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कड़कड़डूमा कोर्ट से उमर खालिद को लगा बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज - Umar Khalid bail plea rejected - UMAR KHALID BAIL PLEA REJECTED

UMAR KHALID BAIL PLEA REJECTS: 2020 दिल्ली दंगा मामले में आरोपी उमर खालिद को कड़कड़डूमा कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.

उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज
उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज (Etv Bharat फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 28, 2024, 3:56 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दिया. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेई ने जमानत पर खारिज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने 13 मई को जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दरअसल, सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट में उमर खालिद के नाम का प्रयोग इस तरह से कर रही है. जैसे कोई मंत्र हो. चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो जाएगा. जमानत पर फैसला लेते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज का परीक्षण करना होगा. पेस ने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्वेस और शोमा सेन के मामले का जिक्र करते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की.

पेस ने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कहा था कि आरोपियों से मिलने का मतलब आतंकी गतिविधि नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उमर खालिद के पिता इंटरव्यू देते हैं इसका मतलब ये नहीं की उसे जमानत नहीं दी जा सकती. इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि आतंकी गतिविधि को अंजाम दिया गया. उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की धारा 15 नहीं लगाई जा सकती है.

पेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि खालिद ने गुप्त बैठकें की. उन्होंने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये कह रहा है कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर में मिले. अभियोजन के इस कथन का आधार केवल गवाह का बयान और सीडीआर है. उन्होंने पूछा कि क्या जमानत नहीं देने के लिए सीडीआर पर भरोसा किया जा सकता है. सीडीआर के मुताबिक भी सभी आरोपी दिए गए समय और तिथि पर एक साथ नहीं थे.

बता दें, 9 अप्रैल को दिल्ली पुलिस की ओर से दलीलें पूरी कर ली गई थी. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर की जमानत याचिका दिल्ली हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. हाईकोर्ट ने सेशंस कोर्ट के जमानत खारिज करने के फैसले पर पूरी सहमति जताई थी. अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये नहीं कहा जा सकता है कि जांच में कई गड़बड़ियां हैं. ये आरोप मुक्त करने की याचिका नहीं है.

इस मामले में उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि इस मामले के दूसरे आरोपियों के खिलाफ हमसे गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं और उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी भी नहीं बनाया था. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपियों को जमानत दी गई वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी है. उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए उमर को जमानत देने की मांग की थी.

बता दें कि उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले लिया था और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. उमर को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वो जेल में हैं. इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर की जमानत याचिका खारिज कर दिया था.

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दरअसल, सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट में उमर खालिद के नाम का प्रयोग इस तरह से कर रही है. जैसे कोई मंत्र हो. चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो जाएगा. जमानत पर फैसला लेते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज का परीक्षण करना होगा. पेस ने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्वेस और शोमा सेन के मामले का जिक्र करते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की.

पेस ने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कहा था कि आरोपियों से मिलने का मतलब आतंकी गतिविधि नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उमर खालिद के पिता इंटरव्यू देते हैं इसका मतलब ये नहीं की उसे जमानत नहीं दी जा सकती. इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि आतंकी गतिविधि को अंजाम दिया गया. उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की धारा 15 नहीं लगाई जा सकती है.

पेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि खालिद ने गुप्त बैठकें की. उन्होंने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये कह रहा है कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर में मिले. अभियोजन के इस कथन का आधार केवल गवाह का बयान और सीडीआर है. उन्होंने पूछा कि क्या जमानत नहीं देने के लिए सीडीआर पर भरोसा किया जा सकता है. सीडीआर के मुताबिक भी सभी आरोपी दिए गए समय और तिथि पर एक साथ नहीं थे.

बता दें, 9 अप्रैल को दिल्ली पुलिस की ओर से दलीलें पूरी कर ली गई थी. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर की जमानत याचिका दिल्ली हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. हाईकोर्ट ने सेशंस कोर्ट के जमानत खारिज करने के फैसले पर पूरी सहमति जताई थी. अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये नहीं कहा जा सकता है कि जांच में कई गड़बड़ियां हैं. ये आरोप मुक्त करने की याचिका नहीं है.

इस मामले में उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि इस मामले के दूसरे आरोपियों के खिलाफ हमसे गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं और उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपी भी नहीं बनाया था. उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपियों को जमानत दी गई वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी है. उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए उमर को जमानत देने की मांग की थी.

बता दें कि उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले लिया था और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. उमर को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वो जेल में हैं. इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर की जमानत याचिका खारिज कर दिया था.

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