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पटना साहिब लोकसभा सीट: कायस्थ मतदाता करते हैं तय, कौन होगा यहां का सांसद! - Lok Sabha election 2024

Patna Sahib Lok Sabha seat: 2008 परिसीमन के बाद राजधानी पटना में 2 लोकसभा सीट बनी. पटना साहिब और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र हमेशा से बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. पटनासाहिब लोकसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 25,74,108 है, इसमें कायस्थों की सांख्य 6 लाख के करीब है. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि कायस्थ मतदाता ही तय करते हैं कि यहां का सांसद कौन होगा. पढ़ें, विस्तार से.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 16, 2024, 7:25 PM IST

पटना साहिब लोकसभा सीट का विश्लेषण. (ETV Bharat)

पटना: राजधानी पटना की पटना साहिब लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ माना जाता है. फिल्म स्टार और भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा 2009 और 2014 में यहां से सांसद बने. इसके बाद 2019 में भाजपा ने शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटकर रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की. इस लिहाज से इसे भाजपा का गढ़ बताया जा रहा है. लेकिन, पटना साहिब क्षेत्र को कायस्थों के चित्तौड़गढ़ के रूप में भी जाना जाता है.

कायस्थ वोट होता है निर्णायकः पटना साहिब लोकसभा सीट जबसे अस्तित्व में आई तब से ही इस पर रोचक जंग देखने को मिली है. बीजेपी के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा 2004 और 2009 में लगातार दो बार यहां से सांसद चुने गए. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटकर रविशंकर प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया. शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से चुनावी मैदान में उतरे. शत्रुघ्न सिन्हा को करारी हार का सामना करना पड़ा. कहा जाता है बीजेपी से शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद की जीत में कायस्थ समाज का एक तरफा वोट बीजेपी को मिला था.

नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद रवि शंकर प्रसाद.
नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद रवि शंकर प्रसाद. (ETV Bharat (फाइल फोटो))

कायस्थ वोटरों का रहा है प्रभावः वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का कहना है कि 'पटना में कायस्थों की आबादी अच्छी है. यही कारण है कि 2 विधानसभा सीट से कायस्थ विधायक चुने जाते हैं. पटना की 3 सीट पर शुरू से ही कायस्थ का प्रभाव रहा है. परिसीमन से पहले भी पटना मध्य से बीजेपी के विधायक होते थे. लेकिन दीघा विधानसभा से 2010 में जदयू से पूनम देवी और 2015 और 20 में बीजेपी से संजीव चौरसिया चुनाव जीते हैं. लेकिन इनलोगों की जीत में भी कायस्थ वोटरों की अहम भूमिका रही है.'

बीजेपी पहली पसंदः कायस्थ समाज के बारे में कहा जाता है कि राजनीतिक रूप से इन लोगों की पहली पसंद बीजेपी है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सुजीत कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि हरेक चुनाव में उनका समाज बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता रहा है. लेकिन राजनीतिक रूप से यह विडंबना है कि कभी हम 52 विधायक हुआ करते थे अब सिमट कर दो विधायक पर पहुंच गए हैं. जहां तक पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र की बात है तो यहां 6.50 लाख के आसपास कायस्थ मतदाता हैं. पिछले 3 चुनाव से कायस्थ मतदाता बीजेपी का साथ दिए हैं.

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ETV GFX. (ETV Bharat.)

एनडीए का समर्थनः ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि लोकसभा के परिसीमन से पूर्व भी उनके समाज लगातार एनडीए के पक्ष में मतदान करता रहा है. लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में 24 से 25 प्रतिशत मतदाताओं की आबादी कायस्थों की है. यही कारण है कि राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी के चयन में इस बात का ख्याल रखते हैं. राजीव रंजन प्रसाद का मानना है कि बीजेपी को लेकर के यहां पर कायस्थ मतदाताओं में विशेष आकर्षण रहता है.

कायस्थ संगठन है प्रभावीः पटना में कायस्थ जाति का संगठन प्रभावी रहा है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा और ग्लोबल कायस्थ कॉन्फेंन्स. इसके अलावा पूरे पटना में 75 जगह पर चित्रगुप्त पूजा समिति भी काम करती है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता आरके सिन्हा, ऋतुराज सिन्हा सहित अनेक बड़े नेता जुड़े हैं. ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस संगठन जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन प्रसाद चलाते हैं.

