात्री ठंड में भीगने के कारण बीमार हो जाते हैं. या ऑक्सीजन कम होने के कारण यात्रियों को सांस लेने में दिक्कतें हो जाती हैं.
धाम में अत्यधिक बीमार होने वाले यात्रियों के लिए प्रशासन, एसडीआरएफ, पुलिस, जिला यात्रा मैनेजमेंट फोर्स, डीडीआरएफ, पीआरडी और होमगार्ड के जवान देवदूत का कार्य कर रहे हैं. प्रशासन पैदल मार्ग सहित धाम में इन जवानों को तैनात किया है. केदारनाथ समेत पैदल मार्ग के प्रत्येक पड़ाव पर चिकित्सालय के साथ ही डॉक्टर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ तैनात किया गया है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में यहां ऑक्सीजन समेत आवश्यक दवाईयां भी रखी गई हैं. घोड़े-खच्चर से गिरने और धक्के लगने के कारण भी कई बार यात्री चोटिल हो जाते हैं. ऐसे यात्रियों को भी त्वरित गति से राहत दी जा रही है और चिकित्सालय भेजा जा रहा है.
एसडीआरएफ के एसआई संतोष रावत ने बताया कि केदारनाथ धाम में किसी तीर्थयात्री के बीमार और घायल होने पर त्वरित गति से पहले स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जाता है. इसके बाद यहां से रेफर किए जाने के बाद हेलीपैड तक लाया जाता है. बताया कि अभी तक 50 से अधिक गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद हेली सेवा से रेफर किया गया है. यहां सबसे अधिक बीमार लोग ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण हो रहे हैं.
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