कानपुर : पारंपरिक शिल्प को नवाचार और सृजनात्मकता संग पुनर्जीवित करने के लिए IIT कानपुर में पहली बार डिजाइन डेवलपमेन्ट सेंटर की शुरुआत हुई. इस केंद्र को लेकर IIT कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा पारंपरिक कारीगरों को सशक्त बनाने की दिशा में यह एक बेहद अहम प्रयास है. हमारा मकसद ग्रामीण कारीगरों के शिल्प कौशल को बढ़ाना व उत्पादों को मूल्यवान बनाना है. ऐसा पहली बार होगा जब आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट उन ग्रामीण कारीगरों के साथ काम करेंगे, जिन्हें आईआईटी कानपुर में ही प्रशिक्षण मिला है. यहां जो उत्पाद तैयार होंगे, उनको विभिन्न मार्केटिंग के माध्यमों से देश-दुनियां तक पहुंचाने का काम किया जाएगा.
बिठूर की मिट्टी के बर्तन, कालपी के हस्त निर्मित कागज से बनेंगे उत्पाद: रणजीत सिंह रोजी शिक्षा केंद्र परियोजना अधिकारी और रीता सिंह सहायक उप शिक्षा निदेशक ने बताया कि कला ग्राम में बिठूर की मिट्टी के बर्तन, कालपी के हस्त निर्मित कागज, कानपुर के घरेलू उत्पादों को लेकर, यहां पर उत्पाद बनाने शुरू कराए जाएंगे. IIT कानपुर के इस डिजाइन डेवलपमेंट सेंटर में तीन सालों में 1000 से अधिक ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है. उन्होंने कहा हमारा लक्ष्य नए डिजाइन को प्रस्तुत करके इन शिल्पों को पुनर्जीवित करना है. कारीगरों के सामने आने वाली चुनौतियों में समाधान करना और उनके उत्पादों में नया आकर्षण लाना है.
कला ग्राम की को-ऑर्डिनेटर डॉ मोनिका ठाकुर ने कहा यह केंद्र कारीगरों को नए औजारों और तकनीक का प्रयोग करने, बाजार के रुझान जाने और पैकेजिंग रणनीतियों को सीखने के लिए मंच प्रदान करेगा. उन्होंने कहा डिजाइन संस्थानों और स्टूडियो के साथ सहयोग से कारीगरों के उत्पादों को नई पहचान मिलने में भी सुविधा होगी. वहीं इस पूरी कवायद के लिए फिल्म मॉरिस इंटरनेशनल के भारत सहयोगी आईपीएम संस्था ने भी पूरी तरीके से वित्तीय मदद के लिए अपनी हामी भरी है.
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