देहरादून: केदारनाथ उपचुनाव पर देशभर की नजरें हैं. अयोध्या, बदरीनाथ जैसी आध्यात्मिक सीटें हारने के बाद बीजेपी के लिए केदारनाथ उपचुनाव नाक का सवाल है. जिसे समझते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और सीएम धामी लगातार इस चुनाव को लेकर एक्टिव नजर आ रहे हैं. उपचुनाव से पहले केदारनाथ के लिए सीएम धामी की घोषणाएं इसकी पुष्टि करती हैं. वहीं, सरकार के साथ ही संगठन के बड़े नेताओं की जमीन पर मौजूदगी भी केदारनाथ उपचुनाव की महता को समझने के लिए काफी है.
वहीं, केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस की बात करें तो इसके पहले पड़ाव में उसने बाजी मार ली है. कांग्रेस ने केदारनाथ उपचुनाव के लिए कैंडिडेट घोषित कर दिया है. कांग्रेस ने मनोज रावत को केदारनाथ उपचुनाव में उतारने का फैसला लिया है. वहीं, इस मामले में बीजेपी अभी अपनों में ही फंसी हुई है. बीजेपी अभी तक केदारनाथ उपचुनाव के लिए प्रत्याशी का चुनाव नहीं कर पाई है. दरअसल, केदारनाथ सीट पर बीजेपी के लिए कैंडिडेट ही सबसे बड़ी सिरदर्दी है. यहां टिकट के कई दावेदार हैं. अगर बीजेपी यहां चूकती है तो उसे चुनाव में खामियाजा भुगतान पड़ सकता है.
केदारनाथ उपचुनाव में अगर बीजेपी के संभावित कैंडिडेट्स की बात करें 4 लोगों का नाम प्रमुखता से आता है. इसमें पहला नाम केदारनाथ सीट से दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्या रावत का है. दूसरा नाम बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष और केदारनाथ से बीजेपी की पूर्व विधायक रह चुकीं आशा नौटियाल का है. तिसरा नाम कुलदीप रावत का है. कुलदीप ने केदारनाथ विधानसभा में पिछले कुछ सालों एक फायर ब्रांड नेता के रूप में छवि बनाई है. चौथा नाम कर्नल अजय कोठियाल का है. ऐसे में कैंडिडेट चुनाव में बीजेपी फूंक फूंक कर कदम रख रही है.
मुद्दों की अगर बात करें तो इसमें भी बीजेपी के लिए बहुत सी परेशानियां हैं. केदारनाथ से जुड़े कई मामले हैं जो कई सालों से विवादों में हैं. इन सब मुद्दों को लेकर कांग्रेस बीजेपी को घेरेने की तैयारी में है. इसमें केदारनाथ पीतल सोना विवाद, दिल्ली केदारनाथ मंदिर मामला, चारधाम यात्रा अनियमितता,केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य जैसे कई मुद्दे हैं. वहीं, अगर बीजेपी की बात करें तो वह केदारनाथ उपचुनाव पीएम मोदी के सहारे जितने की कोशिश में हैं. केदारनाथ उपचुनाव के प्रचार में लगातार बीजेपी केंद्र के कामों का सहारा लेकर जनता का दिल जीतने की कोशिश कर रही है. इसमें ऑलवेदर रोड, केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य के साथ ही कई दूसरी योजनाओं का जिक्र किया जा रहा है. इसके साथ ही बीजेपी धर्म से जुड़े मुद्दों को लेकर भी कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रही है.
क्या बीजेपी खेलेगी इमोशनल कार्ड? कांग्रेस की तरह ही भाजपा ने भी छह नेताओं के नाम पैनल में भेजे हैं. इनमें पूर्व विधायक आशा नौटियाल, चंडी प्रसाद भट्ट, कुलदीप आजाद, कुलदीप रावत और अजय कोठियाल के नाम शामिल हैं. लेकिन भावनात्मक नाम की अगर बात की जाए तो पूर्व विधायक स्वर्गीय शैला रानी रावत की बेटी ऐश्वर्या रावत को भी बीजेपी इस चुनावी मैदान में उतर सकती है.
माहौल की अगर बात करें तो दोनों ही दलों के अपने अपने मत हैं. कांग्रेस उत्तराखंड में बदरीनाथ और मंगलौर उपचुवान की जीत से चार्ज हैं. वहीं, बीजेपी हाल ही में हुये विधानसभा चुनाव में जीत से गदगद है. इसके साथ ही बीते दिनों चलाये गये सदस्यता अभियान के आंकड़े भी बीजेपी के पक्ष में हैं. जिसके कारण इस उपचुनाव में दोनों ही दल एक दूसरे के आमने सामने खड़े नजर आ रहे हैं.
90,540 मतदाता तय करेंगे भविष्य: केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होना है. 23 नवंबर को मतगणना होगी. केदारनाथ विधानसभा सीट पर कुल 90,540 मतदाता हैं. जिसमें 44,765 पुरुष मतदाता और 45,775 महिला मतदाता शामिल हैं. इसके साथ ही इस विधानसभा सीट पर कुल 2,949 सर्विस वोटर हैं. जिनमें 2,921 पुरुष मतदाता और 28 महिला मतदाता शामिल हैं. कुल सामान्य मतदाताओं में से 1,092 दिव्यांग मतदाता हैं. 85 साल से अधिक उम्र के 641 मतदाता हैं. इसके साथ ही 18 से 19 उम्र के कुल 2,441 मतदाता है. उपचुनाव के मद्देनजर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में दो जोनल मजिस्ट्रेट और 27 सेक्टर मजिस्ट्रेट क्षेत्र में बांटा गया है. जहां अधिकारियों की तैनाती की जाएगी.
केदारनाथ उपचुनाव पर देश की नजर: केदारनाथ सीट पर होने जा रहे उपचुनाव पर केवल बीजेपी, कांग्रेस नहीं बल्कि देशभर की नजर है. उसका कारण इस सीट का आध्यात्मित महत्व है. केदारनाथ, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह पंच केदारों में भी शामिल है. जिसके कारण देश दुनिया की नजर इस पर रहती है. बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर चुनाव लड़ती है, मगर बीते कुछ चुनाव में बीजेपी को आध्यात्मिक सीटों पर ही हार का सामना करना पड़ा. इसमें अयोध्या, बदरीनाथ की चर्चा जोर शोर से होती है. इस पर विपक्षी दल भी जमकर चुटकी लेते हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए केदारनाथ उपचुनाव काफी अहम है.
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