जोधपुर : कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार करने वाले केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में एग्री इको टूरिज्म पार्क विकसित किया गया है. करीब आठ हैक्टेयर में इस पार्क को अलग-अलग ब्लॉक में बांटकर विकसित किया गया है. यहां पर कई अनूठे पौधे और प्रजातियां हैं, जो बहुत कम नजर आती हैं. इस पार्क में देशभर से कृषि संस्थानों के छात्र, किसान और स्कूली विद्यार्थी समूह में आते हैं. यहां पर 200 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधे हैं, जिसमें कई अनूठे पौधे भी हैं, जो आकर्षिक करते हैं.
पनीर बनाने का पनीर बंध, नमक बनाने वाला खारा लूणा और सोमरस बनाने वाला सोमलता पौधा इस पार्क में है. इतना ही नहीं सांप के फन के आकार के पत्ते वाला नाग चंपा का पौधा देखकर लोग आश्चर्यचकित हो रहे हैं. अमेरिका और मैक्सिको के रेगिस्तान में उगने वाले पौधे यहां फल-फूल रहे हैं. काजरी के निदेशक डॉ ओपी यादव ने बताया कि हमारा देश विविधता से परिपूर्ण है. विविधिताओं की अवधारणा को साकार करने के लिए ये पार्क विकसित किया गया है. पार्क के हर ब्लॉक में एक यूनिक प्रजाति है. उनकी ईको सिस्टम सर्विसेज, किसानों की आय बढ़ाने के लिए उनके योगदान सहित अन्य जानकारियां इस पार्क में दी जाती हैं.
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45 तरह के कैक्ट्स, पनीर बंध जैसे पौधे भी : काजरी के वैज्ञानिक सौरभ स्वामी के अनुसार यहां पर 45 प्रजाति के कैक्टस, 100 से ज्यादा एलोवेरा, 14 प्रकार की घास और कई प्रकार के औषधीय पौधों के साथ रेगिस्तान में लुप्त होने वाली प्रजाति भी है. इसके अलावा काजरी द्वारा रेगिस्तान के स्थिरीकरण के लिए विकसित की गई टिब्बा स्थरीकरण दर्शाने के लिए भी सेंड ड्यूज बनाया गया है. कई तरह के मेडिसिन प्लांट भी यहां हैं. उन्होंने बताया कि लोग प्रकृति के ईको सिस्टम को समझ सकें. इसके लिए यहां देश के 6 स्थानों से लाई गई मिट्टी को तीन लेयर के माध्यम से समझाया गया है. स्वामी ने बताया पनीर बंध के फूल का पहले पनीर बनाने में उपयोग होता था, लेकिन यह पौध बहुत कम मात्रा मिलता है. अब इसका सिर्फ औषधीय उपयोग हो रहा है. खास बात यह है कि पनीर बंध के मादा पौधे में ही फूल लगते हैं.
मिट्टी को जानना बहुत जरूरी : काजरी में प्रकृति संसाधान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियवृत शांत्रा ने इस एग्री इको टूरिज्म पार्क को तैयार किया है. वे बताते हैं कि यह उत्तर भारत का पहला ऐसा पार्क है, जहां मैक्सिको, गुजरात, पंजाब और राजस्थान के सूखे क्षेत्रों में होने वाले पेड़-पौधों को लगाया गया है. इस पार्क में इन राज्यों में होने वाली खेती, वहां का ईको सिस्टम को दिखाया गया है, जिससे लोग यहां आए और प्रकृति के ईको सिस्टम को समझ सकें. किताबों से हटकर यहां मिट्टी की इन लेयर को जमीन पर उसी तरह से बिछाया है, जिस तरह से वह जमीन के अंदर होती है. मिट्टी की जानकारी देने का एक उद्देश्य यह भी है कि लोगों को पता चल सके कि मिट्टी कितनी आवश्यक है. साथ ही एक ही पौधा हर मिट्टी और वातावरण में नहीं उग सकता.