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'कर्पूरी ठाकुर कांग्रेस से लड़ते रहे, फर्जी चेले उसी की गोद में बैठ गए'- सुशील मोदी

Karpoori Thakur Bharat Ratna जननायक कर्पूरी ठाकुर की जन्मशती आज 24 जनवरी को मनाई जा रही है. कर्पूरी जयंती की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने उनको भारत रत्न देने की घोषणा की. इसके बाद सियासी दलों में इस मौके को भुनाने की होड़ लग गयी. नीतीश और लालू ने भी कर्पूरी ठाकुर को भारत दिये जाने की मांग के बारे में बताया, जिस पर भाजपा सांसद सुशील मोदी ने दोनों नेताओं पर जमकर हमला बोला. पढ़ें, विस्तार से.

सुशील मोदी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 24, 2024, 10:11 PM IST

पटना: राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जीवन भर पिछड़ा-विरोधी कांग्रेस के विरुद्ध संघर्ष करते रहे. कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर वो दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. मरणोपरांत उन्हें भारत-रत्न मिलने पर राजद और जदयू के लोग दबी जुबान से स्वागत कर रहे हैं, वो आज उसी कांग्रेस की गोद में बैठे हैं, जिससे कर्पूरी जी नीति, नीयत और आचरण के हर स्तर पर जूझते रहे हैं.

"2004-2009 तक लालू प्रसाद केंद्र की कांग्रेस सरकार में ताकतवर रेलमंत्री थे. अगले पांच साल (2009-2014 ) भी केंद्र सरकार में उनकी हनक थी, लेकिन उन 10 सालों में उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को भारत-रत्न दिलाने की कोई पहल नहीं की. आज उनकी पार्टी श्रेय लूटने के लिए सिर्फ यह बता रही है कि उसने जननायक को भारत-रत्न देने की मांग कितनी बार की थी. इस थेथरोलॉजी को भी बिहार देख रहा है."- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद


पिछड़ों के नकली मसीहा को किया एक्सपोजः सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देकर पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के सामने कुछ दलों का अवसरवादी कर्पूरी प्रेम उजागर किया है. इसके लिए देश के 70 करोड़ पिछड़ों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी का कोटि-कोटि अभिनंदन और आभार. उन्होंने कहा कि दो बार मुख्यमंत्री रहने वाले कर्पूरी ठाकुर ने अपना मकान तक नहीं बनाया और ना ही अपने परिवार के किसी व्यक्ति को राजनीति में आगे बढ़ा कर वंशवाद थोपने की कोशिश की. उनकी बेटी की शादी में कार्ड तक नहीं छपा था.

कर्पूरी ठाकुर का नाम लेने का हक नहीं: सुशील मोदी ने कहा कि विडम्बना ही है कि कर्पूरी ठाकुर का नाम जपने वाले लालू प्रसाद ने सत्ता का दुरुपयोग कर ना केवल अरबों रुपये की सम्पत्ति बनायी, बल्कि पत्नी, बेटा-बेटी सहित परिवार के आधे दर्जन लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अभी उनका सबसे बड़ा लक्ष्य तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है. ऐसे लोगों को कर्पूरी ठाकुर का नाम लेने का भी कोई हक नहीं है.

इसे भी पढ़ेंः CM नीतीश ने परिवारवाद पर बोला हमला, कहा- 'कर्पूरी ठाकुर से ली बड़ी सीख, हमने कभी अपनों को नहीं बढ़ावा दिया'

पटना: राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जीवन भर पिछड़ा-विरोधी कांग्रेस के विरुद्ध संघर्ष करते रहे. कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर वो दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. मरणोपरांत उन्हें भारत-रत्न मिलने पर राजद और जदयू के लोग दबी जुबान से स्वागत कर रहे हैं, वो आज उसी कांग्रेस की गोद में बैठे हैं, जिससे कर्पूरी जी नीति, नीयत और आचरण के हर स्तर पर जूझते रहे हैं.

"2004-2009 तक लालू प्रसाद केंद्र की कांग्रेस सरकार में ताकतवर रेलमंत्री थे. अगले पांच साल (2009-2014 ) भी केंद्र सरकार में उनकी हनक थी, लेकिन उन 10 सालों में उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को भारत-रत्न दिलाने की कोई पहल नहीं की. आज उनकी पार्टी श्रेय लूटने के लिए सिर्फ यह बता रही है कि उसने जननायक को भारत-रत्न देने की मांग कितनी बार की थी. इस थेथरोलॉजी को भी बिहार देख रहा है."- सुशील मोदी, राज्यसभा सांसद


पिछड़ों के नकली मसीहा को किया एक्सपोजः सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देकर पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के सामने कुछ दलों का अवसरवादी कर्पूरी प्रेम उजागर किया है. इसके लिए देश के 70 करोड़ पिछड़ों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी का कोटि-कोटि अभिनंदन और आभार. उन्होंने कहा कि दो बार मुख्यमंत्री रहने वाले कर्पूरी ठाकुर ने अपना मकान तक नहीं बनाया और ना ही अपने परिवार के किसी व्यक्ति को राजनीति में आगे बढ़ा कर वंशवाद थोपने की कोशिश की. उनकी बेटी की शादी में कार्ड तक नहीं छपा था.

कर्पूरी ठाकुर का नाम लेने का हक नहीं: सुशील मोदी ने कहा कि विडम्बना ही है कि कर्पूरी ठाकुर का नाम जपने वाले लालू प्रसाद ने सत्ता का दुरुपयोग कर ना केवल अरबों रुपये की सम्पत्ति बनायी, बल्कि पत्नी, बेटा-बेटी सहित परिवार के आधे दर्जन लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अभी उनका सबसे बड़ा लक्ष्य तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है. ऐसे लोगों को कर्पूरी ठाकुर का नाम लेने का भी कोई हक नहीं है.

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