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ETV GFX. (ETV Bharat)

पटना साहिब के विधानसभा क्षेत्रः पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा आते हैं. पटना साहिब लोकसभा सीट में बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब और फतुहा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इन 6 सीटों में से चार सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. पटना साहिब विधानसभा से नंदकिशोर यादव, दीघा विधानसभा क्षेत्र से संजीव चौरसिया, बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से नितिन नवीन और कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र से अरुण सिन्हा बीजेपी के विधायक हैं. दो सीट पर राजद का कब्जा है. फतुहा विधानसभा से राजद के रामानंद यादव एवं बख्तियारपुर विधानसभा से राजद के अनिरुद्ध कुमार विधायक हैं.

क्या है जातीय समीकरणः पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में कायस्थ वोटर्स सबसे ज्यादा लगभग 6 लाख हैं. इसके बाद यादव और राजपूत वोटर्स हैं. हालांकि इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिनकी आबादी लगभग 6 प्रतिशत है. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के तीन विधानसभा क्षेत्र दीघा, कुम्हरार एवं बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र में कायस्थों की आबादी अधिक है. बांकीपुर और कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र से कायस्थ विधायक चुनाव जीतते रहे हैं. बांकीपुर से नितिन नवीन और कुम्हरार से अरुण सिन्हा लगातार इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं.

एक जून को है मतदानः पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के लिए आखिरी चरण में एक जून को वोटिंग होगी. यहां से बीजेपी ने एक बार फिर से रविशंकर प्रसाद पर भरोसा जताया है. उनके खिलाफ कांग्रेस ने दिग्गज नेता रहे बाबू जगजीवन राम के नाती और मीरा कुमार के पुत्र अंशुल अविजीत को उम्मीदवार बनाया है. अंशुल अविजीत कुशवाहा जाति से आते हैं. यहां पर कुशवाहा जाति की भी संख्या अच्छी है, इसलिए कांग्रेस ने कुशवाहा जाति के उम्मीदवार पर दांव लगाया.

इसे भी पढ़ेंः 'हार की हताशा में आरक्षण पर भ्रम फैला रहा है विपक्ष' बोले रविशंकर- 'हैरिटेज टैक्स राहुल गांधी की माओवादी सोच' - RAVI SHANKAR PRASAD

इसे भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव पर शत्रुघ्न बोले, '175 का आंकड़ा भी पार नहीं करेगी बीजेपी' - Shatrughan Sinha On PM ModI

इसे भी पढ़ेंः शेखर सुमन BJP में शामिल, कभी कांग्रेस उम्मीदवार बनकर दी थी शत्रुघ्न सिन्हा को टक्कर - Shekhar Suman Joins BJP

इसे भी पढ़ेंः BJP का गढ़ है पटना साहिब, सवाल- जाति राजनीति का चक्रव्यूह तोड़ पाएंगे अंशुल अविजित? मां और नाना की विरासत को आगे बढ़ाना बड़ी चुनौती - Anshul Avijit Congress Candidate

पटना साहिब लोकसभा सीट का विश्लेषण. (ETV Bharat)

पटना: राजधानी पटना की पटना साहिब लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ माना जाता है. फिल्म स्टार और भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा 2009 और 2014 में यहां से सांसद बने. इसके बाद 2019 में भाजपा ने शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटकर रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की. इस लिहाज से इसे भाजपा का गढ़ बताया जा रहा है. लेकिन, पटना साहिब क्षेत्र को कायस्थों के चित्तौड़गढ़ के रूप में भी जाना जाता है.

कायस्थ वोट होता है निर्णायकः पटना साहिब लोकसभा सीट जबसे अस्तित्व में आई तब से ही इस पर रोचक जंग देखने को मिली है. बीजेपी के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा 2004 और 2009 में लगातार दो बार यहां से सांसद चुने गए. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटकर रविशंकर प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया. शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से चुनावी मैदान में उतरे. शत्रुघ्न सिन्हा को करारी हार का सामना करना पड़ा. कहा जाता है बीजेपी से शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद की जीत में कायस्थ समाज का एक तरफा वोट बीजेपी को मिला था.

नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद रवि शंकर प्रसाद.
नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद रवि शंकर प्रसाद. (ETV Bharat (फाइल फोटो))

कायस्थ वोटरों का रहा है प्रभावः वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का कहना है कि 'पटना में कायस्थों की आबादी अच्छी है. यही कारण है कि 2 विधानसभा सीट से कायस्थ विधायक चुने जाते हैं. पटना की 3 सीट पर शुरू से ही कायस्थ का प्रभाव रहा है. परिसीमन से पहले भी पटना मध्य से बीजेपी के विधायक होते थे. लेकिन दीघा विधानसभा से 2010 में जदयू से पूनम देवी और 2015 और 20 में बीजेपी से संजीव चौरसिया चुनाव जीते हैं. लेकिन इनलोगों की जीत में भी कायस्थ वोटरों की अहम भूमिका रही है.'

बीजेपी पहली पसंदः कायस्थ समाज के बारे में कहा जाता है कि राजनीतिक रूप से इन लोगों की पहली पसंद बीजेपी है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सुजीत कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि हरेक चुनाव में उनका समाज बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता रहा है. लेकिन राजनीतिक रूप से यह विडंबना है कि कभी हम 52 विधायक हुआ करते थे अब सिमट कर दो विधायक पर पहुंच गए हैं. जहां तक पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र की बात है तो यहां 6.50 लाख के आसपास कायस्थ मतदाता हैं. पिछले 3 चुनाव से कायस्थ मतदाता बीजेपी का साथ दिए हैं.

ETV GFX.
ETV GFX. (ETV Bharat.)

एनडीए का समर्थनः ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि लोकसभा के परिसीमन से पूर्व भी उनके समाज लगातार एनडीए के पक्ष में मतदान करता रहा है. लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में 24 से 25 प्रतिशत मतदाताओं की आबादी कायस्थों की है. यही कारण है कि राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी के चयन में इस बात का ख्याल रखते हैं. राजीव रंजन प्रसाद का मानना है कि बीजेपी को लेकर के यहां पर कायस्थ मतदाताओं में विशेष आकर्षण रहता है.

कायस्थ संगठन है प्रभावीः पटना में कायस्थ जाति का संगठन प्रभावी रहा है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा और ग्लोबल कायस्थ कॉन्फेंन्स. इसके अलावा पूरे पटना में 75 जगह पर चित्रगुप्त पूजा समिति भी काम करती है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता आरके सिन्हा, ऋतुराज सिन्हा सहित अनेक बड़े नेता जुड़े हैं. ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस संगठन जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन प्रसाद चलाते हैं.

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पटना साहिब के विधानसभा क्षेत्रः पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा आते हैं. पटना साहिब लोकसभा सीट में बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब और फतुहा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इन 6 सीटों में से चार सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. पटना साहिब विधानसभा से नंदकिशोर यादव, दीघा विधानसभा क्षेत्र से संजीव चौरसिया, बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से नितिन नवीन और कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र से अरुण सिन्हा बीजेपी के विधायक हैं. दो सीट पर राजद का कब्जा है. फतुहा विधानसभा से राजद के रामानंद यादव एवं बख्तियारपुर विधानसभा से राजद के अनिरुद्ध कुमार विधायक हैं.

क्या है जातीय समीकरणः पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में कायस्थ वोटर्स सबसे ज्यादा लगभग 6 लाख हैं. इसके बाद यादव और राजपूत वोटर्स हैं. हालांकि इस सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिनकी आबादी लगभग 6 प्रतिशत है. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के तीन विधानसभा क्षेत्र दीघा, कुम्हरार एवं बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र में कायस्थों की आबादी अधिक है. बांकीपुर और कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र से कायस्थ विधायक चुनाव जीतते रहे हैं. बांकीपुर से नितिन नवीन और कुम्हरार से अरुण सिन्हा लगातार इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं.

एक जून को है मतदानः पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के लिए आखिरी चरण में एक जून को वोटिंग होगी. यहां से बीजेपी ने एक बार फिर से रविशंकर प्रसाद पर भरोसा जताया है. उनके खिलाफ कांग्रेस ने दिग्गज नेता रहे बाबू जगजीवन राम के नाती और मीरा कुमार के पुत्र अंशुल अविजीत को उम्मीदवार बनाया है. अंशुल अविजीत कुशवाहा जाति से आते हैं. यहां पर कुशवाहा जाति की भी संख्या अच्छी है, इसलिए कांग्रेस ने कुशवाहा जाति के उम्मीदवार पर दांव लगाया.

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