रायपुर : ज्येष्ठ पूर्णिमा साल के सभी बारह पूर्णिमा में बेहद खास होती है. 21 जून को पड़ने वाली पूर्णिमा को वट पूर्णिमा भी कहा जाता है. 22 जून को स्नान दान की पूर्णिमा है. विशेष रूप से स्नान दान के लिए उदया तिथि का ध्यान रखना जरूरी होता है.
कब है पूर्णिमा तिथि ? : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन देश के कुछ क्षेत्रों में वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. वट सावित्री का व्रत कुछ जगहों पर पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और कुछ जगहों पर अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ की परंपरा के अनुसार, अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत मनाया जा चुका है. वहीं ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 21 और 22 जून दोनों दिन पड़ रहे हैं."
"21 जून को व्रत की पूर्णिमा है. इस दिन भगवान सत्यनारायण का व्रत रखकर पूजा आराधना की जाती है. 22 जून को स्नान दान की पूर्णिमा पड़ रही है और इस दिन स्नान व दान करने की परंपरा है. भारतवर्ष की भूमि पर बड़े और पवित्र नदियां हैं, उनमें स्नान करके दान करने बड़ा महत्व बताया गया है. इस तरह स्नान दान की पूर्णिमा 22 जून और व्रत की पूर्णिमा 21 जून को मनाई जाएगी." - पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर रायपुर
उदया तिथि में पूजा पाठ का महत्व : हिंदू पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 21 जून शुक्रवार की सुबह 7:31 से हो रही है. इस तिथि का समापन शनिवार 22 जून सुबह 6:37 पर हो रही है. लेकिन इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 और 22 जून दोनों दिन मनाई जाएगी. ऐसे में दोनों दिन पूर्णिमा की पूजा-पाठ और उपाय किए जा सकते हैं. मान्यता है कि सूर्योदय के समय जो तिथि रहती है, उसी दिन उसी तिथि के अनुसार आचरण और व्यवहार किया जाए. विशेष रूप से स्नान दान के लिए उदया तिथि का ध्यान रखना जरूरी होता है. उदया तिथि पूर्णिमा 22 जून शनिवार को पड़ेगी, इसलिए स्नान दान शनिवार को करना चाहिए.