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क्या आप जानते हैं पटना के डाक बंगला चौराहा का असली नाम, 131 साल पुरानी है इस चौराहे की कहानी - Patna Dak Bungalow Chauraha - PATNA DAK BUNGALOW CHAURAHA

Dak Bungalow Chauraha: पटना का डाक बंगला चौराहा राजधानी क्षेत्र के हृदय स्थली के रूप में जाना जाता है. यह पटना के मध्य में स्थित है और पूर्वी और पश्चिमी पटना को जोड़ता है. बेली रोड और फ्रेजर रोड के केंद्र में स्थिति यह चौराहा शहर का सबसे व्यस्त चौराहा है. लेकिन इस चौराहे का वास्तविक नाम डाक बंगला चौराहा नहीं है बल्कि कुछ और है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

Patna Dak Bungalow Chauraha
पटना का डाक बंगला चौराहा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 27, 2024, 11:08 AM IST

पटना: डाक बंगला चौराहा के वास्तविक नाम को लोग लगभग भूल चुके हैं. चौराहा के दक्षिण पश्चिम कोने के पास एक बोर्ड है, जिस पर चौराहे का वास्तविक नाम 'कवि गुरु रविंद्र चौक' लिखा हुआ है. दरअसल इस चौक की कहानी 131 वर्ष पुरानी है. आज चौराहे के दक्षिण पश्चिम कोने पर बहु मंजिला लोकनायक जयप्रकाश नारायण भवन है, वहां कभी बांकीपुर डाक बंगला हुआ करता था.

Patna Dak Bungalow Chauraha
पटना का डाक बंगला चौराहा (ETV Bharat)

कब हुआ डाक बंगला का निर्माण: स्वतंत्रता के पहले, बिहार विभाजन से भी पहले बांकीपुर गांव हुआ करता था. बिहार के बंगाल से अलग होने के बाद 1912 में पटना ने जब राजधानी के रूप में विकास किया तब बांकीपुर राजधानी क्षेत्र का एक हिस्सा भर रह गया. पटना विश्वविद्यालय के इतिहास के प्राध्यापक मयानंद बताते हैं कि "स्वतंत्रता पूर्व जब बिहार और ओडिशा बंगाल प्रोविंस का हिस्सा हुआ करते थे, उसे समय 1893 में यहीं डाक बंगला का निर्माण किया गया था. इसी के बाद इसका नाम डाक बंगला चौराहा हो गया."

Patna Dak Bungalow Chauraha
पटना का डाक बंगला चौराहा (ETV Bharat)

कब रखा गया ये नाम: जेपी आंदोलन के समय इस चौराहे के आसपास छात्र नेताओं से लेकर राजनीति के दिग्गजों की बैठक होती रहती थी. हालांकि 1984 में इसे तोड़कर 6 मंजिला व्यवसायिक परिसर बनाया गया. इस भवन में निजी क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों का व्यवसायिक परिसर है. इसी दौरान इसका नाम कवि गुरु रविंद्र चौक पड़ा.

Patna Dak Bungalow Chauraha
पटना का डाक बंगला चौराहा (ETV Bharat)

कभी था बांकीपुर डाक बंगला: मायानंद बताते हैं कि जब यहां बांकीपुर डाक बंगला हुआ करता था तो उस डाक बंगला भवन का निर्माण डच वास्तुकला में हुआ था. स्वतंत्रता के बाद इस भवन में जिला अभियंता का कार्यालय हुआ करता था. लोकल सेल्फ गवर्नमेंट कैडेर के अभियंत, वैद्य, यूनानी चिकित्सक, चौकीदार, दीवान जैसे पदधारक यहां हुआ करते थे. बाद में पटना जिला अभियंता और जिला परिषद कार्यालय कलेक्ट्रेट में शिफ्ट हुआ, जिसे तोड़कर अब नया कलेक्ट्रेट भवन बनाया जा रहा है.

पढ़ें-गजब का दिमाग लगाया है भाई, 'ट्रेन की बोगी' के नीचे भी गाड़ी ऊपर भी गाड़ी! देखना है तो आ जाइये पटना - Chiraiyatad Bridge

पटना: डाक बंगला चौराहा के वास्तविक नाम को लोग लगभग भूल चुके हैं. चौराहा के दक्षिण पश्चिम कोने के पास एक बोर्ड है, जिस पर चौराहे का वास्तविक नाम 'कवि गुरु रविंद्र चौक' लिखा हुआ है. दरअसल इस चौक की कहानी 131 वर्ष पुरानी है. आज चौराहे के दक्षिण पश्चिम कोने पर बहु मंजिला लोकनायक जयप्रकाश नारायण भवन है, वहां कभी बांकीपुर डाक बंगला हुआ करता था.

Patna Dak Bungalow Chauraha
पटना का डाक बंगला चौराहा (ETV Bharat)

कब हुआ डाक बंगला का निर्माण: स्वतंत्रता के पहले, बिहार विभाजन से भी पहले बांकीपुर गांव हुआ करता था. बिहार के बंगाल से अलग होने के बाद 1912 में पटना ने जब राजधानी के रूप में विकास किया तब बांकीपुर राजधानी क्षेत्र का एक हिस्सा भर रह गया. पटना विश्वविद्यालय के इतिहास के प्राध्यापक मयानंद बताते हैं कि "स्वतंत्रता पूर्व जब बिहार और ओडिशा बंगाल प्रोविंस का हिस्सा हुआ करते थे, उसे समय 1893 में यहीं डाक बंगला का निर्माण किया गया था. इसी के बाद इसका नाम डाक बंगला चौराहा हो गया."

Patna Dak Bungalow Chauraha
पटना का डाक बंगला चौराहा (ETV Bharat)

कब रखा गया ये नाम: जेपी आंदोलन के समय इस चौराहे के आसपास छात्र नेताओं से लेकर राजनीति के दिग्गजों की बैठक होती रहती थी. हालांकि 1984 में इसे तोड़कर 6 मंजिला व्यवसायिक परिसर बनाया गया. इस भवन में निजी क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों का व्यवसायिक परिसर है. इसी दौरान इसका नाम कवि गुरु रविंद्र चौक पड़ा.

Patna Dak Bungalow Chauraha
पटना का डाक बंगला चौराहा (ETV Bharat)

कभी था बांकीपुर डाक बंगला: मायानंद बताते हैं कि जब यहां बांकीपुर डाक बंगला हुआ करता था तो उस डाक बंगला भवन का निर्माण डच वास्तुकला में हुआ था. स्वतंत्रता के बाद इस भवन में जिला अभियंता का कार्यालय हुआ करता था. लोकल सेल्फ गवर्नमेंट कैडेर के अभियंत, वैद्य, यूनानी चिकित्सक, चौकीदार, दीवान जैसे पदधारक यहां हुआ करते थे. बाद में पटना जिला अभियंता और जिला परिषद कार्यालय कलेक्ट्रेट में शिफ्ट हुआ, जिसे तोड़कर अब नया कलेक्ट्रेट भवन बनाया जा रहा है.

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