भोपाल। यूपी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य की नाराजगी का सीक्वल क्या अब एमपी में दिखाई दे सकता है. बड़े आसमान से छोटे मैदान में लाए गए कैलाश विजयवर्गीय प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह जैसे नेता इस भूमिका में दिखाई दे सकते हैं. राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है. इस बीच सीएम डॉ मोहन यादव के दिल्ली दौरे के बीच ये चर्चाएं हैं कि राम निवास रावत के विभाग को लेकर फैसला हो सकता है. हालांकि कैबिनेट विस्तार की फिलहाल संभावनाएं नहीं दिख रही. छिंदवाड़ा में मोहन यादव खुद इशारों में साफ कर चुके हैं कि फिलहाल कैबिनेट विस्तार की संभावना कम है.
कौन हो सकते हैं एमपी की मोहन सरकार के मौर्य
एमपी में 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की सत्ता भर नहीं बदली, लेकिन सरकार में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रिमण्डल के चेहरे तक इस बार काफी बड़े बदलाव हुए. दिसंबर से मई तक का समय तो सरकार का चुनाव में ही गुजर गया, लेकिन क्या अब सरकार और संगठन का असंतोष सतह पर आने लगा है. एक तरफ मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर नाराज बैठे वरिष्ठ विधायकों की नाराजगी खुलकर सामने आ ही चुकी. अब कहा जा रहा है कि सरकार में ही वरिष्ठ मंत्री भी असंतुष्ट हैं.
वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं, 'चुनाव का समय बीत चुका है. अब परफार्मेंस का वक्त है और अभी जो स्थिति है, सरकार में अनिश्चितता का माहौल है. सरकार के प्रति ब्यूरोक्रेसी का विश्वास जम नहीं पा रहा है. मुख्यमंत्री अति आत्मविश्वास में हैं. पवन देवलिया कहते हैं जिस तरह से आप यूपी में देख रहे हैं, केशव प्रसाद मौर्य का जो रवैया है, वो एमपी में भी कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह जैसे दिग्गज वो तेवर दिखा सकते हैं. राम निवास रावत को मंत्री बनाए जाने के बाद नई कशमकश है कि उन्हें किस मंत्री का विभाग दिया जाए. कुल मिलाकर स्थिति चुनौती पूर्ण है.
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मोहन जानते हैं चुनौतियों से निपटना
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, देखिए मोहन यादव को अचानक ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव में पार्टी ने परफार्म किया. ये जीत उनके खाते में जाएगी. फिर दूसरी बात है कि वे बहुत इत्मीनान से चल रहे हैं. किसी हड़बड़ी में नहीं हैं, चूंकि संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं. लिहाजा उनके फैसले आप देखेंगे कि बहुत विचार विमर्श के बाद होते हैं. राष्ट्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में होते हैं.