कानपुर: शहर के गोविंदपुरी से भीमसेन के बीच झांसी अप लाइन पर शनिवार सुबह करीब ढाई बजे ट्रेन संख्या 19168 साबरमती एक्सप्रेस डिरेल हो गई थी. इस मामले में जूही के सीनियर सेक्शन इंजीनियर महेंद्र प्रताप सिंह सिसोदिया की ओर से पनकी थाने में जो एफआईआर दर्ज कराई गई है, उसमें यह बताया गया है कि रेलवे कर्मियों को ट्रेन के डिरेल होने के बाद अप लाइन और डाउन लाइन के बीच पुरानी रेल लाइन का एक टुकड़ा मिला, जिसमें फ्रेश हीटिंग के निशान पाए गए.
अफसरों का कहना था कि यह डिरेलमेंट रेल के टुकड़े का रेल ट्रैक पर रखा होने के कारण इंजर के टकराने की वजह से हुआ, जिससे ट्रैक को क्षति पहुंची. अफसरों ने दावा किया कि इस टुकड़े को किसी व्यक्ति द्वारा ही रेलवे ट्रैक पर रखा गया था. अब इस मामले में जब मुकदमा दर्ज हुआ है तो पनकी थाने की पुलिस ने भी अपने स्तर से जांच शुरू कर दी है.
आसपास यह देखा जा रहा है कि कोई बाहरी व्यक्ति रेलवे ट्रैक तक अगर पहुंचा तो कोई न कोई सबूत जल्द ही पुलिस के हाथ लगेगा. वहीं साबरमती एक्सप्रेस के डिरेल होने से ठीक 1 घंटा पहले उसी ट्रैक से पटना इंदौर एक्सप्रेस रवाना हुई थी. ऐसे में अफसर पूरी तरीके से मान रहे हैं कि कहीं ना कहीं साबरमती एक्सप्रेस को कानपुर में पलटाने की साजिश रची गई थी. ऐसे में बहुत जल्द अब पुलिस दोषियों को गिरफ्तार करेगी.
एटीएस ने शुरू कर दी जांच: कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस के डिरेलमेंट को लेकर एटीएस ने अपनी जांच शुरू कर दी है. एटीएस के आला अफसरों ने बताया कि जब भी कोई ट्रेन का डिरेलमेंट होता है तो एटीएस मौके पर पहुंचकर अपने स्तर से जांच शुरू कर देती है. एटीएस के आला अफसरों ने यह भी कहा कि कानपुर की एटीएस को यह जिम्मा दिया गया है कि वह जल्द से जल्द साबरमती एक्सप्रेस डिरेलमेन्ट मामले में अपनी रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय को सौंपें.
जब एटीएस ने इस डिरेलमेंट की जांच शुरू की है तो कहीं ना कहीं माना जा रहा है कि इसमें आतंकी साजिश भी हो सकती है. मगर प्रशासनिक अफसरों का कहना है कि साबरमती एक्सप्रेस का डिरेलमेंट एक हादसा है या एक साजिश है, यह तस्वीर तभी साफ हो सकेगी, जब किसी दोषी को गिरफ्तार कर लिया जाए.
ये भी पढ़ेंः कानपुर साबरमती हादसा; साजिश की आशंका में मुकदमा दर्ज, निरस्त रहेंगी झांसी रूट की 18 ट्रेनें